Home » मतदान दिवस , छुट्टी का नहीं, देशहित में ड्यूटी का दिन

मतदान दिवस , छुट्टी का नहीं, देशहित में ड्यूटी का दिन

  • संदीप जोशी
    लोकतंत्र के महापर्व की मंगल वेला सन्निकट है, प्रशासनिक और राजनीतिक सक्रियता अपने परवान पर है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारी जागरूकता और सक्रियता कुछ बढ़ जाए तो लोकतंत्र की सफलता में चार चांद लग जाए। मतदान का प्रतिशत भी बढ़ जाएगा और लोकतंत्र के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य में और अधिक लोगों का प्रत्यक्ष सहभागी सुनिश्चित हो सकेगा। होली, दीपावली या नववर्ष के अवसर पर मोबाइल के इनबॉक्स में सैकड़ो मैसेज होते हैं। प्रति मिनट शुभकामना संदेश से मोबाइल गूंज रहे होते हैं। सोशल मीडिया पर शुभकामना संदेशों की बाढ़ आई हुई होती है। विभिन्न स्तरों पर हो रहे लगातार प्रयासों के कारण धीरे-धीरे हमारे राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के प्रति भी लोगों में उत्साह उमंग का वातावरण बढ़ने लगा है, बड़ी संख्या में शुभकामना संदेश का आदान-प्रदान होता है। राष्ट्रीय ध्वज फहराने में मिली छूट के बाद राष्ट्रीय पर्वों पर चारों तरफ राष्ट्रीय ध्वज दिखाई देने लगे हैं। अच्छा है, हमारे त्यौहारों के प्रति हमारा उत्साह और हमारी जागरूकता प्रशंसनीय है। लोकतंत्र में चुनाव भी ऐसा ही एक बड़ा पर्व है । “मतदान करने के लिए जाइए, देश हित में मतदान अवश्य करें ऐसे इक्का-दुक्का संदेश ही मोबाइल के इनबॉक्स तक आते है। मतदान दिवस तक अपने मोबाइल संपर्को को मतदान के आग्रह का संदेश भेज कर भी हम एक बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकते है। प्रशासनिक व्यवस्थाओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को छोड़ दें तो मोटे तौर पर लोकतंत्र के इस महापर्व के प्रति सामान्य जन में उत्साह, उमंग का वातावरण कम दिखता है। 140 करोड़ की जनसंख्या वाले देश मे सक्रिय राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से काम करने वाले लोगों की संख्या ,अनुमानतः जनसंख्या का 5- 7% ही है। शेष आबादी लोकतंत्र के महापर्व के प्रति उदासीन बनाये हुए हैं।यह स्थिति बदलनी चाहिए। प्रत्येक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करें इसके लिए व्यापक वातावरण निर्माण की आवश्यकता है। जिस प्रकार से विधिक साक्षरता, वित्तीय साक्षरता के लिए विभिन्न प्रयास चलते हैं वैसे ही मतदान साक्षरता जैसे बड़े अभियानों की देश को आवश्यकता है ताकि मतदान करने का महत्व लोगों को समझ आवे , मतदान का प्रतिशत बढ़े। जाति, पंथ, नशा और पैसा से ऊपर उठकर मतदान करने का सहज स्वभाव बने, तभी राष्ट्रीय चेतना का समग्र विकास हो सकेगा और विकसित राष्ट्र की जैसी कल्पना हैं वैसा हो सकेगा। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा भी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बहुत प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। वास्तव में मतदान को एक लोक पर्व बनाने की महती आवश्यकता है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हम सभी का कर्त्तव्य है कि मतदान का प्रतिशत बढ़े। हम अपने इस दायित्व को निभाने में कितना सजग हैं, यह विचारणीय है। याद कीजिये कि आपने आज तक कितने लोगों को मतदान के महत्व के बारे में बात की है, कितने लोगों को मतदान के लिए प्रेरणा दी है।
    जनसंख्या के आंकड़ों पर विभिन्न स्तरों पर बहुत चर्चाएं होती है, साक्षरता के आंकड़ों पर, लिंगानुपात पर भी बहुत विमर्श चलते हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं किंतु मतदान का प्रतिशत; यह उतना चर्चा में नहीं रहता। राष्ट्रीय मतदान प्रतिशत, राज्यों का मतदान प्रतिशत, मतदान प्रतिशत में वृद्धि दर , स्त्री पुरुष मतदान का अंतर एवं प्रतिशत ऐसे कुछ प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने चाहिए, इससे मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इन दिनों देशभर में लोकसभा चुनाव का अवसर है। मतदान प्रतिशत देखें तो कुल मिलाकर तो ठीक-ठाक स्थिति में है किंतु यह बहुत आश्चर्यजनक भी है और अत्यंत चिंताजनक भी कि अनेक गांवों में मतदान का प्रतिशत 30- 35 प्रतिशत तक है। इतने कम अंक पर तो गुरुजी बच्चों को पास भी नहीं करें, कुछ बूथ पर तो मतदान का प्रतिशत 25% 27% तक है। कुल मिलाकर प्रतिशत देखें तब भी जिला स्तर और राज्य स्तर पर 60-68% तक मतदान होता है। आजकल विद्यार्थियों द्वारा बोर्ड परीक्षा में लाये जा रहे प्राप्तांको पर विचार करें तो लगता है कि जब बच्चे 90- 95% तक अंक ला रहे हैं तो “हम बड़े ” मतदान में इतना पीछे क्यों है। इस वर्ष चुनाव आयोग ने 75% मतदान का लक्ष्य देश के सामने रखा है। आइये, इसे पूरा करने के लिए हम सब संकल्प बद्ध हो।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd