मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के परिणाम अब दिखायी देने लगे हैं। भारत, आर्थिक शक्ति बनने के साथ ही गरीबी उन्मूलन की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सरकार की ओर से जारी दस वर्षों की रिपोर्ट के अनुसार, जनधन खाते खुलवाने से सामान्य परिवारों की वित्तीय स्थिति पहले से बेहतर हुई है। देश में 51 करोड़ जन-धन खाते हैं, जिनमें 2.1 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। याद रखें कि इनमें 55 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर जन-धन खाते खुलवाए गए थे। बैंक में खाते नहीं होने से अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना नागरिकों एवं सरकार को करना पड़ता था। कमजोर परिवारों को सरकार की ओर से भेजी जानेवाली सबसिडी और अन्य आर्थिक सहायता बिचौलियों के कारण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती थीं। लोगों को उनके हिस्से की पूरी राशि नहीं मिलती थी। लेकिन बैंक खाते खुलने से अब सरकार जो भी राशि भेजती है, वह सीधे लाभार्थी के खाते में आती है। वहीं, बैंक में पैसे रखने के अभ्यास से भी बचत की प्रवृत्ति बढ़ी है। जन-धन खाते नहीं होने से महिलाएं घर पर ही पैसे रखने को मजबूर थीं, ऐसे में किसी न किसी कारण से उनकी जमा पूंजी खत्म होती रहती थी। जबकि अब बैंक में होने से वह सुरक्षित भी है और ब्याज का लाभ भी उन्हें प्राप्त होता है। मोदी सरकार की सराहना करनी होगी कि उन्होंने जन-धन के खातों को प्रोत्साहित करके आर्थिक मजबूती की दिशा में एक असाधारण कार्य किया। सोचिए, भारत की स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक प्रत्येक व्यक्ति को हम बैंकिंग की प्रणाली से भी नहीं जोड़ सके। क्योंकि अब तक इस प्रकार से किसी ने सोचा ही नहीं था। जन-धन खातों ने कमजोर आयवर्ग के परिवारों को ही आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं किया है अपितु भारत की अर्थव्यवस्था को भी गति एवं मजबूती दी है। जन-धन खातों के कारण ही घरेलू वित्तीय संपत्ति जीडीपी में वृद्धि 103.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो दिसंबर-2019 में 86.2 प्रतिशत थी। बहरहाल, अंतरिम बजट प्रस्तुत करने से पहले भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने ‘द इंडियन इकोनॉमी : ए रिव्यू’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भविष्य उज्ज्वल है। हमारी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वर्ष भी 7 प्रतिशत रह सकती है। मजबूत घरेलू मांग ने पिछले तीन वर्ष में अर्थव्यवस्था को 7 प्रतिशत से अधिक की विकास दर पर पहुंचा दिया है। पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के कारण निजी खपत और निवेश में मजबूती आई है। उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए कदम और आधारभूत संरचना में निवेश से माँग के अनुरूप वितरण व्यवस्था भी मजबूत हुई है। इस रिपोर्ट के दावे को मानें तो भारत भारत 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह जीवन की गुणवत्ता और जीवन स्तर प्रदान करने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। पिछले दस वर्ष का हिसाब-किताब देखें तो इस रिपोर्ट पर अविश्वास करने का कोई कारण दिखाई नहीं दे रहा है। मोदी सरकार ने देश में जिस प्रकार का आर्थिक वातावरण बनाया है, उसे देखकर कभी असंभव से दिखनेवाले लक्ष्य अब अधिक दूर नहीं दिखते हैं।
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