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पहलवान, शाहीन बाग की दादियों के रास्ते पर चलने से परहेज करें!

  • फिरोज बख्त अहमद
    धोबी पाट आदि लगाने में लीन होना चाहिए था, आज चौराहे पर बैठे हैरान-ओ-परेशान हैं कि किस प्रकार की सियासी उठा-पटक के और मतलब परास्त राजनेताओं के चक्रव्यूह में फंस गए हैं। वास्तव में उस दिन तो पहलवानों पर, जिन में अधिकतर लड़कियां हैं, बड़ी दया आई जब दिल्ली में बारिश हुई और उसके बाद उन में और दिल्ली पुलिस में धक्का-मुक्की व सर-फुटव्वल हुई कि चारपाईयों की मनाही है और वे गीली ज़मीन पर ही सोएं। ऐसा प्रतीत हुआ कि इंसानियत टार-टार हो गई है। एक पहलवान के सर में भी गंभीर चोट आई, जो बेहोश हो गया और तुरंत उसे अस्पताल ले जाना पड़ा, जो कि बिलकुल ग़लत था। जबसे राजनीतिक तत्व उनके धरना प्रदर्शन में पधार रहे हैं, जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों को अब डर सताने लगा है। कुछ विपक्षी दलों ने इसे अपना एंटी-बीजेपी एजेंडा प्रमोट करने का मंच बना लिया है। इतना संवेदनशील मुद्दा कहीं सियासत की भेंट न चढ़ जाए, पहलवानों को यह आशंका है। कहीं बड़ी सियासी लड़ाई में पहलवान प्यादा न साबित हों, इसकी चिंता हो रही है।
    सभी की बहिन, बेटियां घर की इज्जत होती हैं और उनका बीच चौराहे पर बैठ कर धरना देना एक मन-मस्तिष्क को चीर देने वाली टीस होती है, और वह भी तब जबकि विश्व की विभिन्न कुश्ती प्रतियोगिताओं में इन बेटियों ने भारत के सर पर ताज रखा और तिरंगे को गौरवान्वित किया हो, चाहे वह विनेश फोगाट हों, साक्षी मालिक हों, गीता फोगाट हों, बजरंग पूनिया हों या कोई अन्य पहलवान हो। इन पहलवान महिलाओं का कहना है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष व सांसद, बृजभूषण शरण ने उनका शारीरिक व यौन शोषण किया है और उनको बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए। हालांकि सांसद के ऊपर पोकसो एक्ट के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कर ली गई है, मगर खुद को वह बेक़ुसूर ठहरा रहे हैं। टोक्यो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले बजरंग पूनिया, ओलिंपियन विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने सार्वजनिक रूप से इसके खिलाफ अपील की है। विनेश फोगाट ने कहा कि हम संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से हम न चाहते हैं कि हम आम आदमी भी सम्मान के हकदार हैं। हम सभी का सम्मान करते हैं और ऐसा नहीं कहेंगे जिससे कि उनके सम्मान को ठेस पहुंचे। अगर हमने गलती से कुछ कह दिया हो तो उसके लिए माफी चाहते हैं। यह सब ठीक है मगर पहलवानों को जंतर मंतर में शाहीन बाग की दादियों के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए जिससे उनके प्रदर्शन को हानि पहुंचेगी।
    भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवान 17 दिन से धरने पर डटे हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का राकेश टिकैत ने भी समर्थन किया है। जंतर-मंतर पर हर रोज पहलवानों के समर्थन में किसी ना किसी बड़े राजनेता की उपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है। उधर बृज भूषण शरण ने भी धमकी दी है कि उनके भी समर्थक हैं जिन्हें उन्होंने क़ाबू में कर रखा है। इस प्रकार का व्याख्यान एक संबी समाज में हरगिज़ भी जायज़ नहीं है। इस पूरे मसले पर बीजेपी खुलकर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। बीजेपी नेताओं ने हुड्डा पर पहलवानों को बातचीत के बजाय विरोध का रास्ता अपनाने की बात कही है। दीपेंद्र ने अब तक कई बार विरोध स्थल का दौरा किया है और भाजपा पर निराधार बातें करने का आरोप लगाया व तंज कसा है। संयुक्त किसान मोर्चा कर बैनर तले आये किसान और 80 से ज्यादा गांवों की खापों के प्रतिनिधियों ने ऐलान किया कि न्याय मिलने तक यह चलेगा और वे पहलवानों के साथ हैं। इन सब बातों से पहलवानों को ही नुकसान पहुँच रहा है।

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