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- मृत्युंजय दीक्षित
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता, सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रोड शो में सामाजिक समरसता का अनूठा दर्शन हो रहा है। वह वाराणसी से तीसरी बार उम्मीदवार हैं। परचा भरने से एक दिन पहले वाराणसी में भी प्रधानमंत्री ने रोड शो किया। रोड शो में उमड़ा जनसमुद्र काशी के चुनावी इतिहास में अद्भुत व अकल्पनीय रहा। वाराणसी के पूर्व ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लेकर बिहार की राजधानी पटना तक के रोड शो में जिस प्रकार की जन भावनाएं मोदी के प्रति देखने को मिलीं, उनसे साफ संकेत मिलता है कि अबकी बार फिर मोदी सरकार ही बनने जा रही है । प्रधानमंत्री के रोड शो की सबसे बड़ी विशेषता सामाजिक समरसता है। इनमें नारी शक्ति का वंदन भी हो रहा है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के दर्शन भी हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो में उनके समाजसेवा व भक्ति भाव के विविध रूपों के दर्शन भी हो रहे हैं। रोड शो के दौरान वह भीड़ में भी बच्चों को भी दुलार कर संदेश दे रहे हैं कि यह कल के निर्माता हैं।
जहां कहीं भी प्रधानमंत्री का रोड शो होता है वहां से नया समीकरण सामने आ जाता है और विपक्ष हतप्रभ रह जाता है। उसे समझ में नहीं आता कि वह करे तो क्या करे। जब पटना में प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो निकल रहा था, उस समय उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे और लोगों के आश्चर्यचकित होने का ठिकाना उस समय नहीं रहा जब उन्होंने नीतीश कुमार के हाथ में कमल का फूल देखा अर्थात पटना के रोड शो में बिहार के मुख्यमंत्री के हाथ में उनकी अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न न होकर कमल का फूल था जिसे लेकर अब बिहार की राजनीति में तरह-तरह के कयास लगने आरम्भ हो गए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद बिहार का राजनीति किधर जाती है, नीतीश कुमार यह इशारा काफी है।
वाराणसी का रोड शो तो स्वाभाविक रूप से ही अद्भुत होना ही था। यहां मां गंगा के बेटे का रोड शो जो था। वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी की एक झलक पाने के लिए और उन्हें देखने के लिए हर कोई बेताब था । अपने सांसद के लिए पूरा बनारसी जनसमुद्र उमड़ पड़ा। स्वागत में झांकियां सजायीं गईं। पुष्प वर्षा की गई। भगवा और तिरंगे लहराये। हर-हर महादेव और जय श्रीराम से आसमान गुंजायमान कर दिया गया। ऐसा प्रतीत हुआ कि सनातन का सूर्योदय हो चुका है बस उसका तिलक ही शेष रह गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पांच किलोमीटर लंबे रोड शो के माध्यम से सामाजिक, आध्यात्मिक व जातीय गुणा -गणित पूरी तरह से साध लिया है। वाराणसी की धरती पर यह लहर नहीं, सुनामी का आगाज है।
प्रधानमंत्री मोदी के नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजग गठबंधन के सभी बड़े नेताओं की उपस्थिति रही। उत्तर से लेकर दक्षिण और पश्चिम से लेकर पूर्वोतर राज्यों के सभी बड़े नेताओं का संगम दिखा। इनमें उल्लेखनीय रही बिहार की चर्चित चाचा-भतीजे की जोड़ी अर्थात चिराग पासवान व पशुपति पारस की उपस्थिति। वाराणसी में दोनों की उपस्थिति व आपसी केमेस्ट्री को देखकर बिहार की सियासत में विरोधी दलों के नेताओं को तनाव हो गया है। चाचा भतीजे की इस जोड़ी को लेकर मोदी विरोधी मीडिया में जो कयास लगाये जा रहे थे वे ध्वस्त हो गए। वाराणसी में राजग नेताओं ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन पूरी मजबूती से अपने नेता के साथ खड़ा है और उन्हें ही 400 पार सीटों के साथ तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाना है। इंडी गठबंधन पूरी तरह से फ्यूज है। उसके पास न तो नेता है और न ही विचार। न ही विकास का कोई रोडमैप।