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सेहत पर भारी ‘वर्क फ्रॉम होम’

  • ऋतुपर्ण दवे
    मजबूरी से जरूरत बनता ‘वर्क फ्रॉम होम’ अब सिरदर्द बनता जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य जगत से जुड़े लोग इसे लेकर पहले से ही काफी आशंकित थे कि अपनी मनमर्जी से काम करने की आदत सेहत पर भारी पड़ेगी। वही अब हकीकत में दिखने लगी है। लोगों को अब इसका नुकसान समझ में आने लगा है। कोरोना के चलते पूरी तरह बदली हुई जिंदगी में कभी असंभव सा लगने वाला ‘वर्क फ्रॉम होम’ इस कदर हावी हुआ कि दुनिया भर में लोग घर से ही काम करने लगे।
    जर्नल ऑफ एप्लाइड साइकोलॉजी में प्रकाशित उस अध्ययन ने तो दो बरस पहले ही इसको लेकर आगाह कर दिया था। तभी ऐसे शारीरिक और मानसिक दुष्परिणामों की दस्तक सामने आने लगी, जो वीडियो कॉन्फ्रेंस या ज्यादा वक्त ऑनलाइन रहने के चलते सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो रही थी। लेकिन जानते, समझते हुए भी बहुतेरे लोगों ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ की आड़ में घर में रहने और अपनी मनमर्जी के मुताबिक आरामदेह परिस्थितियों में काम करना जारी रखा। आराम के साथ काम करने की शैली ने शारीरिक दक्षता और फिटनेस को बुरी तरह प्रभावित किया।
    बिस्तर पर लेटे-लेटे, लैपटॉप पर काम निपटाना या घरेलू पोशाक में यहां-वहां बैठकर काम करने की आदत ने जहां दफ्तरों के अनुशासन को खत्म किया, वहीं रोज-रोज संगी-साथियों के साथ मुलाकात का अवसर भी छीन लिया। एक तरह से दफ्तर का रोजाना का गेट-टूगेदर भी खत्म हो गया। इस तरह ‘वर्क फ्रॉम होम’ के जरिये काम करने वाला वर्ग नितांत अकेला हो गया।
    माना कि कोरोना काल में यह मजबूरी थी, लेकिन प्रतिबंधों के हटने के बाद यह जरूरी क्यों बनी हुई है? डाटा जर्नलिज्म वेबसाइट ‘स्टैटिस्टा’ के हालिया सर्वे ने और चिंताएं बढ़ा दी हैं। अमेरिका में लगभग छह हजार लोगों के बीच कराए गए सर्वे में पाया गया कि वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने वाले लोग ज्यादा संख्या में बीमार हुए। इसमें बताया गया है कि 59 प्रतिशत लोगों को कमर दर्द, सिरदर्द ने परेशान किया, तो 54 प्रतिशत लोग ऐसे मिले, जिन्हें किसी न किसी प्रकार के दर्द ने जकड़ लिया। वर्क फ्रॉम होम करने वालों का पाचन तंत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। जिन्हें पेट की कभी कोई गंभीर शिकायत नहीं थी, उन्हें पाचन की समस्याएं होने लगीं। ऐसे लोगों का आंकड़ा 40 प्रतिशत तक पहुंच गया। दूसरी ओर, कार्यस्थल पर जाकर काम करने वालों में ये समस्याएं केवल 34 प्रतिशत निकलीं। हैरानी की बात यह रही कि घर के बंद कमरे में काम करने वाले 40 प्रतिशत लोग सर्दी-खांसी का शिकार हुए, वहीं दफ्तर के खुले माहौल में काम करने वालों का आंकड़ा केवल 34 प्रतिशत निकला। यह काफी चिंताजनक था कि घर बैठे लोग सर्दी-खांसी का ज्यादा शिकार हुए, जबकि ऑफिस वाले कम।

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