Home » माफिया का अंत और तुष्टीकरण की राजनीति

माफिया का अंत और तुष्टीकरण की राजनीति

कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर जिस प्रकार की राजनीति विपक्ष के कुछ राजनीतिक दलों ने दिखायी है, उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। मुस्लिम समुदाय के वोट पाने के लिए हमारे नेता आखिर कितना नीचे गिरेंगे? मुख्तार अंसारी सामान्य अपराधी ही नहीं था अपितु सांप्रदायिक अपराधी था। हिन्दुओं को लक्षित करने एवं उनकी हत्या के आरोप अंसारी पर थे। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के भाई अवधेश राय की गोलियों से भूनकर हत्या करने के मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा मिली हुई थी। परंतु, दुर्भाग्य की बात है कि वोटों की भूख में अंधे कांग्रेस के नेता अवधेश राय के हत्यारे के पक्ष में खड़े दिखायी दिए। उसके प्रति गहरी संवेदनाएं प्रकट करते नजर आए। इतना ही नहीं, जिन लोगों ने मुख्तार अंसारी का इतिहास याद दिलाने की कोशिश की, कांग्रेस के नेताओं ने सोशल मीडिया में उनको भी निशाने पर लिया। कांग्रेस के नेताओं ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए और उत्तरप्रदेश की योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया। समाजवादी पार्टी ने तो सब प्रकार का लोक-लिहाज छोड़कर माफिया का साथ दिया है। वैसे भी मुख्तार अंसारी की राजनीति सपा से ही चलती है। सपा ने गाज़ीपुर सीट से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को टिकट दिया है। बहुजन समाजवादी पार्टी भी माफिया के प्रति संवेदनाएं प्रकट करने में पीछे नहीं रही। दरअसल, उत्तरप्रदेश में कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे विपक्षी दल मुख्तार अंसारी की मौत को मुद्दा बनाने की कोशिशें इसलिए कर रहे हैं ताकि मुस्लिम बहुल इलाके में राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, बलिया ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। ऐसे में कहीं ना कहीं मुख्तार अंसारी से हमदर्दी दिखाने की वजह से इन क्षेत्रों में कुछ राजनीतिक दलों को फायदे की उम्मीद दिखाई दे रही है। विपक्ष की ओर से तुष्टिकरण की राजनीति करने की कोशिश इसलिए ही हो रही है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मुख्तार अंसारी की मौत उत्तर प्रदेश में कितना बड़ा मामला बन पाती है और चुनाव में इसका असर क्या होता है? लेकिन एक बात तय है कि वोटों के लालच में जब तक राजनीतिक दल कुख्यात माफियाओं का समर्थन करेंगे, तब तक अपराध पर काबू नहीं पाया जा सकता। विडम्बना देखिए कि यही राजनीतिक दल स्वयं को संविधान, लोकतंत्र और सेकुलरिज्म का झंडाबरदार बताते नहीं थकते हैं। एक सांप्रदायिक माफिया के प्रति संवेदनाएं दिखाकर कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे दल किस मुंह से स्वयं को सेकुलर कह सकते हैं? इस प्रकरण से एक बार फिर साबित होता है कि इन राजनीतिक दलों को केवल और केवल वोटों से मतलब है, भले ही वो अपराधियों का समर्थन करने से मिलें। कहीं न कहीं मुस्लिम समुदाय की मानसिकता भी राजनीतिक दलों के इस व्यवहार के लिए जिम्मेदार है। जिस प्रकर की भीड़ मुख्तार अंसारी के जनाजे में दिखी है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि मुस्लिम समुदाय में भी माफियाओं के लिए विशेष सहानुभूति है। समुदाय का इस प्रकार का समर्थन मिलने से अपराधियों का मनोबल ऊंचा होता है और उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। समुदाय का साथ मिलने से अपराधी जातीय और सांप्रदायिक अपराध की ओर भी प्रवृत्त होते हैं। एक अपराधी के जनाजे में शामिल इस भीड़ को लेकर सभ्य नागरिक समाज के माथे पर चिंता की लकीरें भी दिखीं, जो स्वाभाविक हैं। याद रखें कि योगी राज में उत्तरप्रदेश में अन्य अपराधी भी खत्म हुए हैं लेकिन उन्हें अपने समुदाय या जाति का इस प्रकार का समर्थन नहीं मिला, जिस प्रकार का समर्थन मुस्लिम अपराधियों को अपने समुदाय का मिलता है।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd