171
- श्रीराम माहेश्वरी
विश्व भर में आध्यात्मिक चेतना जगाने के लिए अग्रणी तथा सनातन संदेशों की प्रचारक प्रकाशक संस्था है गीताप्रेस। गोरखपुर का यह प्रकाशन अपने स्वर्णिम इतिहास के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। बीते 100 वर्षों में अनगिनत आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद गीता प्रेस द्वारा लागत से कम मूल्य पर गीता रामायण तथा अनेक ग्रंथों पुस्तकों को करोड़ों की संख्या में प्रकाशित कर घर-घर पहुंचाने का श्रम साध्य कार्य किया है। भारतीय संस्कृति की रक्षा का संकल्प लेकर सनमार्ग पर चलते हुए जो संस्था जनमानस के कल्याण की भावना से निर्विवाद रूप से अपनी यात्रा के 100 वर्ष पूर्ण कर रही हो, उस पर राजनीति करना या उस पर लांछन लगाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक प्रकार से विरोधियों की कुमति की परिणति ही कही जाएगी। धानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार 2021 गीता प्रेस गोरखपुर को देने का निर्णय लिया गया। इसकी घोषणा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा की गई है । घोषणा के बाद कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का ट्वीट आता है। जिसमें वे इस निर्णय का विरोध करते है। वे गीता प्रेस की तुलना गोडसे और वीर सावरकर से करते हुए इस निर्णय का उपहास करते हैं। इससे उनकी ओछी मानसिकता और सतही समझ प्रमाणित होती है। कुछ नेताओं ने शायद सस्ती लोकप्रियता के लिए हर अच्छे कार्यों का विरोध करना अपनी आदत में शुमार कर लिया लगता है। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि जयराम रमेश के ट्वीट का कांग्रेस पार्टी ने ना खंडन किया है और ना समर्थन। यानी कि वह असमंजस में है। यदि वह समर्थन करती है तो करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं की नाराजगी उसे झेलना पड़ सकती है और यदि खंडन करती है तो तुष्टीकरण की भावना को ठेस पहुंचाती है। कांग्रेस पार्टी को यह स्मरण होना चाहिए कि गीता प्रेस के उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 1992 में पूज्य श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार पर डाक टिकट जारी किया गया था।