Home » अजेय भाजपा के मुकाबले कौन

अजेय भाजपा के मुकाबले कौन

  • कैलाश विजयवर्गीय
    भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक यात्रा को 6 अप्रैल को 43 वर्ष पूर्ण हुए हैं पर हमारी वैचारिक राजनीतिक यात्रा 21 अक्टूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना से प्रारम्भ हुई थी। आज हम देश के राजनीतिक परिद्श्य पर दृष्टि डाले तो भाजपा 20 करोड़ से ज्यादा सदस्यों के साथ विश्व में सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार के नौ वर्ष पूरे होने वाले है। मोदीजी के नेतृत्व में आज देश की सीमाएं सुरक्षित हैं। हथियारों के मामले में देश आत्मनिर्भर हुआ है और कई देशों को हथियार बेचे जा रहे हैं। आतंकवाद के विरोध में विश्वव्यापी अभियान छेड़ा गया है। देश में नक्सलवाद बहुत सीमित इलाके में बचा है। जनता के हित और कल्याण के लिए उठाए गए कदमों से देश की आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज हुई है। गरीब, किसान, मजदूर, महिलाओं, युवाओं, अनुसूचित जाति और पिछड़ों के लिए चलाई गई योजनाओं से उनकी हालत में सुधार आया है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का नारा मोदीजी के नेतृत्व में पूरी तरह साकार हुआ है।
    भाजपा का पूरे देश में विस्तार हुआ है। लोकसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 303 हैं और राज्यसभा में 92 सदस्य हैं। देश के 16 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। पूर्वोत्तर में भाजपा का परचम फहरा रहा है। आज हम विचार करें कि देश में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली कांग्रेस और गैरकांग्रेसवाद का नारा देने वाले राजनीतिक दलों की हालत क्या है। कांग्रेस का विरोध करने वाले नेता कुर्सी के लिए अपने-अपने विचारों और सिद्धांतों को तिलांजलि देते हुए उसकी शरण में जाते रहे हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए ज्यादातर विरोधी दलों के नेता प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए कांग्रेस के समर्थन को लालायित हो रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अयोग्य सांसद घोषित होने के बाद तो दलों में खींचतान और बढ़ गई है। आज देश में गैरकांग्रेसवाद की प्रासंगिकता पूरी तरह समाप्त हो गई है। सारे विरोधी दलों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनानी पड़ रही है।
    देश की स्वतंत्रता के बाद साठवें दशक में गैरकांग्रेसवाद के नारे की शुरुआत की गई पर स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस का मुकाबला करने में डा.मुखर्जी सबसे प्रमुख प्रखर नेता के तौर पर स्थापित हुए थे। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने के विरोध में प्रखर राष्ट्रवादी नेता डा.मुखर्जी ने ‘एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे’ का नारा देकर कांग्रेस को बड़ी चुनौती दी थी। डा.मुखर्जी के बलिदान से जनसंघ के विस्तार को बहुत आघात लगा था। समाजवादी नेता डा.राममनोहर लोहिया ने देश में गैरकांग्रेसवाद का नारा बुलंद करने के लिए जनसंघ का सहयोग लिया था। जनसंघ के नेता और एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने गैरकांग्रेसवाद नारे को साकार करने के लिए पूरी ईमानदारी से कार्य किया। दीनदयालजी के सहयोग के कारण ही 1967 के चुनावों में नौ राज्यों में शक्तिशाली कांग्रेस को बड़ा झटका दिया गया। हालांकि उस समय भी लोहियाजी के कुछ शिष्य जनसंघ का विरोध करते थे। आपातकाल में जनता पार्टी के गठन में जनसंघ ने विशेष भूमिका निभाई और कांग्रेस पहली बार केंद्र की सत्ता से दूर हुई। जनता पार्टी को तोड़ने में भी समाजवादी पृष्ठभूमि के नेताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार गिराकर कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह की सरकार बनाई। नतीजा यह हुआ कि 1980 में कांग्रेस ने फिर से इंदिरा गांधी के नेतृत्व में सरकार बना ली। 1991 में चंद्रशेखर भी इसी तरह कांग्रेस के खेल में फंस गए थे। इससे पहले 1980 में 6 अप्रैल को शीर्ष नेता अटल बिहारी के नेतृत्व में भाजपा की स्थापना करके देश में नई राजनीति की शुरुआत की गई। 1980 के बाद भाजपा के साथी अपनी सुविधा के अनुसार बदलते रहे। श्री अटल बिहारी वाजपेयी और श्री लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में देश की राजनीति ने 80 के दशक से परिवर्तन को देखना शुरू किया था। 1996 में वाजपेयीजी के नेतृत्व में देश में पहली बार विशुद्ध गैरकांग्रेस प्रधानमंत्री की सरकार बनी। वाजपेयी ने 13 दिन और 13 महीने की सरकार के बाद 1999 से 2004 तक सरकार का नेतृत्व किया।
    पूरा देश मान रहा है कि श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा अगले वर्ष फिर से केंद्र में सरकार बनाएगी। गैरकांग्रेसवाद का नारा लगाने वाले नीतीश कुमार ने बिहार में एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिलाकर बिहार जंगलराज की पुनरावृति करा दी है। भाजपा की एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल है जिसने देश को कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति, जातिवाद और वंशवाद से मुक्ति दिलाई है। गैरकांग्रेसवाद के नारे सहारे सत्ता का आनंद लेने वाले नेताओं को आज कांग्रेस के सहारे की आवश्यकता पड़ रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का गठन कांग्रेस की नीतियों के विरोध में हुआ था। उनके नेताओं को भी कांग्रेस का समर्थन लेने या देने से कभी परहेज नहीं रहा।
    आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले देश में कोई नेता नहीं दिखाई देता। हालत यह है कि सारे विरोधी दलों के नेता मिलकर भी मोदीजी का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा के पास गृहमंत्री अमित शाह जैसे रणनीतिकार हैं। श्री शाह के अध्यक्ष रहते हुए ही भाजपा ने देश में 21 राज्यों में भाजपा ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव पहले मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा के चुनाव भाजपा की जीत होगी और इस वर्ष के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भाजपा कांग्रेस को सत्ता बाहर कर देगी। यही है असली गैरकांग्रेसवाद। भाजपा के स्थापना दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd