प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पैरोकार के तौर पर स्थापित हो गए हैं। समुद्र में डूबी हुई भगवान श्रीकृष्ण की नगरी प्राचीन द्वारका के दर्शन करके और विकास परियोजनाओं को लोकार्पित करके बड़ा संदेश दिया है। प्रधानमंत्री ने उस तथ्य को स्थापित किया है, जो भारत के उस इतिहास के प्रति विश्वास जगाता है, जिसे तथाकथित इतिहासकारों ने पौराणिक कथाएं कहकर अनदेखा किया है। पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध होने के बाद भी कभी रामसेतु को तो कभी प्राचीन द्वारका को नकारने के प्रयत्न भारत में हुए हैं, भाजपा को साधुवाद है कि उसने न केवल संघर्ष करके रामसेतु की रक्षा की अपितु ऐसे अन्य स्थानों को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने का कार्य भी किया है। प्रधानमंत्री जब समुद्र की गहरायी में जाकर प्राचीन द्वारका के दर्शन और भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति कर रहे थे, तब यह दृश्य दुनिया देखी रही थी। भारत के प्रधानमंत्री ने अपने वैभवशाली प्राचीन इतिहास और विरासत के प्रति विश्व में एक आकर्षण पैदा किया है। स्मरण रखें कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारकाधीश थे। कहा जाता है कि द्वापर में उनके परलोक गमन के बाद द्वारका नगरी समुद्र में विलीन हो गई थी। जिस स्थान पर द्वारका नगरी होने की बात कही जाती है, वहाँ पर समुद्र में एक शहर मिला है। इस शहर के जलमग्न अवशेष अभी भी देखने में बेहद भव्य दिखता है। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे नेता हैं, जो हिन्दुत्व के साथ-साथ विकास पुरुष के रूप में पहचाने जाते हैं। देश की जनता ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यों को देखा-परखा इसलिए ही प्रधानमंत्री के तौर पर चुना। प्रधानमंत्री ने अपने दस वर्ष के कार्यकाल में हिन्दुत्व की छवि को बनाने के साथ-साथ विकास के कार्यों को गति दी है। एक ओर कांग्रेस है जो मंदिरों की आय पर टैक्स लगा रही है, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी हैं जो हिन्दू धर्म स्थलों पर विकास कार्यों को गति दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने द्वारका की जनता को 52 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की सौगात दी है। इसके साथ ही उन्होंने ओखा को बेट द्वारका से जोड़नेवाले सुदर्शन सेतु का लोकार्पण किया। यह सेतु देशभर से बेट द्वारका पहुँचनेवाले श्रद्धालुओं को सुविधा देगा। सुदर्शन सेतु द्वारकाधीश मंदिर में आने वालों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके साथ ही ओखा मेनलैंड को बेट द्वारका द्वीप से जोड़ने से इस क्षेत्र में संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। सुदर्शन सेतु के निर्माण से पहले तीर्थयात्रियों को बेयत, द्वारकाधीश मंदिर तक पहुँचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था। बेट द्वारका ओख बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका से 30 किलोमीटर दूर है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पर्यटन को बढ़ाने के अद्भुत प्रयास किए हैं, जिनके कारण पर्यटन भी बढ़ रहा है और स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ रहे हैं। लक्षद्वीप के बाद प्रधानमंत्री ने द्वारका में स्कूबा डाइविंग करके इस रोमांचक गतिविधि के प्रति न केवल आकर्षण पैदा किया है बल्कि यह संदेश भी दिया है कि हमारे देश में अनेक ऐसे स्थान हैं जहाँ हम उन सब गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिनके आकर्षण में हम विदेश जाते हैं। प्राचीन द्वारका के सामने प्रधानमंत्री को श्रद्धाभाव प्रकट करते देख अब देश-दुनिया के ऐसे लोग भी श्रीकृष्ण की नगरी के दर्शन करना चाहेंगे, जिनकी हिन्दू धर्म में आस्था है या फिर जो प्राचीन विरासत को देखना पसंद करते हैं।
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