अब समय आ गया है कि भारत की ओर से पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू–कश्मीर का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाए। पाकिस्तान ने जम्मू–कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा किया हुआ है, वहां के नागरिकों पर असहनीय अत्याचार किए जा रहे हैं। अपने साथ होने वाले दोयम दर्जे के व्यवहार से परेशान होकर वे लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। अब तो जम्मू–कश्मीर के इस हिस्से से खुलकर पाकिस्तान से मुक्ति की आवाजें आने लगी हैं। सभी नागरिक भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। भारत की जिम्मेदारी है कि वह उनके दु:ख, तकलीफों और उन पर होने वाले अत्याचार को वैश्विक मंचों पर उठाए। जम्मू–कश्मीर के उस हिस्से के नागरिकों ने यह भी अनुभव किया है कि जम्मू–कश्मीर के इस हिस्से के नागरिकों का जीवन आनंदित है। भारत की ओर से उन्हें सब प्रकार की सुविधाएं समान रूप से प्राप्त हैं। वर्तमान समय में समूचा देश लोकतंत्र का उत्सव मना रहा है। ऐसे में जम्मू–कश्मीर में भी उत्साहपूर्वक नागरिक मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा ले रहे हैं। पिछले 28 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस बार जम्मू–कश्मीर में जमकर मतदान हुआ है। निश्चित ही यह उत्साह जम्मू–कश्मीर में हुए विकास कार्यों के कारण है। वहीं, पाकिस्तान द्वारा कब्जाए जम्मू–कश्मीर में लोग आटे–दाल के लिए भी परेशान हैं। चूंकि सम्पूर्ण जम्मू–कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए वहां के नागरिकों की चिंता करना भी हमारा दायित्व है। जम्मू–कश्मीर में संबंध में हम संसद से लेकर वैश्विक मंच पर अपना संकल्प जाहिर कर चुके हैं। इसी संदर्भ में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को देखना चाहिए। विदेश मंत्री जयशंकर ने एक बार फिर स्पष्ट तौर पर कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर (पीओके) पहले भी भारत का था, आज भी भारत का ही है और आगे भी भारत का ही रहेगा। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है जिसे छुड़ाने के लिए भारत प्रतिबद्ध है। मोदी सरकार के कामकाज के तरीके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति को देखकर भारतीयों को भी उम्मीद है कि हम बहुत जल्द अपने हिस्से को प्राप्त कर लेंगे। निश्चित ही पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू–कश्मीर के नागरिकों को भी यह विश्वास है कि मोदी सरकार ही उन्हें पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्ति दिला सकती है। याद रखें कि भारत की नीति स्पष्ट है- पीओके पर अवैध कब्जे को हटाना है और इसका भारत में विलय करना है। इस बात को भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता जिस दमदारी और आत्मविश्वास के साथ उठाते हैं, उतने मन से अन्य दल इस पर बात नहीं करते। उन्हें तो पाकिस्तान के नाराज होने से डर लगता है। पिछले दिनों कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान की बोली में भारत को एटमी बम का डर दिखाने की कोशिश की है, जिसकी निंदा सबने एकसुर में की है। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू–कश्मीर के विलय पर विपक्ष की सोच क्या है, इस पर भी विदेश मंत्री ने उचित ही कहा है कि विपक्ष उल्टी दिशा में बढ़ रहा है। पुनश्च, पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू–कश्मीर के नागरिकों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों को भारत को जोरदार ढंग से वैश्विक मंच पर रखना चाहिए ताकि दुनिया सच को स्वीकार कर सके।
90