विधानसभा चुनाव में बड़ा जनादेश प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी सरकार का पहला पूर्ण बजट प्रस्तुत किया है, जो मध्यप्रदेश की आकांक्षाओं को पंख लगानेवाला है। मोहन सरकार का बजट सब प्रकार से संतुलित है। बजट की विशेषता है कि उसमें सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा है और विकास के पथ पर मध्यप्रदेश को आगे ले जाने का संकल्प भी व्यक्त किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेता अकसर कहते हैं कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, वहाँ तेज गति से विकास होता है क्योंकि सही अर्थों में वहाँ ‘डबल इंजन की सरकार’ काम कर रही होती है। यहाँ यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि ‘डबल इंजन की सरकार’ का अर्थ यह कतई नहीं है कि भाजपा शासित राज्यों को केन्द्र की मोदी सरकार विशेष सहायता पैकेज देती है। दरअसल, भाजपा शासित प्रदेश तेजी से विकास इसलिए भी कर पाते हैं क्योंकि वे केंद्र सरकार के उद्देश्यों एवं विजन को समझकर उसके साथ कदमताल करते हैं। जबकि कांग्रेस एवं विपक्षी दलों की सरकारें केंद्र की अपेक्षाओं के ठीक प्रतिकूल चलती हैं। मध्यप्रदेश के बजट को देखकर सबने यही कहा है कि यह बजट प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत मिशन को आगे बढ़ाने में मध्यप्रदेश के योगदान को सुनिश्चित करने की दृष्टि से तैयार किया गया है। अर्थात् मध्यप्रदेश के बजट को लेकर हम कह सकते हैं कि इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृष्टि है और डॉ. मोहन यादव की सृष्टि है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिन चार जातियों या कहें कि वर्गों (युवा, महिला, गरीबी और किसा) पर जोर दिया था, उनको सक्षम बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बजट में विशेष प्रावधान किए हैं। कहना होगा कि मध्यप्रदेश का बजट युवा, महिलाओं, गरीबों एवं किसानों को समर्पित है। स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भी कहा है कि ‘विकसित भारत-विकसित मध्यप्रदेश’ की थीम पर प्रस्तुत बजट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपेक्षा अनुसार जीडीपी की ग्रोथ को सुनिश्चित करते हुए आगामी पांच वर्षों में बजट का आकार दोगुना किया जाएगा। बजट में सभी वर्गों विशेषकर युवा, गरीब, महिला, किसान का ध्यान रखा गया है। भाजपा के अब तक के शासनकाल में मध्यप्रदेश के बजट का आकार निरंतर बढ़ रहा है, जो प्रदेश की विकास की ओर संकेत करता है। मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोककल्याणकारी योजनाओं के लिए भी बजट का प्रावधान करके कांग्रेस के उन सब झूठे दावों को ध्वस्त किया है, जिनके तहत कहा जा रहा था कि शिवराज सरकार की योजनाएं अब बंद कर दी जाएंगी। बजट से इतर एक और महत्वपूर्ण बात है जिसकी चर्चा होनी चाहिए- विपक्ष की हो-हल्ला की प्रवृत्ति। मध्यप्रदेश के कांग्रेसी नेता भी अपने शीर्ष नेताओं से सदन में हंगामा करने की गलत परिपाटी को सीख रहे हैं। मध्यप्रदेश में इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि वित्त मंत्री बजट प्रस्तुत कर रहे हों और पूरे समय विपक्ष ने हंगामा किया हो। मध्यप्रदेश की विधानसभा में न भाजपा ने और न ही इससे पहले कांग्रेस के नेताओं ने ऐसा कभी किया है। बीते दिन जब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा प्रदेश के हर वर्गों के लिए सौगातों का पिटारा खोल रहे थे, तब विपक्ष की ओर से पूरे समय ठीक उसी प्रकार नारेबाजी और हो-हल्ला किया गया, जिस प्रकार का हंगामा राहुल गांधी के संकेत पर संसद में किया गया। विपक्ष से इस प्रकार का आचरण अस्वीकार्य है। सत्ता पक्ष हो या प्रतिपक्ष, दोनों से सदन में गंभीरता एवं मर्यादा की अपेक्षा की जाती है। बहरहाल, मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने एक संतुलित बजट से मध्यप्रदेश के विकास को लेकर अपने विजन की एक झलक दी है। विश्वास है कि मध्यप्रदेश विकास की नयी गाथा लिखेगा।
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