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विकसित भारत के लिए नई श्रम संहिताएं नए भारत के लिए श्रम सुधार

  • डॉ़ एलीना समांतरॉय
    दूसरे राष्ट्रीय श्रम आयोग (एनसीएल) 2002 ने परिवर्तनशील आर्थिक, औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को मद्देनजर रखते हुए श्रम कानूनों को सरल बनाने की सिफारिश की थी। इन सिफारिशों के अनुपालन में श्रम सुधार प्रक्रिया, 29 श्रम कानूनों के सरलीकरण और चार श्रम संहिताओं में एकीकरण के साथ शुरू की गई थी। इसके दायरे मेंवेतन संहिता 2019, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता 2020, औद्योगिक संबंधी संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को रखा गया है। ये सभी सुधार न केवल रोजगार की रक्षा करने, बेहतर कामकाजी परिस्थितियों और श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने, बल्कि सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में भारत के नियामक ढांचे में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। श्रम कानूनों को संहिताओं में निरूपित करने से जटिलताओं को कम करने और पंजीकरण की प्रक्रिया में योगदान दिया है। इस तरह पारदर्शिता और प्रभावी कार्यान्वयन में वृद्धि हुई है।
    श्रम संहिता ने संगठित और असंगठित, दोनों श्रमिकों के लिए अपना दायरा बढ़ाया है। श्रम संहिता के तहत नए प्रावधानों को शामिल करने से न केवल व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिलता है, बल्कि इसका उद्देश्य श्रमिकों का कल्याण भी है। वेतन संहिता 2019 के तहत संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों के रोजगारों में सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन का प्रावधान किसी भी प्रकार के वेतन भेदभाव पर रोक लगाता है। यह संहिता अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ)के समान पारिश्रमिक प्रस्ताव नंबर 100 में निहित समान कार्य के लिए समान वेतन को बढ़ावा देकर लैंगिक भेदभाव को भी प्रतिबंधित करता है, जिस पर भारत एक हस्ताक्षरकर्ता रहा है। विभिन्न जीवन स्तर और विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण असमानता को दूर करने में योगदान देगा। सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहतमहिलाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के मामले में बढ़ी हुई मातृत्व सुरक्षा एक महत्वपूर्ण गेम चेंजर प्रतीत होती है। सामाजिक सुरक्षा संहिता में शामिल मातृत्व लाभ संशोधित अधिनियम 2017 में 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का प्रावधान है। यह प्रावधानअंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मातृत्व संरक्षण प्रस्ताव 183, 2000 में उल्लिखित 14 सप्ताह के मातृत्व संरक्षण से अधिक है। धारा 11ए के तहत नए संशोधन में अनिवार्य क्रेच सुविधाओं जैसे कई लैंगिक-संवेदनशीलता संबंधी प्रावधान शामिल हैं। इसके तहत 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान, वर्क फ्रॉम होमऔर सरोगेट के साथ-साथ दत्तक माताओं के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
    भारत की सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों का विस्तार 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत रोजगार कार्य समूह की बैठक में जी-20 विचार-विमर्श के केंद्र में रहा। इसमें प्रासंगिक और अद्यतन नीति पर जानकारी एकत्र करने व साझा करने पर विचार किया गया था। जी-20 देशों और उससे इतरगिग व प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में उत्तम व्यवहारव प्रशासनिक दृष्टिकोण को भी अपनाया गया।
    औद्योगिक संबंधी (आईआर) संहिता 2020 के तहत निश्चित अवधि के रोजगार (एफटीई) की शुरुआत के माध्यम से रोजगार अनुबंधों का नियमितीकरण होता है, जिसमें एफटीई के तहत कार्यरत कर्मचारी एक वर्ष की निरंतर सेवा के साथ ग्रेच्युटी सहित स्थायी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध सभी लाभों का हकदार होता है, जो काफी हद तक अनौपचारिकता का समाधान करता है तथा श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच बढ़ाता है। इसके अलावा, छंटनी के कारण प्रभावित होने वाले श्रमिकों के लिए आईआर संहिता के तहत एक रीस्किलिंग फंड को शामिल करने से श्रमिकों को अपना कौशल बढ़ाने का अवसर मिलता है। व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां (ओएसएच) संहिता 2020, जो 13 कानूनों को समेकित करता है, ने अनुबंध और प्रवासी श्रमिकों दोनों को सुरक्षा प्रदान की है। प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा के विस्तार के साथ उनके कवरेज का दायरा बढ़ता है, जिसमें न केवल ठेकेदार द्वारा लाए गए श्रमिकों को शामिल किया जाता है, बल्कि उन श्रमिकों को भी शामिल किया जाता है जो अपने दम पर आए हैं। ओएसएच संहिता के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए निहित कल्याण प्रावधानों का विस्तार सीधे तौर पर आए प्रवासियों को शामिल करने के लिए किया गया है और इसमें प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण, टोल फ्री हेल्पलाइन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पोर्टेबिलिटी के प्रावधान भी शामिल हैं।
    अपराध की संरचना (जुर्माना) से प्राप्त राशि से सामाजिक सुरक्षा निधि का निर्माण असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण गेम चेंजर है। जैसा कि ओएसएच संहिता की धारा 115(3) में बताया गया है, असंगठित श्रमिकों के कल्याण के लिए निधि का प्रबंधन ऐसे तरीके से किया जाएगा जैसा सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है, जिसमें असंगठित श्रमिकों के कल्याण के लिए फिलहाल लागू किसी भी अन्य कानून के तहत स्थापित किसी भी निधि में राशि का हस्तांतरण शामिल है।
    एक और महत्वपूर्ण बदलाव नई श्रम संहिता के तहत श्रम निरीक्षकों को निरीक्षक-सह-सुविधाकर्ता के रूप में नया पदनाम दिया गया है, जो श्रम निरीक्षणालय की भूमिका को न केवल निरीक्षण करने के लिए बल्कि नियोक्ताओं को जानकारी और सलाह प्रदान करने के लिए एक सुविधाप्रदाता के रूप में भी विस्तारित करता है। नई श्रम संहिता के तहत वेब आधारित औचक निरीक्षण प्रणाली की शुरुआत भी पारदर्शिता और अधिक जवाबदेही को बढ़ावा देती है।

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