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- संजना मौर्या
भारत को युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि हमारे देश का युवा आने वाला कल है। ऐसे में आज का नौजवान युवा नशे के दलदल में फंसता जा रहा है यह नशा उनमें शराब, सिगरेट के अलावा गांजा, अफीम,स्मैक और नशीली दवाओं का हैं। नशे के धुएं में उनकी जवानी गुजर रही हैं। शहर के गली-मोहल्लों में नशे की लत डूबे युवा अक्सर नजर आते हैं। नशीले इंजेक्शन युवाओं की नशों में उतारे जा रहे है। कल तक चोरी छिपे बिकने वाले नशे के सामान को आज का युवा आसानी से खरीद ले रहा है। इसकी चंगुल में आए युवा 50 रूपए से लेकर 100 रूपए तक की खुराक ले लेते हैं, फिर अपना सब कुछ लुटाने के बाद 10 रुपए के इंजेक्शन और नशीली दवाईयों का सहारा लेकर नशे की तलब को शांत करते हैं। जोकि आहिस्ता-आहिस्ता युवाओं की बर्बादी का मुख्य कारण बनता जा रहा हैं। भारत के कानून के अनुसार 18 साल से कम उम्र के बच्चे शराब, सिगरेट समेत अन्य नशीली चीजों का सेवन नहीं कर सकते है बावजूद इसके 12 से 18 साल के बच्चों को नशे करने का शौक है जिसे करके वे अपने आप को फैशनेबल और कूल समझते हैं। लेकिन उन्हे ये पता नहीं होता है कि वे धीरे-धीरे बूरी आदत के आदी होते जा रहे है। सर्वे के मुताबिक 75 प्रतिशत युवा 21 साल से पहले यानि की कम उम्र में नशे की खुराक लेने लगते है। जिसमें ज्यादातर 12 से 16 साल के युवा सिगरेट, ड्रग्स जैसे नशे के शिकंजे में है। जिसका आंकड़ा लगातार बढ़ रहा हैं। जिसके कारण देश में चोरी, लूट, बेरोजगारी, हिंसा, यौन शोषण और अपराध जैसे मामलों में तेजी से बढ़ोत्तारी हो रही है। नशे की लत में युवा अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ तो कर ही रहा है, साथ ही उनसे अपने परिवार को भी तबाही की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। कभी-कभी उनकी दिमागी स्थिती इतनी खराब होती जाती है कि उनका इलाज नशा मुक्ति केंद्र चल रहा होता है खैर, एक तरफ से इसका जिम्मेदार थिएटर, फिल्म, हिंदी सिनेमा समेत टीवी भी है। जिसमें धूंए फूंकते हुए हीरो को दिखाया जाता है। ऐसें में पहले तो युवओं में नशा करना मामूली बात होती है, लेकिन धीरे -धीरे ये उनकी कमजोरी बनती जाती हैं। बावजूद इसके कुछ युवा नशे को छोड़ना तो चाहते हैं। लेकिन यह उनके लिए आसान नहीं होता है क्योंकि जिसे एक बार नशे की लत हो जाती है उसका शरीर इससे छुटकारा पाने की मंजूरी नहीं देता हैं।