Home » राजशेखर ने सृष्टि को दिखाई दृष्टि

राजशेखर ने सृष्टि को दिखाई दृष्टि

  • हेमेन्द्र क्षीरसागर
    दृढ़ निश्चय, पक्का इरादा हो तो दुनिया का कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। इसमें कोई आतिशोव्यक्ति नहीं है। बस जिस दिन ठान लेंगे, समझो मंजिल हासिल कर ली। बाकी रहेगी तो बस तारीख। ऐसे कई उदाहरण और जज्बे हमारे सामने हैं। जिनको दुनिया सलाम करती है। विपदा में समाधान ढूंढ़ना कोई ऐसी कर्मवीरों से सीखें। मिसाल के तौर पर अक्षरश: शब्द! ‘हैदराबाद में मेरा कोचिंग सेंटर घर से बहुत दूर था और मुझे सुबह छह बजे से पहले बस पकड़नी होती थी। आज मैं उन सभी हाथों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो मेरे सहारे के लिए आगे बढ़े, जिन्होंने मुझे सड़क पार करने में मदद की। मेरी सफलता में उन सबका हाथ है।’ – चाटर्ड एकाउंटेंट जे. राजशेखर रेड्डी।
    हालिया, आंध्र प्रदेश के रहने वाले जे. राजशेखर रेड्डी भारत के ऐसे पहले सीए हैं, जो बिलकुल भी देख नहीं सकते। राजशेखर जन्म से दृष्टिहीन नहीं थे, सिर में हुए एक ट्यूमर से ऑप्टिकल नर्व डैमेज के कारण 11 वर्ष की आयु में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। गुंटूर में रहने वाले राजशेखर उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं ’ जब मैं कुछ भी देखने के काबिल नहीं रहा तो मुझे लगा कि ‘अब मेरे जीवन का अंत हो गया है। मैंने कभी आत्महत्या की बात तो नहीं सोची लेकिन मेरा जीवन निराशा में डूब गया था।
    प्रसंग, मैं एक साल तक घर में किसी पत्थर की तरह पड़ा रहा। मेरे माता-पिता मुझे देख कर रोते थे और कहते थे कि काश वे मेरे लिए कुछ कर सकते।’ यही आंसू राजशेखर के लिए प्रेरणास्रोत बन गए। इसके बाद हैदराबाद का देवनार फाउंडेशन, जो देश में दृष्टिहीन बच्चों का पहला इंग्लिश मीडियम स्कूल था, राजशेखर का नया घर बन गया। देवनार फाउंडेशन के संस्थापक और आंखों के मशहूर डॉक्टर पद्मश्री साईं बाबा गौड़ कहते हैं, ‘जब राजशेखर रेड्डी हमारे पास आया था तो 11 साल का बच्चा था। लेकिन उसकी योग्यता, कड़ी मेहनत और संकल्प को देखकर हर कोई प्रभावित था।’
    स्तुत्य, दसवीं कक्षा के बाद जब राजशेखर ने एक चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने की इच्छा जताई तो सभी को यह असंभव लगा लेकिन परिवार और करीबियों ने उनका समर्थन किया। उन्होंने ऑडियो बुक्स की मदद से अपनी तैयारी की। राजशेखर का कहना है, ‘मैं दुनिया को बताना चाहता हूं कि दृष्टिहीन लोग न केवल शिक्षा में सफल हो सकते हैं, बल्कि काम के मैदान में भी वह दूसरों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।’ नतीजा देखिए आज राजशेखर ने चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसी कठिनतम परीक्षा पास कर सृष्टि को दृष्टि दिखाई।
    निश्चित ही राजशेखर के अद्भुत समर्पण ने जीवन की नई राह दिखाई है। इनके परिश्रम से यह सिद्ध हो गया दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। राजशेखर का सबक उन लोगों के लिए खास मायने रखता है जो सब कुछ होने के बावजूद बहाने बाजी में अपनी किस्मत को दोष देते फिरते हैं। याद रहे! किस्मत भी बहादुरों का साथ देती है कायरों का नहीं। आईए राजशेखर के प्रेरक कर्मयोग से सीख लेकर अपने कर्तव्य पथ पर ईमानदारी से आगे बढ़े। तो हम देखेंगे सफलता भी हमारे कदम चूमेगी। प्रणाम और साभार! कथित कथन जे. राजशेखर रेड्डी, सीए।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd