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तीसरी बार सरकार बनाए भाजपा लेकिन सबक भी ले

लोकसभा चुनाव का परिणाम सभी राजनीतिक दलों को सबक देनेवाला रहा है। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अवश्य ही तीसरी बार सरकार बनाकर रिकॉर्ड बना रहे हैं लेकिन उन्हें वैसी जीत नहीं मिली है, जिसकी अपेक्षा उन्होंने की थी। 370 का नारा देने वाली भाजपा 272 का आंकड़ा नहीं छू पाई है। भाजपा को सबसे अधिक नुकसान हिन्दी पट्‌टी ने उन राज्यों से हुआ, जिनसे भाजपा को बहुत उम्मीद थी। उत्तरप्रदेश ने बहुत बड़ा झटका भाजपा को दिया है जबकि माना जा रहा था कि श्रीराम मंदिर और उत्तरप्रदेश में हुए विकास का फल भाजपा को मिलेगा। राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा में भाजपा आधी से भी कम हो गई। तमिलनाडु और पंजाब में खाता भी नहीं खुल सका है जबकि इस बार लग रहा था कि भाजपा को यहाँ से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि भाजपा के लिए उत्साह के भी कई संकेत इन परिणामों में छिपे हैं। केरल में भाजपा का खाता खुलना, बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है। ओडिशा में भाजपा को अभूतपूर्व जनादेश मिला है। वहाँ तो राज्य सरकार भी भाजपा बना रही है। इसी तरह तेलंगाना ने भी भाजपा की लाज बचा ली। मध्यप्रदेश में भी भाजपा ने सभी 29 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। राजगढ़ से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ की पराजय मध्यप्रदेश में कांग्रेस में परिवर्तन का आधार बनेगी। 2014 में भाजपा ने 27 सीटें जीती, उसके बाद 2019 में 28 और इस बार सभी सीटों पर कमल खिला दिया है। नि:संदेह, इसके लिए भाजपा के संगठन और प्रदेश के नेतृत्व को श्रेय दिया जाना चाहिए। संगठन मंत्री हितानंद शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जमीनी स्तर पर चुनौतियों को पहचानकर ठीक प्रकार से मोर्चाबंदी करके भाजपा की यह जीत सुनिश्चित की है। वहीं, कांग्रेस सहित दूसरे राजनीतिक दलों के लिए भी इस जनादेश में संदेश छिपा है। कांग्रेस को अब यह मान लेना चाहिए कि चुनाव आयोग और ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है। यदि जनता के बीच अपनी बात को ठीक से पहुँचाया जाए तो उसका परिणाम मिलता है। हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेता अपनी अधूरी जीत पर इतने अधिक उत्साहित हो गए हैं कि उनकी बातों से अहंकार झलकने लगा है। कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि जनता ने उन्हें जनादेश नहीं दिया है। आज भी भाजपा ही सबसे बड़ी पार्टी है और भाजपानीत गठबंधन राजग को भी बहुमत मिला है। कांग्रेस की सीटें भाजपा के मुकाबले आधे से भी कम हैं। कांग्रेस को लग रहा है कि उसने भाजपा के गठबंधन को 400 पार नहीं करने दिया तब कांग्रेस को यह भी याद रखना चाहिए कि उन्होंने अपने लिए जो लक्ष्य तय किया था, वह उससे बहुत पीछे रह गई है। बहरहाल, किसी भी एक दल को बहुमत न देकर जनता ने एक बार फिर से गठबंधन की राजनीति को मौका दे दिया है।

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