कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रमुख नेता राहुल गांधी अमेरिका प्रवास पर हैं। अमेरिका में उनके दिए बयानों से खड़ा हुआ विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि उनके राजनीति गुरु माने जानेवाले सैम पित्रोदा ने भगवान श्रीराम, हनुमान और राम मंदिर को लेकर ऐसी बातें कह दी हैं, जो हिन्दुओं को कष्ट पहुँचा रही हैं। याद रखें कि भारत के बाहर राहुल गांधी के प्रवास का प्रबंधन सैम पित्रोदा के ही हाथों में है। इसके साथ ही यह भी याद रखें कि श्रीराम, हनुमान एवं मंदिर के प्रति हेय को प्रकट करनेवाली टिप्पणी भी पित्रोदा ने कांग्रेस के मुख्य नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में की है। विभिन्न चुनावों के दौरान कांग्रेस कितनी ही कोशिश करती है कि वह हिन्दुओं की हितैषी दिखे, लेकिन जैसे ही चुनाव बीत जाते हैं उसके बाद कांग्रेस के नेता इस प्रकार की बयानबाजी करने लगते हैं, जो साफ तौर पर हिन्दू विरोधी होती है। कर्नाटक का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वहाँ के नेता जिस प्रकार गोहत्या को सामान्य बता रहे हैं, उससे बहुत कुछ समझा जा सकता है। बहरहाल, राहुल गांधी की अमेरिका में उपस्थिति के दौरान ही जिस प्रकार से सैम पित्रोदा ने श्रीराम, हनुमान और मंदिर पर निशाना साधा है, उससे एक बार फिर यही संदेश जा रहा है कि कांग्रेस चुनावों के लिए ही राम और हनुमान का नाम लेती है, उसके बाद वह उसी रूप में आ जाती है, जैसी उसकी छवि बनी हुई है। पित्रोदा कह रहे हैं कि “बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर समस्या है। कोई इसके बारे में बात नहीं करता। हर कोई राम, हनुमान और मंदिर के बारे में बात करता है। मैं कहता हूं कि मंदिरों से नौकरी नहीं मिलने वाली है”। पित्रोदा को लगता है कि श्रीराम के देश भारत में श्रीराम, हनुमान और मंदिर की बात करना बेमानी है, तब उन्हें यह बात अपने ही नेता राहुल गांधी को समझानी चाहिए, जो चुनाव आते ही मंदिर-मंदिर परिक्रमा करने लगे हैं। यह बात उन्हें कांग्रेस के उन नेताओं को भी समझानी चाहिए जो स्वयं को भाजपा से अधिक हिन्दू हितैषी दिखाने के लिए हनुमान चालीसा और रामायण पाठ के आयोजन पूरे प्रदेश में कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में अचानक से कांग्रेस पर हनुमान भक्ति का रंग चढ़ गया है, तो वहीं छत्तीसगढ़ की कांग्रेस राम की भक्ति में डूबी हुई दिखने का प्रयास कर रही है। सैम पित्रोदा को चाहिए कि कांग्रेस के इन मुख्यमंत्रियों को रोके। देश के नागरिक सोशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए उचित ही सवाल पूछ रहे हैं कि क्या श्रीराम, हनुमान और मंदिर का नाम नहीं लेने से रोजगार मिल जाएगा? भाजपा ने भारत की अर्थव्यवस्था के आंकड़े सामने रखकर उचित ही जवाब दिया है। पित्रोदा भूल रहे हैं कि भगवान श्रीराम और हनुमान का नाम लेनेवाली, अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली सरकार के कार्यकाल में ही भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के बड़े देशों को पीछे छोड़कर विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनियाभर की आर्थिक संस्थाएं भारत के विकास को लेकर आशान्वित हैं। अमेरिका में बैठे सैम पित्रोदा को भारत आकर देखना चाहिए कि श्रीराम और मंदिर ने किस प्रकार लोगों का जीवन बदल दिया है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनेगा, तब कितने ही लोगों को रोजगार मिलेगा, इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है। मंदिर निर्माण के दौरान ही कितने ही लोगों को रोजगार मिल रहा है, यह भी पित्रोदा को आकर देखना चाहिए। दरअसल, रोजगार और अर्थव्यवस्था का प्रश्न ही नहीं है, बल्कि पित्रोदा जैसे कांग्रेसी नेताओं की पीड़ा यही है कि भारत अपने स्वाभिमान के साथ क्यों जुड़ रहा है? हिन्दुओं को गौरव की अनुभूति करानेवाले काम क्यों किए जा रहे हैं? सैम पित्रोदा जो कह रहे हैं, उसके साथ कांग्रेस की सहमति भी दिखायी देती है क्योंकि न तो उस समय पित्रोदा के बयान का विरोध किया गया और न अब तक कांग्रेस की ओर से इस पर कोई स्पष्टीकरण आया है। एक ओर राहुल गांधी मुस्लिम लीग को घनघोर सेकुलर बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी उपस्थिति में उनके राजनीतिक गुरु कहे जानेवाले सैम पित्रोदा श्रीराम, हनुमान और मंदिर की महिमा पर प्रश्न उठा रहे हैं।
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