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भाजपा की जीत की कहानी के पीछे कई कारक

  • उमेश चतुर्वेदी
    एक्जिट पोल नतीजों में भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की भारी जीत का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि कई बार वास्तविक नतीजे एक्जिट पोल के अनुमान से अलग भी होते हैं। बीते साल नवंबर महीने में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के बारे में शायद ही किसी एक्जिट पोल ने राज्य में कांग्रेस की हार का अनुमान लगाया था। इसी तरह साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में बीजेपी की भारी जीत का अनुमान लगाया गया था। लेकिन वास्तविक नतीजों में बीजेपी बड़ी पार्टी तो बनी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई। पूरे देश की चुनावी यात्रा करने वाले बड़े राजनीतिक जानकार भी एक्जिट पोल जैसे ही नतीजों का अनुमान लगा रहे हैं, इसलिए तकरीबन मान ही लिया गया है कि चार जून को आने वाले नतीजे बीजेपी के ही अनुकूल होंगे। अयह सच है कि हर जीत की बुनियाद उसके सैनिक होते हैं, लेकिन जीत का वास्तविक श्रेय विजेता सेना के सेनापति को ही जाता है। चुनावी जंग के मैदान में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने जैसी रणनीति बनाई, उसके चक्रव्यूह में विपक्ष फंस गया। अठारहवीं लोकसभा के समापन सत्र में नरेंद्र मोदी ने ‘अबकी बार, चार सौ पार’ का जो नारा दिया, समूचा विपक्ष इसी नारे के जाल में घिर गया। कई बार चाहते हुए तो कई बार अनचाहे में विपक्ष इसी नारे के प्रतिवाद में खड़ा रहा। मोदी के आलोचक कह सकते हैं कि विपक्ष ने बाद के दिनों में अपने मुद्दों की पटरी पर चुनावी रेल को लाने में कामयाब रहा, जिसमें महंगाई और बेरोजगारी जैसे मसले प्रमुख रहे। लेकिन सच तो यह है कि महंगाई के मुद्दे की हवा यह कह कर निकालता रहा है कि पहले जहां चालीस रूपए रोजाना मजदूरी थी, वहां अब चार सौ रूपए रोजाना है। इसलिए महंगाई भी स्वाभाविक है। आज सूचना और संचार के तमाम साधनों के जरिए आम वोटरों तक भी कई तरह की सूचनाएं आ रही हैं। इसलिए मुद्दों के पीछे की राजनीति और उसकी हकीकत को अब वोटर भी समझने लगा है। फिर महंगाई और बेरोजगारी ऐसे मुद्दे हैं, जो 1957 के आम चुनाव से लेकर अब तक के सारे चुनावों के मुद्दे रहे हैं। दिलचस्प यह है कि इन दोनों समस्याओं का अब तक कोई ठोस हल नहीं निकाला जा सका है। इसलिए अधिसंख्य वोटर अब मानने लगा है कि इन मसलों का कोई मतलब नहीं है।
    फ्री राशन योजना के आलोचकों की भी कमी नहीं है। लेकिन इसने देश के निम्नमध्यवर्गीय परिवारों को बड़ा संबल दिया है। परिवार की भूख का ताप सबसे पहले घर की महिला महसूस करती है। फ्री राशन योजना ने शहरी और ग्रामीण दोनों निम्न मध्यवर्गीय परिवारों की महिलाओं को बड़ी राहत दी है। इसकी वजह से महिलाओं के मन में मोदी के प्रति आभार का भाव स्थापित हो गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना और शौचालय के चलते महिलाओं को बड़ी सहूलियत हुई है। फ्री राशन योजना का फायदा अस्सी करोड़ लोगों को मिल रहा है। हिंदीभाषी राज्यों में शौचालय इज्जत की सुरक्षा की गारंटी बन चुका है। इससे महिलाओं से छेड़खानी और रेप की घटनाओं ं की संख्या बेहद कम हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में एक दौर में शाम होते ही छिनैती की घटनाएं बढ़ जाती थीं। लेकिन अब ऐसी वारदातों पर लगाम लग चुकी है।
    अब तक देश में करीब 10.35 करोड़ उज्जवाल गैस कनेक्शन, साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास और करीब बारह करोड़ शौचालय दिए जा चुके हैं। इन योजनाओं को लागू करने में जाति, धर्म और अपने वोटर का ध्यान नहीं रखा गया। इसके साथ ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से कानूनी तौर पर मुक्ति मिली है।

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