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श्वेत पत्र से साफ तस्वीर

मोदी सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर 59 पृष्ठ का श्वेत पत्र लोकसभा के माध्यम से देश के सामने रखा है, जिसमें कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के घोटालों एवं नीति अक्षमता का विवरण दिया है और भाजपानीत राजग सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखा है। इस श्वेत पत्र के सामने आने से जनता दोनों पार्टियों की सरकारों के कार्यों का मूल्यांकन कर सकती है और उस आधार पर आम चुनाव में मतदान करके किसी एक पार्टी को देश संभालने के लिए जनादेश दे सकती है। यह बात तो सर्वविदित है कि एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिलने के बावजूद कांग्रेस सरकार ने उसे गैर-निष्पादित अर्थव्यवस्था में बदल दिया। वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, तो भारत की अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। देश में भ्रष्टाचार का वातावरण था। प्रशासन में प्रबंधन शून्य था। नीतियों का अकाल था। मोदी सरकार ने जनता के हितों को भी ध्यान में रखा और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कठोर निर्णय भी लिए। लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत श्वेत पत्र को जब हम देखते हैं तब ध्यान आता है कि इसे तीन हिस्सों में विभक्त किया गया है- एक, कांग्रेसनीत संप्रग सरकार में भारत की आर्थिक स्थिति। दो, संप्रग सरकार के विभिन्न घोटाले और तीन, मोदी सरकार में भारत की अर्थव्यवस्था और सरकार की उपलब्धियां। मोदी सरकार ने कांग्रेस के प्रमुख और बड़े 15 घोटालों की याद जनता को दिलायी है। वहीं, जनता से वायदा किया है कि उनकी सरकार 2027 तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देगी। सरकार के इस दावे पर जनता को विश्वास भी है क्योंकि उसने देखा है कि मोदी सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को न केवल 12वें स्थान से 5वें स्थान तक लेकर आयी है अपितु प्रतिकूल स्थितियों में भी उसने अर्थव्यवस्था को बखूबी संभाला। जैसे- कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के प्रभाव से देश की बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था हिल गई, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था इस चुनौती से पार निकल आई है। कल्याणकारी कदमों का जिक्र करते हुए श्वेत पत्र में कहा गया है कि कल्याण के माध्यम से सशक्तिकरण हमारी सरकार का मूलमंत्र रहा है। हमने बुनियादी सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच को प्राथमिकता देते हुए “सबका साथ, सबका विकास” दर्शन को अपनाया और इस दर्शन को साकार करने में एक भागीदारी, मिशन-मोड दृष्टिकोण अपनाया। श्वेत पत्र में ऐसा कोई भी दावा नहीं किया है, जो अप्रत्याशित हो। आम जनता जिन बातों से जुड़ती है और जिन तथ्यों को जानती है, उन्हीं बातों का स्मरण कराने का प्रयास किया गया है। श्वेत पत्र, एक तरह से देश की जनता को कांग्रेसकाल की अव्यवस्थाओं को दिखाता है और मोदी सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करता है। श्वेत पत्र के आधार पर देश की जनता कांग्रेस और भाजपा सरकार की तुलना भी कर सकती है। मोदी सरकार को जवाब देने के लिए कांग्रेस ने भी ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि ब्लैक पेपर में हमारा मुख्य मुद्दा बेरोजगारी है, जो देश का सबसे बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस ने ब्लैक पेपर के माध्यम से ‘10 साल, अन्याय काल’ का नारा दिया है। उम्मीद है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में इसी नारे के साथ उतरेगी। परंतु, मोदी सरकार के श्वेत पत्र के मुकाबले कांग्रेस का काला पत्र बहुत ही कमजोर है। उसमें वही घिसी-पिटी बातें हैं, जिन्हें जनता नकार चुकी है। वास्तव में दस वर्ष की मोदी सरकार पर अभी तक ऐसा कोई बड़ा आरोप नहीं है, जिस पर कांग्रेस उसे घेर सके।

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