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‘आरक्षण’ पर घिरी कांग्रेस

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बहुत ही दंभ के साथ ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान दावा किया कि उनकी सरकार आएगी तो 50 प्रतिशत की आरक्षण की सीमा को समाप्त करके आरक्षण की सीमा को और बढ़ाएंगे। हालांकि, अभी तक का वातावरण देखकर यही लगता है कि कांग्रेस की सरकार आना तो दूर, सम्मानजनक सीटें प्राप्त करना भी कांग्रेस के लिए चुनौती है। यही कारण है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सब प्रकार के प्रयत्न कर रहे हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने पहले जातिगत जनगणना की बात उठानी शुरू की और अब आरक्षण की सीमा को समाप्त करने का दावा कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस को राहुल गांधी के इन विचारों से लाभ होने की जगह नुकसान ही हो रहा है। पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम इस बात के साक्षी हैं। यानी कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की नीति एवं बयान कांग्रेस को उसकी खोयी हुई राजनीतिक जमीन दिलाने की जगह उसकी मुश्किल और अधिक बढ़ा रहे हैं। आरक्षण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के संदर्भ में एक रहस्योदघाटन करके कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए इतिहास के झरोखे से पंडित नेहरू का एक पत्र निकालकर देश के सामने रखा, जो नेहरूजी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा था। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा था कि “वे किसी प्रकार के आरक्षण को पसंद नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आरक्षण जैसी चीजें अक्षमता और दोयम दर्जे के मानकों की ओर ले जाती हैं। मैं चाहता हूं कि मेरा देश हर चीज में फर्स्ट क्लास देश बने। जिस समय से हम दोयम दर्जे को प्रोत्साहित करते हैं, हम खो जाते हैं”। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का यह 1947-1964, खंड 5, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1989, के पृष्ठ क्रमांक 7 पर मौजूद है। कांग्रेस को यह अवश्य ही स्पष्ट करना चाहिए कि राहुल गांधी की सही हैं या फिर पंडित जवाहरलाल नेहरू? कांग्रेस पंडित नेहरू को अपना आदर्श मानती है। उनके विचारों एवं नीतियों के आलोक में कांग्रेस अपनी नीतियां तय करती है। तब उसे स्पष्ट करना ही होगा कि आखिर क्या कारण हैं कि आरक्षण के मुद्दे पर वह अपने ही आदर्श के विपरीत चल रही है। आजकल कांग्रेस ने जो राजनीतिक राह पकड़ी है, उसे कतई नेहरूवादी नहीं कहा जा सकता। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि कांग्रेस पर कम्युनिस्ट विचार पूरी तरह हावी हो चुका है। जातिगत जनगणना के मामले में भी राहुल गांधी का दुराग्रह पंडित नेहरू की सोच के विरुद्ध और कम्युनिस्ट विचार के अनुकूल है। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने यह तय किया था कि भारत सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराएगी, क्योंकि ये समाज में विभाजनकारी हो सकते हैं। उस समय केवल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की गणना की गई क्योंकि उन्हें आरक्षण देना था। लेकिन आज राहुल गांधी अपने लगभग प्रत्येक भाषण में जातिगत जनगणना की बात करते हैं, जातियों के आधार पर हिस्सेदारी की बात करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के सामने संकट खड़ा कर दिया है कि वह अपने आदर्श पंडित नेहरू का पक्ष ले या फिर राहुल गांधी के विचारों का समर्थन करे। कांग्रेस भले ही चुप्पी साध ले लेकिन अब तो यह विषय विमर्श के केंद्र में रहेगा।

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