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- आरके सिन्हा
सुर्खियों से दूर रहकर चुपचाप राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले कई दिग्गजों को लेकर देश-समाज लगभग अनभिज्ञ सा ही रहता है। उनमें ही ए.एम.नाईक भी हैं। उनकी सरपरस्ती में लार्सन एंड टुब्रो कंपनी (एलएंडटी) देश के कोने –कोने में सड़क, पुल और दूसरे तमाम बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों पर काम कर रही है। इसी ने आगामी सितंबर महीने में राजधानी में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रगति मैदान को नए सिरे से नये खूबसूरत कलेवर में विकसित किया है। यहाँ ही बने कनवेंशन सेंटर में ही शिखर सम्मेलन का आयोजन होना है, जिसमें 20 देश के राष्ट्राध्यक्ष भी भाग लेंगे। ये सारा काम नाईक जी की देखरेख में ही पूरा हुआ।
बीते कुछ समय पहले घोषणा की गई नाईक 30 सितंबर 2023 के बाद एलएंडटी समूह के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष का पद भी छोड़ देंगे। इसके बाद वे एलएंडटी के मात्र मानद अध्यक्ष के रूप में ही कामों को देखेंगे। रतन टाटा और शिव नाडार भी अब टाटा ग्रुप तथा एचसीएल टेक्नोलॉजीज के मानद अध्यक्ष ही हैं।
रतन टाटा ने 2017 में टाटा समूह के चेयरमेन पद को छोड़ दिया था। वे तब से टाटा समूह के मानद अध्यक्ष हैं। वे रोजमर्रा के कामकाज से तो अपने को अलग कर चुके हैं। पर अभी भी टाटा समूह अपने अहम फैसले लेते हुए उनके अनुभव का लाभ तो उठाता है।
दरअसल नाईक उन मूल्यों को प्रतिबिंबित करते हैं जिनमें व्यावसायिकता, उद्यमशीलता और सभी हितधारकों के हितों को आगे बढ़ाने को लेकर एक प्रतिबद्धता का मिला जुला भाव होता है। उनके नेतृत्व में, एलएंडटी ने कई चुनौतियों का सामना किया और लाभदायक विकास पर अधिक ध्यान देने के साथ हर बार मजबूत बनकर उभरी। बेशक, नाईक भारत के कोरपोरेट जगत के सबसे सफल और सम्मानित नाम रहे। नाईक उनमें से नहीं थे जो अपनी कुर्सी से चिपके रहना पसंद करते थे। उन्होंने वक्त रहते ही एलएंडटी में अपने संभावित उत्तराधिकारी तैयार कर शुरू दिया था।
नाईक के करियर पर नजर दौड़ाएं तो वे 1965 में एलएंडटी में एक जूनियर इंजीनियर के रूप में शामिल हुए। नाईक ने तेजी से बढ़ती जिम्मेदारी के पदों पर कदम रखा। वे महाप्रबंधक से प्रबंध निदेशक और सीईओ भी बन गए। उन्हें एलएंडटी का 2003 को अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बनाया गया। वे 2012 से 2017 तक एलएंडटी के समूह कार्यकारी अध्यक्ष थे। 2017 में उन्होंने कार्यकारी जिम्मेदारियों से अलग हटकर समूह अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्हीं के प्रयासों से एलएंडटी ने मिसाइलों और हथियार प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण में नेतृत्व की स्थिति संभाली और रक्षा अनुसंधान एवं विकास और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई। अगर बात थोड़ी हटकर करें तो हमें महेन्द्र सिंह धोनी के रूप में एक शानदार कप्तान मिला। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को जीतना सिखाया। वे संकट के पलों में भी शांत रहा करते थे। बैंकिंग की दुनिया पर नजर रखने वालों को आदित्य पुरी का नाम बहुत अच्छे से पता है। उन्होंने एचडीएफसी बैंक को बनाया और खड़ा किया। उसकी गिनती देश के सर्वश्रेष्ठ बैंकरों में होती है। लंबे समय तक एचडीएफसी बैंक का नेतृत्व करने के बाद पुरी रिटायर हो गए। लेकिन, उन्होंने अपने कई योग्य उत्तराधिकारी तैयार कर लिए। उन्हें नेतृत्व के गुण समझाए-सिखाए। इसलिए वहां सत्ता का हस्तातंरण मजे से हो गया।