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केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘भारत 6G गठजोड़’ की घोषणा की

  • दिल्ली में केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘भारत 6G गठजोड़’ की घोषणा की।
    नई दिल्ली |
    भविष्य की 6G तकनीक के लिए भारत ने अभी से कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। राजधानी दिल्ली में सोमवार को केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘भारत 6G गठजोड़’ की घोषणा की। इसके तहत टेलीकॉम क्षेत्र के सभी हितधारक एक छत के नीचे आकर नई तकनीक की दिशा में काम करेंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस समूह की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि 5जी में भारत दुनिया के साथ आगे बढ़ा है लेकिन 6G में हमारा लक्ष्य है कि दुनियाभर में हम सबसे आगे रहें। इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत 6G विजन लॉन्च’ किया था। इसी के तहत 6G समूह काम करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब दूरसंचार प्रौद्योगिकियों का निर्यातक बन चुका है और इसके पास पहले से ही 6G प्रौद्योगिकी से जुड़े करीब 200 पेटेंट हैं। हमें वर्ष 2030 तक 6G पेटेंट के मामले में भारत की हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए।
    चिप प्लांट का शिलान्यास जल्द: उन्होंने बताया कि गुजरात में चार से छह हफ्तों के अंदर भारत की पहली सेमीकंडक्टर चिप प्लांट का शिलान्यास किया जाएगा। इस प्लांट में सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन दिसंबर 2024 तक शुरू हो जाएगा। क्या है यह समूह: 6G गठजोड़ उद्योग जगत के नेतृत्व वाली संस्था होगी। इसमें सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल रहेंगी। साथ ही शैक्षणिक और शोध संस्थानों के भी प्रतिनिधि शामिल रहेंगे। इस संस्था का काम होगा कि 6G के इस्तेमाल से जुड़ी बारीकियों का अध्ययन करे। समूह 6G से जुड़े उपकरणों को तैयार करने और बाजार तक पहुंचाने में सहायक रहेगा।
    सभी क्षेत्रों के लिए उपयोगी: 6G तकनीक का इस्तेमाल रोबोटिक सर्जरी, ऑनलाइन ट्रीटमेंट जैसी स्वास्थ्य जरूरतों में होगा। वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में स्मार्ट क्लास के डिस्टेंस एजुकेशन के क्षेत्र में ये तकनीक इस्तेमाल में लाई जाएगी। कई देशों में हो रहा परीक्षण: इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के अनुसार यूरोप के कई देशों में 6G बेड की सुविधा है। यहां दुनियाभर में निर्मित हो रहे 6G टेक्नोलॉजी से जुड़े उत्पादों का परीक्षण हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन, स्पेन, फिनलैंड, ग्रीस और फ्रांस में इस पर काम चल रहा है। जापान में भी इसका परीक्षण जारी है।

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