प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि हिन्दूवादी नेता के तौर पर भारत में ही नहीं, अपितु विश्व में हो गई है। उन्हें एक ऐसे हिन्दू नेता के तौर पर देखा जा रहा है, जो अपनी हिन्दू पहचान पर गर्व करता है और सबको साथ लेकर चलता है। हिन्दू समाज के गौरव एवं आनंद को बढ़ानेवाले अवसरों पर उन्हें सब कोई उपस्थित देखना चाहते हैं। पिछले माह 22 जनवरी को उनकी गरिमामयी उपस्थिति में भारत की सांस्कृतिक राजधानी अयोध्या धाम में भगवान श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव का आयोजन सम्पन्न हुआ तो अब 13 फरवरी को भारत के बाहर संयुक्त अरब अमीरात के शहर अबु धाबी में पहले हिन्दू मंदिर के लोकार्पण समारोह में शामिल हुए। अयोध्या धाम से अबु धाबी तक प्रधानमंत्री मोदी हिन्दुत्व का परचम थामे भारतीय विचार के प्रतिनिधि के तौर पर दिखायी देते हैं। यूएई मुस्लिम बाहुल्य है, वहाँ हिन्दू समुदाय का भव्य मंदिर बनना, यह भी भारत की बढ़ती शक्ति एवं स्वीकार्यता का द्योतक है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से बीते एक दशक में खाड़ी के देशों के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं, उनमें एक विश्वास दिखायी देता है। इसी विश्वास का परिणाम हैं कि यूएई का अमीर भारत के प्रधानमंत्री को कहता है कि आपको मंदिर निर्माण के लिए जो जगह और जितनी जगह चाहिए, आप एक लाइन खींच दीजिए, वह जमीन आपकी हो जाएगी। किसी देश के प्रमुख की ओर से यह बात कह देना, भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ उसके संबंधों की गहरायी को प्रकट करती है। उल्लेखनीय है कि 1997 में बहरीन में पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के आचार्य प्रमुख स्वामी महाराज गए थे। अबु धाबी में BAPS से जुड़े भक्त पहले से ही एक छोटे से भवन में मूर्तियां रखकर भगवान की सेवा करते थे। तब अबु धाबी की रेत पर बैठकर प्रमुख स्वामी महाराज ने संकल्प किया था कि यहां भी एक मंदिर बनाऊंगा। इसका जिम्मा उन्होंने महंत स्वामी महाराज को दिया। महाराज के आदेश पर 2012 मंदिर के लिए जमीन तलाशने का काम शुरू हुआ। इस बीच मंदिर से जुड़े प्रमुख आचार्यों एवं प्रबंधकों ने यूएई के राष्ट्रपति और अबु धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के सामने दो-तीन जमीन का प्रस्ताव रखा। इस दौरान 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई के प्रवास पर पहुंचे। तब मोदी के सामने ही क्राउन प्रिंस ने मंदिर की अनुमति दी और वचन दिया कि वे मंदिर के लिए जमीन देंगे। बहरहाल, ‘अहलन मोदी’ (हेलो मोदी) कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए ऐसे कुछ प्रसंग भी सुनाये, जिनसे पता चलता है कि दोनों राष्ट्रप्रमुखों के मध्य रिश्तों में गहरा विश्वास है। भारत और यूएई के बीच तकनीक के आदान-प्रदान एवं विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण संधि भी हुई हैं। भारत ने आगे बढ़कर यूएई को यूपीआई से भुगतान करने की तकनीक दी है। यह निर्णय तकनीक के क्षेत्र में भारत की बढ़ती धमक को प्रदर्शित करता है। व्यापारिक रूप से भी दोनों देश एक-दूसरे के काफी नजदीक हैं। यूएई, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते जितने अधिक मजबूत होंगे, उतना ही लाभ दोनों देशों को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी का जिस ढंग से स्वागत किया गया है, उससे उनकी छवि वैश्विक स्तर के राजनेता के तौर पर और पक्की हो गई है। हिन्दू राजनेता के तौर पर यदि आज किसी को देखा जा रहा है, तो वह एक नाम भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का है।
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