प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था नित्य नए कीर्तिमान बना रही है। मोदी राज में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। देश का मुद्रा भंडार 4.54 अरब डॉलर बढ़कर 648.70 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार विदेशी करेंसी एसेट्स में भी जोरदार तेजी देखने को मिली है और ये 3.36 अरब डॉलर बढ़कर 569.009 अरब डॉलर है, जबकि गोल्ड रिजर्व 1.24 अरब डॉलर बढ़कर 57.19 अरब डॉलर हो गया है। याद रखें कि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था। मोदी राज में विदेशी मुद्रा भंडार दो गुना से ज्यादा बढ़ चुका है। निश्चित ही इसे मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की सफलता कहा जाएगा। इसके साथ ही अर्थव्यस्था के क्षेत्र में एक और उपलब्धि भारत के हिस्से आई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये अधिशेष या लाभांश हस्तांतरित करने की घोषणा की है। वर्ष 2022-23 की तुलना में यह लाभांश 141 प्रतिशत अधिक है। यह लाभांश वित्त वर्ष 2023-24 की अवधि में विदेशी और घरेलू परिसंपत्तियों से रिजर्व बैंक को हुई कमाई का हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में अनुमान लगाया गया था कि रिजर्व बैंक, सरकारी वित्तीय संस्थाओं एवं गैर-वित्तीय कंपनियों से सरकार को कुल डेढ़ लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिल सकता है। इस हिसाब से केवल रिजर्व बैंक का लाभांश ही अनुमानित राशि से 40 प्रतिशत अधिक है। यह बताता है कि सरकार की आर्थिक नीतियां बहुत प्रभावी ढंग से काम कर रही हैं। याद रखें कि यह सरकार को मिलने वाला सर्वाधिक लाभांश है। वर्ष 2022-23 में यह राशि 87,416 करोड़ रही थी। इससे पहले सबसे अधिक लाभांश 2018-19 में मिला था, जो 1.76 लाख करोड़ रुपये था। सरकार के खाते में यह राशि वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 की अवधि में दिखेगी, इसलिए अगली सरकार को अपने कल्याण कार्यक्रमों तथा आधारभूत संरचनाओं के विकास की परियोजनाओं के खर्च में इससे बड़ी सहायता मिलेगी। इसके साथ ही बजट घाटे को भी नियंत्रण में रखा जा सकेगा। अंतरिम बजट में वित्तीय घाटे को न्यूनतम जीडीपी के 5.1 प्रतिशत रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव की वजह से इस वर्ष फरवरी में पूर्ण बजट प्रस्तुत नहीं हो सका था। यह बजट जुलाई में नवनिर्वाचित सरकार के द्वारा पेश किया जाएगा। रिजर्व बैंक की भारी कमाई में विदेशी मुद्रा भंडार पर मिला अधिक ब्याज शामिल है। देश में भी परिसंपत्तियों से हुई अच्छी आमदनी की यही वजह है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए रिजर्व बैंक समेत दुनिया के अधिकतर केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाया है। इस कमाई की एक वजह विदेशी मुद्रा भंडार के पुनर्मूल्यांकन से मिला लाभ भी है। मार्च के अंत में रिजर्व बैंक के पास 646 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो अप्रैल में बढ़कर 648.56 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने अपने बोर्ड बैठक में यह भी रेखांकित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती बनी हुई है। भारतीय अर्थव्यस्था के संदर्भ में यह आंकड़े विश्वास उत्पन्न करते हैं कि जल्द ही हम तीसरे स्थान की अर्थव्यस्था बन सकते हैं।
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