विपक्षी दल अकसर आरोप लगाते हैं कि भाजपा ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की विरोधी है। जबकि इतिहास साक्षी है कि वर्तमान विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों की सरकारों ने ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया है। संविधान के अनुच्छेद 19 में संशोधन से लेकर आपातकाल और पत्रकारों के बहिष्कार से लेकर समाचारपत्र/चैनल पर प्रतिबंध लगाने तक अनेक उदाहरण हैं। विपक्षी गठबंधन के प्रमुख दल आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि उसने पंजाब में एक प्रमुख समाचार चैनल ‘जी न्यूज’ को प्रतिबंधित कर दिया है। चैनल ने खुद इसकी जानकारी दी है। चैनल ने कहा कि जी मीडिया के सभी चैनलों को पंजाब में बंद कर दिया गया है, वहाँ लोग अपने घर में जी के चैनल नहीं देख पा रहे हैं। मीडिया संस्थान ने इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताते हुए कहा है कि उसे पंजाब में ब्लैकआउट कर दिया गया है। चोर की भाँति आम आदमी पार्टी की दाड़ी में भी तिनका इसलिए भी नजर आ रहा है क्योंकि इस मामले में पार्टी या पंजाब सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब अब तक नहीं आया है। दिन-रात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र की दुहाई देनेवाली कांग्रेस भी पंजाब सरकार की चुप्पी पर प्रश्न नहीं उठा रही है। हालांकि कांग्रेस किस मुंह से इस मामले में बोलेगी क्योंकि कांग्रेस ने तो कुछ समय पर देश के लगभग 14 पत्रकारों की सूची जारी करके उनका सार्वजनिक बहिष्कार किया था। यह और बात है कि जनता के बीच अपनी बात पहुँचाने के लिए कांग्रेस के प्रवक्ता उन पत्रकारों के कार्यक्रम में लगातार जा रहे हैं। बीते दिन ही कांग्रेस के चेहरे राहुल गांधी ने एक वरिष्ठ पत्रकार की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने के उद्देश्य से उनके लिए ‘चमची’ शब्द का उपयोग किया। मीडिया और पत्रकारों के प्रति यह जो वातावरण कांग्रेस एवं विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से बनाया जा रहा है, वह किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस मानसिकता की जितनी आलोचना की जाए कम है। मीडिया को कभी ‘गोदी मीडिया’, चाटूकार, चम्मच, चमची इत्यादी उपमाएं देने का जो चलन विपक्ष की ओर से प्रारंभ हुआ है, वह घातक है। यह मानसिकता आपातकाल का स्मरण भी कराती है, जब कांग्रेस ने समाचारपत्रों की निगरानी के लिए सरकारी लोग बैठा दिए थे। उनको दिखाए बगैर कोई समाचार प्रकाशित नहीं हो सकता था। जो समाचार पत्र/पत्रिकाएं कांग्रेस के दमन के आगे झुके नहीं, उनकी स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए सत्ता के इशारे पर बिजली काट दी गई। डर यह है कि जब कभी कांग्रेस और विपक्षी दल सत्ता के केंद्र में आएंगे, तब मीडिया के प्रति इनका आचरण किस प्रकार का होगा? यह चिंता इसलिए भी है क्योंकि कई कांग्रेसी नेता पत्रकारों एवं मीडिया संस्थानों को चेतवनी देने हुए देखे जा सकते हैं। विपक्षी दलों के व्यवहार से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि ये केवल चुनावी लाभ के लिए ही लोकतंत्र, संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर बात करते हैं। इनकी सुरक्षा के संदर्भ में ये दल बहुत गंभीर नहीं है। जी मीडिया पर पंजाब में अघोषित प्रतिबंध लगाए जाने की सबको मिलकर निंदा करनी चाहिए। मीडिया की स्वतंत्रता भारत के लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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