कोरोना महामारी की दर्दनाक यादें अभी बिसरी भी नहीं है कि एक बार फिर चीन से अज्ञात बीमारी का खतरा बढ़ गया है। चीन में सर्दी-खांसी के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। चीन में प्रतिदिन हजारों बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें तेज बुखार है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है और किसी-किसी के फेफड़ों में गांठें भी बन रही हैं। इस अज्ञात बीमारी को अभी एक तरह का निमोनिया बताया जा रहा है। चीन का कहना है कि यह कोई नया वायरस नहीं है और इस बीमारी में सांस से जुड़ी बीमारियों में काम आने वाली एंटीबायोटिक असरदार हैं। चीन की छवि इस प्रकार की बन गई है कि उसके इस दावे पर विश्वास करना कठिन है। इसलिए चीन में सिर उठा रही इस बीमारी पर सभी देशों और वैश्विक संगठनों को नजर बनाकर रखनी चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन बीमारी के संबंध में चीन से जानकारी माँगी है। हालांकि चीन ने अब तक जो जानकारी सौंपी है, उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपर्याप्त बताया है। कोरोना के मामले में भी चीन ने कभी पूर्ण जानकारी सामने नहीं आने दी। याद हो, उस वक्त भी चीन यही कह रहा था कि यह सामान्य बीमारी है, चिंता की कोई खास बात नहीं है। लेकिन चीन के ये सारे दावे खोखले निकले थे और उसके झूठ की कीमत दुनिया ने चुकाई थी। दो-तीन महीने में ही सारी दुनिया एक खतरनाक महामारी की चपेट में आ गई थी। ईश्वर करे कि इस बार वैसा कुछ न हो लेकिन चीन की नीयत पर संदेह गहरा गया है। आखिर क्या कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को पूरी जानकारी नहीं दे रहा है। प्रश्न यह भी है कि चीन में ही नयी-नयी किस्म की बीमारियों क्यों जन्म ले रही हैं? क्या सच में चीन किसी प्रकार के जैविक हथियारों की तैयारी या परीक्षण कर रहा है? चीन में अचानक बढ़े सर्दी-खांसी के मामलों में यह भी तर्क दिए जा रहे हैं कि यह लॉकडाउन खुलने के बाद का साइड इफेक्ट हो सकता है। जॉन हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्यॉरिटी का कहना है कि पिछले साल जब अमेरिका में लॉकडाउन हटाया गया था तो बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों में अचानक वृद्धि देखने को मिली थी। कारण यह कि लॉकडाउन में अन्य बीमारियों का प्रसार रुक जाता है। जब लॉकडाउन खुलता है तो इस तरह की बीमारियां तेजी से फैलती हैं, और ऐसा लगभग हर देश में देखा गया है। भारत में भी जब लॉकडाउन खोला गया था तो लोगों में इन्फ्लुएंजा और सांस से जुड़ी अन्य बीमारियां तेजी से फैली थीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि इस बीमारी में महामारी जैसे कोई आसार नहीं दिख रहे हैं, यह राहत भरी बात है। फिर भी चीन के मामले में किसी प्रकार की शिथिलता, लापरवाही और अनदेखी भारी पड़ सकती है। अच्छी बात है कि भारत सरकार ने इस बीमारी को गंभीरता से लिया है और इसके लिए राज्यों और स्वास्थ्य व्यवस्था को सचेत कर दिया है। एक और राहत की बात यह है कि इस अज्ञात बीमारी का एक भी प्रकरण अभी तक दुनिया के किसी दूसरे देश में नहीं मिला है। बावजूद इस सबके हमें सावधान रहना चाहिए। सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों को कड़ाई से पालन करना और कराना चाहिए।
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