Home » श्रीराम का पथ बनेगा सांस्कृतिक उन्नयन का आधार

श्रीराम का पथ बनेगा सांस्कृतिक उन्नयन का आधार

भारत में यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान का समय है। देश अपने ‘स्व’ से जुड़ने में गौरव की अनुभूति कर रहा है। आगामी जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे भव्य–दिव्य श्रीराम मंदिर का लोकार्पण होने जा रहा है। हिंदू समाज वर्षों से इस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था। इसी प्रकार वनवास के समय प्रभु श्रीराम जहां से गुजरे थे, उस मार्ग को विकसित करने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है। विभिन्न सरकारों ने भी कई बार ‘राम वन गमन पथ’ के निर्माण की घोषणा की है लेकिन अब तक इस दिशा में ठोस पहल कभी नहीं हुई। पहली बार मध्यप्रदेश सरकार ने ठोस पहल करते हुए ‘श्री रामचंद्र पथ गमन न्यास’ का गठन करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया है। यह न्यास श्री राम वन गमन पथ के विकास के सभी कार्यों की चिंता करेगा। सरकार ने जो योजना बनाई है उसके अनुसार राम वन गमन पथ में जहां पथ बनाया जाएगा, वहां तीर्थयात्रियों को कई सुविधाएं दी जाएंगी। परियोजना के पहले चरण में सड़क एवं फुटपाथ निर्माण, श्रद्धालुओं के रात्रि विश्राम के लिए स्थान, भोजन और साधना के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार किया जाएगा। वहीं, पथ के आस पास पर्यटन बढ़ाने के भी प्रयास होंगे। यह मार्ग जब आकार ले लेगा तो मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और आर्थिक उन्नति का आधार बनेगा। राम का काज सब प्रकार का कल्याण लेकर आता है। सरकार ने जिस तरह का संकल्प व्यक्त किया है, उसे देखकर विश्वास किया जा सकता है कि श्री राम का यह मार्ग अब जल्द की साकार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि “वनवास के समय प्रभु श्री राम जिन मार्गों से होकर गुजरे, वहां हम राम वन गमन पथ बना रहे हैं। आज देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं”। मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य संकेत करता है कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इस दौर में मध्यप्रदेश पीछे नहीं छूटना चाहता है। बताना होगा कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और संवारने में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। ओंकारेश्वर में आद्य गुरु शंकराचार्य की स्मृति में एकात्म धाम का विकास हो या महाकाल मंदिर में महाकाल लोक का निर्माण, सांस्कृतिक पुनरुत्थान के क्रम में उल्लेखनीय कार्य हैं। सरकार ने अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के विकास का संकल्प भी व्यक्त किया है। उल्लेखनीय है कि अपने 14 वर्षीय वनवास के दौरान राम की उपस्थिति सबसे अधिक समय तक मध्यप्रदेश में रही। एक प्रकार से राम की कृपा प्राप्त करने में मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली रहा है। यहां पर राम ने 11 साल 11 महीने और 11 दिन का समय गुजारा। प्रदेश में सतना जिले के चित्रकूट से राम की वन की यात्रा शुरू होती है। कामतानाथ मंदिर चित्रकूट से राम स्फटिक शिला और गुप्त गोदावरी के बाद सती अनुसुइया आश्रम पहुंचे। ये सभी स्थान सतना जिले में चित्रकूट में स्थित हैं। इसके बाद सलेहा मंदिर पन्ना, मैहर से होते हुए कटनी जिले के बड़वारा से होते हुए राम जबलपुर के शाहपुरा पहुंचे। जबलपुर के ग्वारी घाट से भी राम गुजरे हैं। यहां से सतना जिले के राम मंदिर तालाधाम से शहडोल के सीतामढ़ी और फिर अमरकंटक पहुंचे। चूंकि सबसे अधिक समय राम ने मध्यप्रदेश में गुजारा इसलिए राम पथ का निर्माण मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी भी है। इस बार उम्मीद है कि सरकार प्राथमिकता से अपने इस कर्तव्य का निर्वहन करेगी।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd