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जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते है

  • डॉ नन्दकिशोर साह
    यदि आप अपनी योजना को सार्वजनिक कर दें, तो आप सामाजिक दबाव की वजह से उस पर अमल करने के लिए ज़्यादा समर्पित हो जाएँगे। योजना बताती है कि आदर्श परिस्थिति में क्या होना चाहिए। समीक्षा बताती है कि क्या हो रहा है और मनचाहा परिणाम पाने के लिए आपको क्या फेरबदल करना चाहिए। योजना बनाने में असफलता का मतलब है असफलता की योजना बनाना। कहा जाता है कि जब तक आप लक्ष्य तक पहुँचने की योजना नहीं बनाते हैं, तब तक आपकी सफलता की संभावना 10 प्रतिशत से भी कम रहती है, लेकिन अच्छी योजना बनाने पर यह संभावना बढ़कर 70 प्रतिशत से ज़्यादा हो जाती है। जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे अंतत: लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते हैं।
    महान लेखक योजना के महत्व को बताते हैं, जो इंसान हर सुबह दिन की योजना बनाता है और उस पर चलता है, उसके पास एक सूत्र होता है, जो सबसे व्यस्त जीवन की भूल-भुलैया के बीच उसका मार्गदर्शन करेगा। योजना बनाने का मतलब यह है कि आप अपने लक्ष्य तक पहुँचने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता खोजते हैं। यानी सर्वश्रेष्ठ योजना वही होती है, जिसमें आप अपने बड़े लक्ष्य को 24 घंटे के लक्ष्य में जोड़ लेते हैं। यह नहीं सोचें कि एक महीने में क्या हो सकता है। यह नहीं सोचें कि एक साल में क्या हो सकता है। बस अपने सामने के 24 घंटों पर ध्यान केंद्रित करें।
    24 घंटे का लक्ष्य बनाने के कई लाभ हैं। छोटे लक्ष्यों की राह में बाधाएं कम आती हैं और आप जोश ठंडा होने से पहले ही लक्ष्य हासिल कर लेते हैं। छोटे लक्ष्यों से आप प्रेरित होते हैं, जबकि दीर्घकालीन और बड़े लक्ष्यों से आप हताश हो सकते हैं। छोटे लक्ष्य बनाने और हासिल करने का फायदा यह होता है कि आपकी लक्ष्य तक पहुँचने की आदत पड़ती है, हर दिन सफलता का अहसास होता है, आप अच्छी भावनात्मक फ्रीक्वेंसी पर रहते हैं। किसी भी चीज को हासिल करने के लिए 95 प्रतिशत यह जानना ज़रूरी है कि आप क्या चाहते हैं। अगर आपके लक्ष्य स्पष्टता से दिखता है, तो आप कोशिश नहीं छोड़ते हैं; आप तो कोशिश तब छोड़ते हैं, जब आपको लक्ष्य दिखाई नहीं देता, क्योंकि तब आपको सिर्फ बाधाएँ दिखाई देते हैं। उतार-चढ़ाव से नहीं घबराएं और लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ते रहें। अगर परिस्थितियाँ आपके खिलाफ हों या आपकी राह में बाधाएं हों, तो पल भर के लिए भी विचलित नहीं हों। जुटे रहें। यही कुंजी है। बाधाओं का मकसद आपकी इच्छा शक्ति का इम्तिहान लेना और आपके लक्ष्य के लिए मजबूत बनाना होता है। अगर आपकी राह में बाधा आए तो दूसरा तरीका खोजें किंतु अपने लक्ष्य को नहीं बदले। अपने प्रयासों में बदलाव अवश्य करें।

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