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एक और उपलब्धि की ओर भारत

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के एक सप्ताह बाद ही भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए महत्त्वाकांक्षी अभियान शुरू कर दिया है। भारत का उपग्रह आदित्य एल–1 सफलतापूर्वक अपने सूर्य अभियान पर निकल चुका है। लगभग चार माह बाद अंतरिक्ष में आदित्य एल–1 अपना स्थान ले लेगा और उसके बाद सूर्य का अध्ययन प्रारंभ कर देगा। भारत का यह पहला सूर्य अभियान है। अब तक सूर्य को जानने के लिए दुनियाभर से अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी ने कुल मिलाकर 22 मिशन भेजे हैं। सबसे ज्यादा मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान ‘नासा’ ने भेजे हैं। नासा ने पहला सूर्य मिशन पायोनियर-5 साल 1960 में भेजा था। जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में नासा के साथ मिलकर भेजा था। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी अपना पहला मिशन नासा के साथ मिलकर 1994 में भेजा था। अब इस क्षेत्र में भारत भी आगे आ रहा है। भारत के दृष्टिकोण से यह सूर्य अभियान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अंतरिक्ष विज्ञान में भारत आज दुनिया की सबसे प्रमुख ताकत बनकर उभरा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के स्वाभिमान को बढ़ाने का काम किया है। इसरो की उपलब्धियों ने भारत की धमक अंतरराष्ट्रीय जगत में बढ़ा दी है। दुनियाभर के राजनैतिक एवं वैज्ञानिक संगठनों ने चंद्रयान–3 की सफलता के बाद खुलकर भारत की न केवल प्रशंसा की है अपितु अपेक्षा भी व्यक्त की है। अपेक्षा उसी के सामने रखी जाती है, जिससे उम्मीद है और जिसके प्रति एक विश्वास है। भारत के प्रति दुनिया का एक विश्वास बना है कि भारत किसी भी क्षेत्र में प्रगति करेगा तो उसका लाभ समूचे विश्व को मिलेगा। भारत लोककल्याण के भाव को लेकर चलनेवाला देश है। कोविड–19 से जनित वैश्विक महामारी के समय में भी इस बात की अनुभूति समूची दुनिया ने की थी। भारत के वैज्ञानिक जब कोई भी महत्वपूर्ण अभियान शुरू करते हैं तब ईश्वर के समक्ष प्रार्थना करते हैं। यह जो भावना है, इसी में यह बात छिपी है कि हम लोककल्याण के लिए समर्पित संस्कृति के देश हैं। भारत में कुछ मूढ़मती वैज्ञानिकों की निष्ठा पर वितंडाव खड़ा करने का प्रयत्न करते हैं, लेकिन उनकी बेतुकी बहस पर ध्यान देने की अपेक्षा वैज्ञानिक भारतीय विचार से ओतप्रोत होकर देश की प्रतिष्ठा और मानवता की सेवा के लिए कार्य करते रहते हैं। बहरहाल, आदित्‍य एल-1 के सफल प्रक्षेपण ने अंतरिक्ष यात्रा में एक नये गौरवशाली अध्‍याय की शुरूआत की है। यह उपलब्धि सौर प्रणाली को समझने में निश्चित रूप से महत्‍वपूर्ण योगदान देगी। आदित्य एल–1 पृथ्वी के सबसे समीप के तारे (सूर्य) की निगरानी करेगा और सोलर विंड जैसे अंतरिक्ष के मौसम की विशेषताओं का अध्ययन करेगी। इस अभियान की सहायता से सौर हलचलों को करीब से अध्ययन करने और वास्तविक समय में इसका अंतरिक्ष के मौसम पर क्या असर पड़ता है, इसके बारे में जानने में मदद मिलेगी। इसरो को विश्वास है कि यह अभियान कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां देगा जिससे सूर्य के बारे में हमारी समझदारी बेहतर होगी, जैसे कि कोराना हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ़्लेयर और इन सबकी विशिष्टताएं। कुल मिलाकर यह अभियान अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उपलब्धियों का साक्षी एवं संवाहक बनेगा। क्योंकि इस अभियान के बाद आत्मविश्वास से भरे इसरो के वैज्ञानिक और भी अभियान शुरू करनेवाले हैं। सबसे अच्छी बात है कि भारत के वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का भरपूर साथ मिल रहा है।

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