राजा भोज द्वारा निर्मित धार की भोजशाला पर लंबे समय से विवाद की स्थितियां बनी हुई हैं। अकसर यह विवाद सांप्रदायिक तनाव का स्वरूप ले लेता है। इसलिए आवश्यक है कि भोजशाला को लेकर स्थिति स्पष्ट हो। हिन्दुओं के लिए यह स्थान माँ सरस्वती का मंदिर है। वहीं, मुस्लिम इस स्थान को कमाल मौलाना से जोड़कर देखते हैं। हालांकि, प्रमाण इसी बात की गवाही देते हैं कि यह हिन्दुओं का पवित्र स्थान है। जैसा कि अन्य स्थानों पर आक्रांताओं ने हिन्दुओं का अपमान करने की दृष्टि से मंदिरों को तोड़कर उसके ही अवशेषों से तथाकथित मस्जिदें बना दी थीं, वैसा ही घटनाक्रम भोजशाला में हुआ जान पड़ता है। केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक पद्धति से सर्वेक्षण करके, 2000 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप दी है। तीन महीने से अधिक समय तक चले वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान ही बहुत सारे प्रमाण देश के सामने आ चुके हैं, जो बताते हैं कि भोजशाला का निर्माण राजा भोज ने कराया था और यह एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है। सर्वेक्षण के दौरान 94 पौराणिक मूर्तियां मिली हैं। खंभों पर हिन्दू देवताओं की आकृतियां दिखायी देती हैं। खुदाई में हिन्दू भगवान गणेश, ब्रह्मा, नरसिंह और भैरव सहित अन्य देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। इसके साथ ही पौराणिक काल के सिक्के भी सर्वे के दौरान मिले हैं। कुल मिलाकर 1700 से अधिक अवशेष और ठोस प्रमाण मिले हैं, जो भोजशाला पर हिन्दुओं के दावे को मजबूत करते हैं। किसी मस्जिद या दरगाह में से हिन्दू देवी-देवताओं के अवशेष क्यों निकलेंगे भला? ये अवशेष तो भोजशाला की हिन्दू कहानी को ही सुना रहे हैं। इतने सब प्रमाण सामने आने के बाद होना तो यह चाहिए कि मुस्लिम समुदाय भोजशाला पर अपना जबरन का दावा छोड़ दे। यदि मुस्लिम समुदाय प्रमाणों के सामने आने के बाद भी जोर-जबरदस्ती करता हुआ दिखायी देगा तो उससे यही संदेश जाएगा कि आज भी भारत का मुसलमान आक्रांताओं के साथ अपने संबंध जोड़ता है। सांप्रदायिक सद्भाव की दिशा में मुस्लिम समुदाय को भी उदारता एवं समझदारी दिखानी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि काशी से लेकर अयोध्या तक मुस्लिम समाज ने कभी भी उदारता का प्रदर्शन नहीं किया। हैरानी है कि खुला सच होने के बाद भी मुस्लिम समुदाय उसे स्वीकार क्यों नहीं करता है? कोई सामान्य व्यक्ति भी भोजशाला को प्रथम दृष्टया देखकर बता सकता है कि यह एक हिन्दू मंदिर है लेकिन इस सामान्य बात को मुस्लिम समुदाय स्वीकार करने को तैयार नहीं है। केंद्रीय पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में विस्तार से भोजशाला से प्राप्त प्रमाणों का उल्लेख है। इसलिए अनुमान है कि न्यायालय का निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में ही आएगा। यह अंदाजा मुस्लिम पक्षकारों को भी है इसलिए उसकी ओर से मामले को सर्वोच्च न्यायालय तक लेकर जाने के संकेत दिए जा रहे हैं। मुस्लिम पक्षकारों को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा करके मामले को कुछ दिन और खींचा जा सकता है लेकिन सत्य को नहीं बदला जा सकता है। सच को जितनी जल्दी स्वीकार कर लिया जाए, उतना ही अच्छा है।
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