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भारत में विलय की ओर बढ़ता पाक अधिकृत कश्मीर

  • प्रमोद भार्गव
    पाक अधिकृत कश्मीर के संदर्भ में भारत का ‘सब्र का फल मीठा’ कहावत को चरितार्थ करता दिखाई दे रहा है। इस संदर्भ में पीओके में बढ़ते पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बढ़ते आतंकी हमले और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का दिया बयान महत्वपूर्ण हैं। सिंह ने कहा है कि पीओके को हासिल करने के लिए हमें कुछ ज्यादा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यहां के लोगों पर ढाए जा रहे जुल्मों के चलते यही लोग नारे लगाने लगे हैं कि हमको भारत में विलय कर दो। इन हालातों के देखते यहां कुछ भी आश्चर्यजनक घट सकता है। पीओके पर अवैधानिक कब्जा कर लेने से यह क्षेत्र पाकिस्तान के अधिकार में नहीं हो जाता। वैसे भी भारतीय संसद में पीओके को लेकर सर्वसम्मति से भारत का हिस्सा होने के तीन प्रस्ताव पारित हो चुके हैं। सिंह का यह बयान दर्शाता है कि अंदरूनी स्तर पर भारत सरकार पीओके के विलय पर राजनीतिक उपाय में लगी हुई है।
    दूसरी तरफ जिस आतंकवाद का जनक पाकिस्तान रहा है, वही आतंकवाद उसके लिए पीओके में चुनौती बनकर सामने आ रहा है। पाक में आतंकी हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बलूचिस्तान प्रांत के तुरबाद नगर में नौसैनिक अड्डे पर आतंकवादियों ने गोली बरसाते हुए हमला किया। इसके बाद खैबर पख्तूनख्वा इलाके में चीनी नागरिकों के एक काफिले पर हमला बोल दिया। इसमें पांच चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई। ये इंजीनियर दासू हाइड़ªोप्रोजेक्ट के निर्माण में लगे थे। इन हमलों की जुम्मेबारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की मजीद ब्रिगेड ने ली है। इस्लामाबाद से 200 किमी दूर स्थित दासू हाइड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण चीनी कंपनी कर रही है। 2021 में भी इस परियोजना पर काम कर रहे नौ चीनी इंजीनियरों सहित 13 लोगों को बलूच हमलावरों ने मार गिराया था। पाकिस्तान में अकेले फरवरी माह में हुए 97 हमलों में 118 लोग मारे जा चुके हैं। 20 मार्च को ग्वादर बंदरगाह पर भी आतंकी हमला हो चुका है। इस हमले की जिम्मेदारी भी बलूचों ने ली है। इन हमलों के चलते पाक में नई बनी षाहबाज सरकार मुसीबतों से घिर गई है। दरअसल बलूचिस्तान प्रांत के नागरिक मानते हैं कि पाक सरकार उनके प्रांत के हितों की लंबे समय से अनदेखी कर रही है। यहां के लोग इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप का भी विरोध कर रहे है। दासू हाइड्रोप्रेजेक्ट और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के निर्माण के अंतर्गत कई परियोजनाएं पीओके में निर्माणाधीन हैं। इन परियोजनाओं का विरोध लगातार हो रहा है। लेकिन पाक सरकार धन के लालच में चीन के सुरसामुख में फंस चुकी है। देष में चल रही आर्थिक बद्हाली के कारण भी सरकार चीन का दामन नहीं छोड़ पा रही है। चीन से उसकी मित्रता का कारण धन का लालच तो है ही भारत के साथ तनावपूर्ण रिष्ते भी हैं। पाक की तरह चीन से भी भारत का सीमा पर निरंतर तनाव बना हुआ है। अब पीओके में आतंकी शक्तियां इतनी मजबूत हो गईं हैं कि पाक का ईरान और अफगानिस्तान से भी मधुर संबंध बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
    पीओके की परिधि में आने वाले गिलगिट-बाल्टिस्तान वास्तव में भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के हिस्सा हैं। बावजूद 4 नवंबर 1947 से पाकिस्तान के नाजायज कब्जे में हैं। लेकिन यहां के नागरिकों ने इस बलाद कब्जे को कभी नहीं स्वीकारा। यहां तभी से राजनीतिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक आवाजें उठ रही हैं और पाक सरकार इन लोगों पर दमन और अत्याचार का सिलसिला जारी रखे हुए है। साफ है, पाक की आजादी के साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान का मुद्दा जुड़ा हुआ है। पाक की कुल भूमि का 40 फीसदी हिस्सा यहीं है। लेकिन इसका विकास नहीं हुआ है। करीब 1 करोड़ 30 लाख की आबादी वाले इस हिस्से में सर्वाधिक बलूच हैं, इसलिए इसे गिलगिट-बलूचिस्ताल भी कहा जाता है। पाक और बलूचिस्तान के बीच संघर्श 1945, 1958, 1962-63, 1973-77 में होता रहा है। 77 में पाक द्वारा दमन के बाद करीब 2 दशक तक यहां शांति रही। लेकिन 1999 में परवेज मुशर्रफ सत्ता में आए तो उन्होंने बलूच भूमि पर सैनिक अड्डे खोल दिए। इसे बलूचों ने अपने क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश माना और फिर से संघर्ष तेज हो गया। इसके बाद यहां कई अलगाववादी आंदोलन वजूद में आए, इनमें प्रमुख बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी है।
    निर्वाचन की प्रक्रिया से गुजरने के बावजूद भी यहां की विधानसभा को अपने बूते कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है। सारे फैसले एक परिषद लेती है, जिसके अध्यक्ष पाकिस्तान के पदेन प्रधानमंत्री होते हैं। लिहाजा चुनाव के बावजूद भी यहां विद्रोह की आग सुलगी रहती है। यह आग अस्तोर, दियामिर और हुनजा समेत उन सब इलाकों में सुलगी रहती है, जो षिया बहुल हैं। सुन्नी बहुल पाकिस्तान में षिया और अहमदिया मुस्लिमों समेत सभी धार्मिक अल्पसंख्यक प्रताड़ित किए जा रहे हैं। अहमदिया मुस्लिमों के साथ तो पाक के मुस्लिम समाज और हुकूमत ने भी ज्यादती बरती है। 1947 में उन्हें गैर मुस्लिम घोषित कर दिया गया था। तब से वे न केवल बेगाने हैं, बल्कि हिंदू, सिख व ईसाइयों की तरह मजहबी चरमपंथियों के निशाने पर भी रहते हैं। मई 2010 में लाहौर में एक साथ दो अहमदी मस्जिदों पर कातिलाना हमला बोलकर करीब एक सौ निरीह लोगों की हत्या कर दी गई थी।
    पीओके और बलूचिस्तान पाक के लिए बहिष्कृत क्षेत्र हैं। पीओके की जमीन का इस्तेमाल वह, जहां भारत के खिलाफ शिविर लगाकर गरीब व लाचार मुस्लिम किशोरों को आतंकवादी बनाने का प्रशिक्षण देता है, वहीं बलूचिस्तान की भूमि से खनिज व तेल का दोहन कर अपनी आर्थिक स्थिति बहाल किए हुए है। यहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं है।

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