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- डॉ. जे. एन. श्रीवास्तव, डॉ. के. मदन गोपाल, डॉ. स्वर्णिका पाल, डॉ. अभय दहिया
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) एक महत्वपूर्ण पहल रही है, जिसका उद्देश्य व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच हासिल करना है। एनएचएम; स्वास्थ्य सेवा की अवसंरचना को मजबूत करने, मानव संसाधनों को बढ़ाने और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की कमी झेल रहे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है। ये प्रयास, सामूहिक रूप से जन स्वास्थ्य में सुधार और प्रत्येक नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा सुलभ बनाने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत ने जनसंख्या स्थिरीकरण, मातृ, शिशु व बाल स्वास्थ्य और संचारी रोगों से संबंधित प्रमुख संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार किया है। भारत में ऐसे संकेतकों में गिरावट की औसत दर वैश्विक औसत से अधिक रही है, विशेष रूप से मातृ, शिशु और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के मामले में। हालांकि, देश की स्वास्थ्य प्रणाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करती रही है, जैसे बढ़ती आबादी और नई बीमारियां, दी गई नैदानिक स्थितियों के लिए देखभाल की परिवर्तनशीलता और उपयुक्तता तथा सेवाओं की गुणवत्ता आदि।
योजनाबद्ध कार्यक्रमों के बावजूद, जन स्वास्थ्य सुविधाओं के कम उपयोग, अनुचित और/या असुरक्षित उपचार, गलत निदान और अपमानजनक तरीके से सेवा देने आदि से संबंधित चुनौतियों के लिए खराब अवसंरचना, स्वास्थ्य कर्मियों के रूप में मानव संसाधनों (एचआरएच) की कमी और देखभाल की कम गुणवत्ता जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। ये चुनौतियां; अप्रत्याशित, असामयिक मौतें, जिन्हें रोका जा सकता था, खराब स्वास्थ्य, व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ और जन स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास में कमी से सीधे जुड़ी हुई हैं।इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने समय पर उपाय करने और चुनौतियों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई।
इस दिशा में विभिन्न उपायों में से एक है – संशोधित भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस), 2022 के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में देखभाल के सभी स्तरों पर सुविधाओं से जुड़े मानकों का उन्नयन करना है, जो सभी जन स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के घटकों को बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है। आईपीएचएस दिशानिर्देशों का एक महत्वपूर्ण पहलू है- आवश्यक (न्यूनतम) और हासिल करने योग्य (अपेक्षित) सेवाओं पर विशेष जोर। स्वास्थ्य सेवा की प्रत्येक सुविधा को न्यूनतम सेवाओं का एक सेट प्रदान करना आवश्यक है, ताकि भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जा सके।
आईपीएचएस समय पर देखभाल के दृष्टिकोण के साथ स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों की स्थापना के लिए जनसंख्या मानदंडों को फिर से डिजाइन करके बेहतर पहुंच पर ध्यान केंद्रित करता है। यह रोगी को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों में भेजने के लिए एक निर्बाध प्रणाली स्थापित करने के लिए इनपुट भी प्रदान करता है। इसके अलावा, आईपीएचएस; स्वास्थ्य सेवाएं रोगी के अनुकूल होनी चाहिए और सम्मानजनक तरीके से प्रदान की जानी चाहिए तथा सभी पर वित्तीय बोझ कम पड़ना चाहिए आदि को सुनिश्चित करने की दिशा में भी इनपुट प्रदान करता है।
आईपीएचएस द्वारा जन स्वास्थ्य सुविधाओं में देखभाल के प्रत्येक स्तर के लिए विनिर्देशों का एक सेट प्रदान करने के साथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अनुचित और असुरक्षित उपचार, छूटे हुए निदान आदि को रोकने तथा जन स्वास्थ्य संस्थानों में सम्मानजनक देखभाल प्रदान करने के लिए देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता को प्राथमिकता देता है। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन और कार्यान्वित किया गया है कि जन स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सेवाएं न केवल सुरक्षित और रोगी-केंद्रित हों, बल्कि गुणवत्ता का भरोसेमंद स्तर भी हो। यह पहल, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता को समझने, मापने और सुधारने से जुड़ी कमियों को दूर करने पर केंद्रित है। जन स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो रोगी के परिणामों, सुरक्षा और समग्र रोगी संतुष्टि को प्रभावित करता है।