कर्नाटक में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना और तमिलनाडु में द्रमुक की ओर से अपने विज्ञापन में चीनी झंडा लगाने की घटना सामने आने से राजनीति गर्मा गई है। देशवासियों का गुस्सा भी उबाल पर है। जनता की ओर से सीधा सवाल पूछा जा रहा है कि भारत में रहकर पाकिस्तान और चीन की जय-जयकार करना, भारत विरोध नहीं है, तो क्या है? दुर्भाग्य की बात है कि पाकिस्तान और चीन के प्रति प्रेम दिखानेवाले नेता खेद भी प्रकट नहीं कर रहे हैं बल्कि इसे सामान्य घटना मान रहे हैं। पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने की घटना पर माफी माँगने की जगह कांग्रेस की ओर से उनके ही एक अन्य नेता बीके हरिप्रसाद ने तो यह कहकर विवाद को और बढ़ा दिया कि भाजपा के लिए पाकिस्तान ‘दुश्मन देश’ हो सकता है, लेकिन कांग्रेस उसे केवल पड़ोसी देश मानती है। सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस के हित भारत के हितों से ऊपर हो गए हैं? यदि कोई हमारे देश का दुश्मन है तब क्या उसके प्रति हम देश की भावना से इतर विचार रख सकते हैं? यह समझना थोड़ा कठिन है कि इंडी गठबंधन के दल आखिर पाकिस्तान और चीन के मुरीद क्यों हुए जा रहे हैं? सवाल यह भी है कि आखिर वह लोग कौन हैं जो भारत की संसद के लिए निर्वाचित व्यक्ति की जीत की खुशी में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे? सवाल यह भी उठता है कि पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वालों को जब पाकिस्तान चले जाने का सुझाव दिया जाता है तो कुछ राजनीतिक दल उनके बचाव में क्यों खड़े हो जाते हैं? वास्तव में ऐसे लोगों को पाकिस्तान चले ही जाना चाहिए, जिन्हें भारत से अधिक प्रेम पाकिस्तान से है। खाते भारत का हैं और गुण पाकिस्तान का गाते हैं, ऐसे लोग हमें नहीं चाहिए। हम जानते हैं कि पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है, लेकिन वह सामान्य पड़ोसी देश नहीं है। उसके कारण भारत ने लंबे समय तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष युद्ध झेले हैं। जिस देश के कारण भारत में जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक निर्दोष लोगों का रक्त बहा है, उसकी जिंदाबाद का नारा लगाना वर्तमान परिस्थितियों में कोई भी देशभक्त नागरिक स्वीकार नहीं कर सकता। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में जरा भी नैतिकता है तो उसे तत्काल ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर करना चाहिए या उनसे सार्वजनिक माफी मंगवानी चाहिए, जो यह कह रहे हैं कि पाकिस्तान तो भाजपा के लिए दुश्मन देश है, हमारे लिए नहीं। इसके साथ ही पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगानेवाले देशद्रोही लोगों को भी कर्नाटक सरकार को तत्काल गिरफ्तार कराना चाहिए। यदि तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देते हुए नारा लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी तो उनका हौसला बढ़ेगा और आने वाले समय में वह और भी गंभीर हरकत कर सकते हैं। याद रखना चाहिए कि कर्नाटक में पीएफआई जैसी ताकतें सक्रिय रही हैं इसलिए इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर सख्त कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान प्रेमियों को तगड़ा संदेश देना चाहिए। जहां तक द्रमुक की ओर से विज्ञापन में चीनी झंडा लगाने की बात है तो यह सीधे-सीधे देश की संप्रभुता पर हमला है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब द्रमुक की ओर से देश विरोधी बात की गयी हो। हम आपको बता दें कि इससे पहले द्रमुक के एक बड़े नेता ए. राजा कह चुके हैं कि हमें अलग देश की मांग करने पर मजबूर नहीं किया जाये। इसके अलावा द्रमुक के एक सांसद संसद के भीतर ही उत्तर भारत पर गंभीर टिप्पणी कर विवाद खड़ा कर चुके हैं। बहरहाल, यह सब दर्शाता है कि इंडी गठबंधन की पार्टियां किस विचारधारा को लेकर आगे बढ़ रही हैं। देखा जाये तो कर्नाटक और तमिलनाडु की घटनाएं देशवासियों के लिए चेतावनी भी हैं कि यदि गलती से भी देश गलत हाथों में गया तो अलगाववादियों की भांति सोच रखने वाले तत्व हावी हो जाएंगे।
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