Home » ओवैसी! देश से झूठ मत बोलो, मोदी राज में ही हुआ है मुसलमानों का सही विकास

ओवैसी! देश से झूठ मत बोलो, मोदी राज में ही हुआ है मुसलमानों का सही विकास

  • डॉ. मयंक चतुर्वेदी
    आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएम आईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा भारत में मुसलमानों की स्थिति की तुलना तानाशाह एडॉल्फ हिटलर के दौर में जर्मनी में यहूदियों से की जा रही है।
    ओवैसी अपने भाषणों में कह रहे हैं, ‘आज के भारत में मुसलमानों की स्थिति वैसी ही है जैसी स्थिति 1930 के दशक में हिटलर के दौर में यहूदियों ने देखी या अनुभव की थी। गैस चैंबर आखिरी पड़ाव था, उससे पहले फिल्में बनती थीं, नफरत फैलाने वाले भाषण होते थे, इसकी एक पूरी प्रक्रिया थी। चुनाव जीतने के लिए मुसलमानों को घुसपैठिया कहा जा रहा है । हिटलर भी यहूदियों के लिए यही कहता था कि वे मूल जर्मन नहीं थे।’
    वस्तुत: असदुद्दीन ओवैसी के नफरती भाषण की तरह ही कांग्रेस एवं इंडी गठबंधन के कई नेता मुलसमानों के विकास को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को घेर रहे हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सभी की नजरों में मुसलमानों के अपराधी हैं । किंतु क्या वास्तविकता में ऐसा है? देखा जाए तो हकीकत इसके उलट है। विकास के आंकड़े खास तौर पर मुसलमानों को लेकर बता रहे हैं कि उनका हर तरह से विकास मोदी युग के भारत में संभव हुआ है, जोकि इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। पहले पांच साल में मोदी सरकार ने इस समाज के लिए 22 हजार करोड़ रुपये की अलग-अलग योजनाएं शुरू की थीं। सरकार ने कानून बनाकर तीन तलाक को खत्म किया। हज कोटे को दो लाख तक बढ़ाया गया था। इसके बाद तो जैसे एक के बाद एक नई योजनाएं एवं कार्य मुस्लिमों के हक में मोदी सरकार द्वारा किए जाने की झड़ी सी लगते हुए देखा गया है । प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन योजना, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना, उस्ताद योजना, मुद्रा योजना समेत जितनी भी योजनाएं केंद्र सरकार की चल रही हैं उसका सबसे ज्यादा लाभ जनसंख्यात्मक आंकड़ों में मुसलमानों को ही मिला है।
    उड़ान योजना में सरकार ने मुस्लिम छात्र-छात्राओं को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग व्यवस्था उपलब्ध कराई है। इस स्कीम के तहत घर में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले मुसलमान विद्यार्थियों को 1500 रुपये और बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 3000 रुपये दिए जा रहे हैं। शादी शगुन योजना के तहत ग्रेजुएशन करने वाली मुस्लिम लड़कियों को 51000 रुपये की राशि शादी शगुन के तौर पर देने का काम किया जा रहा है। इसी प्रकार की एक उस्ताद योजना है जोकि मुस्लिम कारीगरों को और ज्यादा एक्सपर्ट बनाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग देने का काम करती है। इसके तहत कारीगरों को मुसलमानों के पारंपरिक कला और हस्तकला को धार देने के लिए कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित करने का काम किया जा रहा है। इस दृष्टि से एक योजना सीखो और कमाओ योजना को भी देखा जा सकता है । मोदी की सरकार ने मुस्लिम युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से इस स्कीम को शुरू किया है। मुस्लिम युवाओं को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार की ओर प्रोत्साहित करने के साथ ही प्रशिक्षित 75 प्रतिशत मुस्लिम युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की अनिवार्यता इसमें रखी गई है। ईदी योजना पर कोई बात नहीं करता, किंतु केंद्र की मोदी सरकार पांच करोड़ मुस्लिम विद्यार्थियों को ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति’ देने का कार्य इसके अंतर्गत होता है। इस योजना में खास बात यह है कि योजना का लाभ उठाने वाले में 50 प्रतिशत मुस्लिम छात्राएं ही होती हैं । योजना मुसलमानों में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए शुरू की गई है।
    केंद्र की मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालते ही अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए बजट की राशि बढ़ाई है। तीन तलाक का दंश झेल रही मुस्लिम महिलाओं को कानून बनाकर उन्हें बराबर का हक दिलाने का काम मोदी सरकार के रहते ही पूरा हो सका है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने मुसलमानों के लिए सऊदी अरब से आग्रह कर न सिर्फ हज का कोटा बढ़वाया बल्कि उस पर लगने वाली जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया।
    अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी का एक साक्षात्कार मीडिया में आया, उसमें प्रधानमंत्री मोदी से पूछा गया कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक का क्या भविष्य है, इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने साफ तौर पर बताया भी कि कैसे ‘भारत में रहने वाले धार्मिक माइक्रो माइनॉरिटी’ तक ‘दुनिया में अन्य जगहों पर उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, उन्हें (मुस्लिम अल्पसंख्यक) भारत में एक सेफ हैवन मिल गया है। वे खुशी से रह रहे हैं और समृद्ध हो रहे हैं।
    वस्तुत: प्रधानमंत्री मोदी जो कह रहे हैं, उसकी सच्चाई यह है कि इस्लामिक मामलों के जानकार डॉ. फैयाज अहमद फैजी, राजनीतिक विश्लेषक अमाना बेगम अंसारी जैसे अनेक विद्वान एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो यह खुले मन से स्वीकारते हैं कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मुसलमान मतदाता भाजपा को लेकर आशंकित रहते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के पिछले 10 साल के शासनकाल में मुसलमानों ने यह देखा है कि उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं का ठीक उसी प्रकार लाभ मिल रहा है, जैसे कि हिंदुओं या समाज के किसी अन्य वर्ग को मिल रहा है। बल्कि ज्यादा गरीबी होने के कारण कई स्थानों पर मुसलमान लोग केंद्र सरकार की योजनाओं का ज्यादा लाभ उठा रहे हैं। ऐसे में उनके मन से यह डर दूर हुआ है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद उसके साथ किसी तरह का भेदभाव होता है। आप कई अन्य चीजों के लिए भाजपा की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन इस सरकार के अलावा किसी के पास व्यक्तिगत कानूनों में सुधार करने की इच्छा दिखाई नहीं दी है। पूरी कौम का तेजी के साथ विकास हो रहा है।
    ऐसे में अच्छा यही होगा कि असदुद्दीन ओवैसी एवं इंडी गठबंधन के नेता कम से कम देश से झूठ नहीं बोलें और न ही हिटलर की नाजी व्यवस्था के साथ किसी भी स्तर पर भारत में रह रहे मुसलमानों को लेकर यातनापूर्ण तुलना करें। वास्तव में जो परिदृश्य मोदी राज में देश में दिखाई देता है, वह यही है कि आज भारत का संपूर्ण विकास होता दिखाई दे रहा है।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd