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- प्रणय कुमार
्रधानमंत्री के प्रयासों से आज यह देश अपने ऐतिहासिक-सांस्कृतिक प्रतीकों एवं विरासत को तो ठीक ढ़ंग से सहेज-संभाल रहा ही है, साथ ही उसके प्रति सरकार और समाज के दृष्टिकोण में भी व्यापक एवं सकारात्मक बदलाव ला पा रहा है। परिवर्तन की इसी शृंखला में नवनिर्मित संसद-भवन विशेष उल्लेखनीय है। यह भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का गौरवशाली प्रतीक एवं कीर्त्तिस्तंभ है। निःसंदेह वह देश की लोकतांत्रिक यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा। वह नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का उदाहरण बनकर देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। उसमें पवित्र सेंगोल की स्थापना उसे भारत की महान विरासत एवं परंपरा से जोड़ता है। वह सत्ता को सदा न्याय एवं राजधर्म का बोध कराता रहेगा।
उनकी सरकार विचारधारा से जुड़े मुद्दों पर प्रतिबद्धता से काम करने के साथ-साथ महात्मा गाँधी और संघ समर्थित स्वदेशी आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में भी तत्परता से काम करती दिख रही है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ एवं ‘लोकल के लिए वोकल’ का उनका विचार केवल नारों तक सीमित नहीं दिख रहा। वे इस दिशा में बड़े सधे हुए क़दम बढ़ा रहे हैं। तमाम चीनी ऐप पर प्रतिबंध और चीन के साथ किए गए विभिन्न व्यापारिक समझौतों की समीक्षा एवं उनमें से कुछ का रद्दीकरण उसी दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है। इतना ही नहीं, विभिन्न स्रोतों से छन-छनकर आ रही खबरों के अनुसार लद्दाख में पहली बार भारत सीमा पर मज़बूती से सीना ताने डटकर खड़ा है और चीनी सेना से आँखें मिलाकर बात कर रहा है। गलवान घाटी में भी भारत ने चीन को उसी की भाषा में स्पष्ट उत्तर दिया था। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान घाटी में लगभग 60 चीनी सैनिकों के हताहत होने की पुष्टि हुई थी। इतना ही नहीं कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि भारतीय सेना ने पिछले कुछ वर्षों में सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण चोटियों एवं बिंदुओं पर अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है। भारत की सीमा पर चौकसी बढ़ी है, सड़कों का जाल बढ़ाया गया है, संकट के समय में काम आने वाले छोटे-मंझोले विमानतल पर उल्लेखनीय कार्य किया गया है। पाकिस्तान की सीमा में घुसकर किए गए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ एवं ‘एयर स्ट्राइक’ ने स्पष्ट संदेश दिया कि राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं सुरक्षा-संप्रभुता से मोदी सरकार कोई समझौता नहीं कर सकती। सेना को जैसे को तैसा नीति का अनुसरण करने की खुली छूट दी गई है। आतंकी घटनाओं एवं वारदातों पर अंकुश लगा है। बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए हैं तथा आतंकवादी एवं जिहादी संगठनों पर नकेल कसी गई है। कोरोना के कठिनतम कालखंड में मोदी और उनकी सरकार जिस दृढ़ता से विभिन्न मोर्चों पर मुस्तैद और तैनात रही, उसने न केवल भारत के लिए, अपितु पूरी दुनिया के लिए आपदा से निपटने हेतु उम्मीद की एक रोशनी जलाई है। नकारात्मक सोच वाले प्रलय के भविष्यवक्ताओं की प्रतिक्रियाओं को यदि कुछ पल के लिए भुला दें तो ऐसा कौन होगा जो यह कहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने एवं उसकी रोकथाम में कोई कोर-कसर बाक़ी रखी या अविश्वसनीय एवं असाधारण कार्य नहीं किया? 210 करोड़ से भी अधिक की संख्या में कोविड का टीका लग जाना क्या कोई छोटी उपलब्धि है! इस वैश्विक संकट में उन्होंने जिस स्वतःस्फूर्त सक्रियता, सजगता, सतर्कता, दूरदर्शिता त्वरित निर्णय एवं प्रत्युत्पन्नमति से शासन-व्यवस्था को गति दी, नौकरशाही एवं सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रेरित-प्रोत्साहित किया, यहाँ तक कि विभिन्न मुख्यमंत्रियों से भी ताल-मेल बनाए रखा, वह उन्हें केवल एक महान नेता ही नहीं, बल्कि महामानव सिद्ध करता है। उनकी वैक्सीन-मैत्री नीति ने पूरी दुनिया में भारत की छवि को सकारात्मक बनाया। विश्व के लगभग 100 देशों को 23.50 करोड़ से भी अधिक वैक्सीन उपलब्ध कराना क्या कोई साधारण उपलब्धि थी? उस वैक्सीन-मैत्री का ही सुखद परिणाम है कि आज पूरा विश्व भारत को सबसे भरोसेमंद साथी एवं सहयोगी साझेदार के रूप में देखता है। विदेश नीति के मोर्चे पर मोदी सरकार के प्रभाव एवं प्रदर्शन का आकलन इसी आधार पर किया जा सकता है कि आज चीन जैसा समृद्ध एवं सशक्त देश वैश्विक मंच पर नितांत एकाकी है और पाकिस्तान का तो कोई नामलेवा तक नहीं बचा।