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राहुल गांधी के ‘शक्ति’ वाले बयान पर घिरी कांग्रेस

अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में लगी कांग्रेस को राहुल गांधी के एक बयान ने फंसा दिया है। अपनी तथाकथित न्याय यात्रा के समापन अवसर पर राहुल गांधी ने भाषण देते समय कह दिया कि “हिंदू धर्म में शक्ति शब्द होता है। हम शक्ति से लड़ रहे हैं, एक शक्ति से लड़ रहे हैं”। उनके इस बयान को हिन्दू धर्म और मातृशक्ति के विरोध में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राहुल गांधी के इस बयान को भारतीय संस्कृति, हिन्दू धर्म और महिलाओं से जोड़कर लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा बना दिया है। यह बयान कांग्रेस को कितना नुकसान पहुँचा सकता है, इस बात का अंदाजा होते ही राहुल गांधी को स्पष्टीकरण देने को मजबूर होना पड़ा है। राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी उनसे डरते हैं इसलिए उनके बयान को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत कर रहे हैं। राहुल गांधी क्या कहना चाहते थे, यह तो उनको ही पता होगा लेकिन उन्होंने जिस संदर्भ में ‘शक्ति’ का उल्लेख किया, उससे आम जनता भी वही समझ रही है, जो प्रधानमंत्री मोदी बता रहे हैं। माना कि राहुल गांधी कहना चाह रहे थे कि वे सत्ता की शक्ति से लड़ रहे हैं। यदि ऐसा सही भी है तब उन्होंने हिन्दू धर्म का उल्लेख क्यों किया? हिन्दू धर्म का उल्लेख करके उन्होंने मामले को बिगाड़ा है। हिन्दू धर्म की परंपरा में जो शक्ति शब्द आता है, उसका अभिप्राय सामान्यतौर पर मातृशक्ति से है। अगले माह भारतीय समाज नवदुर्गा उत्सव मनाएगा, यह उत्सव शक्ति की उपासना का उत्सव कहा जाता है। जब हम ‘शक्तिपीठ’ कहते हैं, तो कोई भी समझ सकता है कि देवी के पवित्र स्थानों की बात हो रही है। किसी भी सामान्य नागरिक से भी यह पूछा जाए कि हिन्दू धर्म में शक्ति किसे कहा गया है, तो वह भी यही उत्तर देगा कि ‘हिन्दू धर्म में शक्ति का अर्थ मातृशक्ति’/देवी से है’। भारतीय संस्कृति की जरा-सी जानकारी रखने वाला जिस बात को जानता है, उसे कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व क्यों नहीं जानता? कांग्रेस का कोई भी नेता इस प्रश्न का उत्तर भी नहीं देता कि हिन्दू धर्म की जगह किसी और संप्रदाय के संबंध में इस प्रकार की टिप्पणियां क्यों नहीं की जाती? विपक्षी गठबंधन के नेता भी हिन्दू धर्म को लक्षित करते हैं। कभी कोई नेता सनातन धर्म की तुलना बीमारियों से करता है तो कभी सनातन को समाप्त करने की बात कहता है। कांग्रेस को यह बात समझनी चाहिए कि उसके नेताओं के बयानों के कारण समाज में यह धारणा और दृढ़ हो रही है कि विपक्षी राजनीतिक दल हिन्दुओं के विरोध में हैं। नागरिक संहिता कानून के विरोध को भी इसी दृष्टि से देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए बहुत बड़ी बात कही है- ‘इंडी गठबंधन वाले लोग बार-बार, जानबूझकर हिंदू धर्म का अपमान करते हैं। हिंदू धर्म के खिलाफ इनका हर बयान बहुत सोचा समझा हुआ होता है। और किसी धर्म का अपमान डीएमके और कांग्रेस का इंडी गठबंधन नहीं करता, किसी और धर्म के खिलाफ इनकी जुबान से एक शब्द नहीं निकलता। लेकिन हिंदू धर्म को गाली देने में ये एक सेकंड नहीं लगाते”। प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा है, वे हिन्दू समाज के भी प्रश्न हैं। इसलिए राहुल गांधी का ‘शक्ति’ संबंधी बयान तेजी से लोगों के मन में कांग्रेस के प्रति गुस्सा पैदा कर रहा है। देखना होगा कि कांग्रेस कैसे इस प्रकार के विवादों से पीछा छुड़ाती है। बहरहाल, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को अब बहुत संभलकर बयानबाजी करनी होगी क्योंकि उनका एक बयान पार्टी को बहुत पीछे धकेल सकता है।

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