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पाकिस्तान की मानसिकता

  • रमेश शर्मा
    कश्मीर में तीर्थयात्रियों की बस पर जिस दिन ाकिस्तानी आतंकवादियों का हमला हुआ, उसी दिन पाकिस्तान के क्रिकेटर कामरान ने भारतीय गेंदबाज अर्शदीप सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। दोनों घटनाओं ने पाकिस्तान की उस मानसिकता एक बार उजागर किया है जो नफरत और इंसानियत के कत्ल की बुनियाद पर खड़ी है।
    भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता करने और भाईचारा बढ़ाने की बात कहने और सुनने में तो अच्छी लगती है पर वास्तविकता से इसका दूर-दूर तक संबंध नहीं। भारत ने भाईचारा निभाने का हमेशा प्रयास किया किन्तु पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इसके विपरीत रही है । भाईचारा एक तरफा बहता पानी नहीं है । इस सत्य से सैंकड़ों बार भारत को साक्षात्कार हो चुका है । पाकिस्तान सद्भाव और भाईचारे के संबंध नहीं, भारत में अशांति फैलाना चाहता है । वह भी जिहाद का लेबल लगाकर। भारत में इस नारे को बार-बार सुना गया है और इस नाम बेगुनाह इंसानों का खून बहते भी देखा है। नौ जून को घटी दोनों घटनाओं में पाकिस्तान और उसके निवासियों की यही मानसिकता एक बार फिर सामने आई है । नौ जून को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हिन्दू तीर्थ यात्रियों की बस को निशाना बनाया और दूसरी घटना पाकिस्तान की है। पाकिस्तानी क्रिकेटर कामरान ने भारतीय गेंदबाज अर्शदीप सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।
    ये दोनों घटनाएँ जिस दिन घटीं वह साधारण दिन नहीं था। बहुत ऐतिहासिक दिन था। प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी और उनका मंत्रीमंडल अपनी तीसरी पारी आरंभ करने केलिये शपथ ग्रहण करने जा रहा था और दूसरी ओर भारत-पकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच होने वाला था । भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लोगों का ध्यान दोनों अवसरों पर लगा था। इस ऐतिहासिक अवसर को ग्रहण लगाने केलिये हिन्दू तीर्थ यात्रियों की बस को निशाना बनाया गया । यह बस वैष्णोदेवी जा रही थी । इसमें कुल 45 यात्री थे। ड्राइवर को गोली लगने से बस अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई जिससे दस तीर्थ यात्रियों का निधन मौके पर ही हो गया। शेष 35 अस्पताल में हैं। सारे यात्री निहत्थे थे। इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि बस खाई में नहीं गिरी होती तो आतंकवादी सभी तीर्थ यात्रियों को बस से उतारकर मौत के घाट उतारते । लेकिन बस के खाई में गिरने से अन्य यात्रियों के प्राण बच गये । हमलों की ताजा घटना में आतंकवादियों का यह अकेला हमला नहीं था । ग्यारह और बारह जून की मध्य रात्रि को दो और हमले हुए। पहला हमला कठुआ जिले केहीरानगर सैदा सुखल गांव में हुआ इस हमले में एक नागरिक की मौत हुई। इसी रात दूसरा हमला डोडा के छत्रकला सेना कैंप पर हुआ । इस हमले में पांच जवान घायल हुये ।
    इन सभी हमलों को पाकिस्तान से नियंत्रित किया जा रहा था और आतंकवादी भी पाकिस्तानी नागरिक हैं। इसकी पुष्टि मारे गये एक आतंकवादी और जब्त सामान से होती है । सुरक्षा बलों की मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया । जो आतंकवादी मारा गया वह पाकिस्तानी था। जो सामान जब्त हुआ उस पर भी पाकिस्तानी कंपनियों और दुकानों के नाम हैं। कश्मीर में घुसकर पाकिस्तानी आतंकवादी हिन्दू तीर्थ यात्रियों को हमेशा से निशाना बनाते हैं और जिहाद का नारा लगाते हैं । पाकिस्तान में बैठे आतंकवाद के सरगना भारत के मुसलमानों की भावुकता का लाभ उठाना जानते हैं।
    जिहाद और मजहब की बात सुनकर भारत के मुसलमान आतंकवादियों से तटस्थ हो जाते हैं। कुछ का ब्रेन वाॅश करके अपनी सहायता के लिये भी सक्रिय कर लेते हैं। पाकिस्तान ऐसा नेटवर्क खड़ा करके भारत के हर कोने में दुष्प्रचार करता है, कश्मीर में सबसे अधिक । पाकिस्तान निर्माण के सीमापार से एक नारा सुनाई दिया था “हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़ कर लेंगे हिन्दुस्तान” और बाकी स्वतंत्रता के बाद से पाकिस्तान कश्मीर में सक्रिय हो गया था। उसने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर अधिकार कर ही लिया है और शेष कश्मीर में अपना अधिकार करने केलिए आतंकवादी अभियान चला रहा है। आतंकवाद से कश्मीर के गैर मुस्लिम नागरिकों को भयभीत करके जा रहा है, यदि भारत के अन्य भागों से श्रमिक आते हैं तो उन्हें भी मारा जा रहा है। इसी षड्यंत्र के तहत कश्मीरी पंडितों को प्रताड़ित किया गया, गैर मुस्लिम श्रमिकों और कश्मीर जाने वाले तीर्थ यात्रियों पर हमले होते हैं । आतंकवाद और इंसानियत को शर्मसार करने वाले बेगुनाहों की हत्या को पाकिस्तान जिहाद का नाम देता है।
    पाकिस्तानी मानसिकता को भाईचारे, इंसानियत और सद्भाव शाँति से कोई मतलब नहीं होता । इसे पाकिस्तान के आंतरिक वातावरण से भी समझा जा सकता है। पाकिस्तान वैसा ही वातावरण कश्मीर में बनाना चाहता था। उसके लगातार षड्यंत्रों से कश्मीर वीरान होने लगा था। लेकिन पिछले चार पांच वर्षों से कश्मीर का वातावरण बदल रहा है। प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी के संकल्प के अनुरूप धारा 370 हटी और कश्मीर की चहल-पहल बढ़ने लगी। पर्यटकों की संख्या बढ़ी आर्थिक स्थिति सुधरी। आतंकवाद से निपटने के लिये सरकार ने भी सख्ती दिखाई और 2019 से कश्मीर में खुशहाली आने लगी थी । यह खुशहाली देखकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीरी नागरिकों में भी भारत से मिलने की ललक जागी जो पाकिस्तान केलिये एक खतरा लगा । इसलिये अब पाकिस्तान फिर से कश्मीर में आतंकवाद की जड़े जमाने का षड्यंत्र करने लगा । और इसके लिये उसने नौ जून का दिन चुना। नौ जून से बारह जून तक कश्मीर में आतंकवाद की कुल चार घटनाएँ घटीं।
    कश्मीर की इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने तलाशी अभियान तेज किया है और तीर्थ यात्रियों की बस पर हमला करने वाले आतंकवादियों को सूचना देने वालों को बीस लाख के पुरस्कार की घोषणा भी की है। फिर भी स्थानीय प्रशासन की सतर्कता पर प्रश्न तो उठते हैं। सबसे बड़ा प्रश्न तो यही है कि स्थानीय एजेन्सियों को आतंकवादियों की सक्रियता की सूचना निरंतर मिल रही थी फिर भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी। सबसे ताजा सूचना एक जून को पुंछ जिले के बुफ्लियाज जंगल में आतंकवादी गतिविधियों की थी। इससे पहले 24 मई को सांबा जिले के बेईन-लाल चक सीमावर्ती गांव में संदिग्ध व्यक्ति देखे गये । उससे पहले 19 मई को कठुआ जिले के तरनाह नाला सीमा पर तीन हथियारबंद लोग देखे गये। इससे पहले 14 मई को कठुआ जिले के जाखोले-जुथाना जंगल के पास पाँच छै संदिग्ध लोग देखे गये। इन प्रमुख सूचनाओं के अतिरिक्त अन्य सूचनाएँ भी मिलीं पर कोई प्रभावी कार्यवाही न हो सकी।

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