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बजरंग दल की तुलना पीएफआई से, किसे साधना चाहती है कांग्रेस?

कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में बजरंग दल की तुलना आतंकवादी संगठन पीएफआई से करके एक नये विवाद का जन्म दे दिया है। हालांकि कांग्रेस ने यह विवाद जानबूझकर खड़ा कराया है क्योंकि वह इस घोषणा एवं विवाद के माध्यम से एक विशेष वर्ग को आकर्षित करना चाहती है। बजरंग दल जैसे सांस्कृतिक एवं देशभक्त हिन्दू संगठन की तुलना कट्‌टरपंथी, अतिवादी एवं प्रतिबंधित गिरोह पीएफआई से करके कांग्रेस ने एक बार फिर संकेत दिया है कि उसकी मानसिकता में अब भी कोई बदल नहीं आया है। चुनावों के समय मंदिर-मंदिर जाना, माथे पर तिलक पोतना और जनऊ पहनना, केवल दिखाने के लिए है। असल में तो कांग्रेस अब भी मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर ही चल रही है। अन्यथा क्या आवश्यक था कि कांग्रेस आपने घोषणा-पत्र में वादा करती कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो वह बजरंग दल और पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे धार्मिक भावना भड़काने वाले संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही कड़ी कार्यवाही करेगी। याद हो कि जब राज्य और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, तब हिन्दुओं पर हमलों और दंगों में पीएफआई का बहुत नाम आया, परिणामस्वरूप देशभर से पीएफआई पर प्रतिबंध की माँग उठी, लेकिन कांग्रेस सरकारों ने प्रतिबंध तो क्या कठोर कार्रवाई भी नहीं की। पिछले दिनों कर्नाटक में ही देश के गृहमंत्री अमित शाह ने तो कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए यहाँ तक कह दिया था कि “जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, तब उसने पीएफआई के 1700 सदस्यों को रिहा कर दिया था। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है”। यह उचित प्रश्न है कि जब कांग्रेस के पास अवसर था, तब उसने सांप्रदायिक एवं हिंसक संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया? और अब जब भाजपा की सरकार उसे प्रतिबंधित कर चुकी है, तब कांग्रेस किस पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रही है? दरअसल, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रतिबंधित पीएफआई की तुलना कांग्रेस ने बजरंग दल के साथ इसलिए की है ताकि वह सेकुलर भी दिखती रहे और कट्‌टरपंथी मुस्लिम समुदाय के वोटबैंक को भी साध ले। उल्लेखनीय है कि जब भी कट्‌टरपंथी इस्लामिक संगठनों पर कार्रवाई होती है, तब कांग्रेस हिन्दू संगठनों का नाम उछालना शुरू कर देती है। कांग्रेस की ओर से हिन्दू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद की अवधारणा भी इस्लामिक आतंकवाद का बचाव करने के लिए गढ़ी गई थी। एक दौर में जब भारत में इस्लामिक आतंकवाद चरम पर था और समूचे देश में कट्‌टरपंथी इस्लामिक संगठनों को लेकर एक विमर्श खड़ा होने लगा था तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से हिन्दू और भगवा आतंकवाद जैसे शब्द उछाले गए। हिन्दुओं को बदनाम करने और कट्‌टरपंथी इस्लामिक संगठनों का बचाव करने के लिए हिन्दू संगठनों एवं नेताओं को हिंसक घटनाओं में फंसाने की साजिश तक रची गई। ईश्वर की कृपा से यह साजिशें सफल नहीं हो सकीं। परंतु बजरंग दल और पीएफआई को समान दिखाने की यह कोशिश बताती है कि कांग्रेस की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है।

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