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संदेशखाली का सच स्वीकार करें ममता

  • अवधेश कुमार
    पश्चिम बंगाल के संदेशखाली कांड ने पूरे देश को सन्न कर दिया है। जिस तरह की घटनाएं सामने आ रहीं हैं उन पर सहसा विश्वास करना कठिन है। आखिर किसी कानून के शासन वाले राज्य में ऐसा कैसे संभव है कि कोई, कुछ या कुछ लोगों का समूह जब चाहे जितनी संख्या में चाहे महिलाओं को बुला ले और उनका शोषण करें? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहतीं हैं कि संदेशखाली घटना के पीछे भाजपा का हाथ है। उन्होंने कहा कि संदेशखाली में सबसे पहले ईडी को भेजा गया। फिर ईडी की दोस्त भाजपा कुछ मीडियावालों के साथ संदेशखाली में घुसी और हंगामा करने लगी। ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस या सरकार के अन्य प्रवक्ता ऐसी घटना को नकारने की जितनी कोशिश करते हैं उतना ही सच सामने आ रहा है। राजनीतिक दलों के बयानों और मांगों को कुछ समय के लिए छोड़ दीजिए, टेलीविजन कैमरों पर जितनी संख्या में महिलाएं आकर आपबीती सुना रहीं हैं उनसे किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल जाएगा। राजनीतिक दलों में भी केवल भाजपा आवाज उठाती या आंदोलन करती तो माना जाता कि शायद आरोपों में उतनी सच्चाई नहीं है जितनी प्रचारित की जा रही है। सारी वामपंथी पार्टियां और कांग्रेस भी संदेशखाली पर एक ही स्वर में बात कर रहे हैं। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने संदेशखाली में अशांत क्षेत्रों का दौरा कर कहा कि मैंने जो देखा वह भयावह, स्तब्ध करने वाला और मेरी अंतरात्मा को हिला देने वाला था। उन्होंने कहा कि विश्वास करना कठिन है कि रविंद्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा हुआ है। यह भी पहली बार होगा जब राज्यपाल ने राजभवन का नंबर जारी करते हुए कहा कि किसी महिला को डरने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें समस्या है तो राजभवन में शरण ले सकती हैं। राज्यपाल ने स्थानीय महिलाओं से कहा कि चिंता मत कीजिए, आपको न्याय जरूर मिलेगा।
    यदि मामले की गंभीरता नहीं होती तो कोलकाता उच्च न्यायालय इसका स्वत: संज्ञान नहीं लेता। पहले उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अपूर्व सिंह राय की एकल पीठ ने सुनवाई की और बाद में इसे दो सदस्यीय पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया। उच्च न्यायालय इनमें दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई कर रही है। पहले स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने का है और दूसरा स्थानीय महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का।
    उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने के बाद उम्मीद करनी चाहिए कि मामले का सच सामने आएगा तथा दोषियों को उपयुक्त सजा मिलेगी। किंतु स्वयं ममता बनर्जी और उनके लोग जब तक यह मानने को तैयार नहीं होंगे कि स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे जघन्य और शर्मनाक घटना उनके राज्य में घटित हुई है तब तक सच होते हुए भी इसे साबित करना मुश्किल होगा। पुलिस प्रशासन का रवैया देखिए तो साफ हो जाएगा कि संदेशखाली कांड की सही तरीके से जांच और कानूनी प्रक्रिया पूरी करना सामान्य तौर पर संभव नहीं हो सकता। शाहजहां शेख इतने लंबे समय तक गिरफ्तार नहीं हुआ है तो क्यों? उच्च न्यायालय का दबाव नहीं होता तो शायद उसकी गिरफ्तारी नहीं होती। मामले के दो प्रमुख आरोपी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार सहित 18 गिरफ्तार हो चुके थे।‌ हालांकि ये भी आसानी से गिरफ्तार नहीं हुए। महिलाओं के प्रदर्शन और बवंडर के बाद तृणमूल कांग्रेस ने उत्तम सरदार को उत्तर 24 परगना जिला परिषद सदस्य और तृणमूल के अंचल अध्यक्ष के पद से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया। उसके बाद ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने का साहस कर सकी। लोग बता रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस के लोग घर-घर जाकर देखते थे और जिस घर में सुंदर लड़कियां या महिलाएं होती उन्हें बुला लिया जाता था या उठाकर ले जाया जाता था। पार्टी कार्यालय में भी उनका यौन शोषण किया जाता था। शाहजहां शेख का आतंक इतना था कि कोई आवाज उठाने का साहस नहीं कर पाता था। 5 जनवरी को जब ईडी द्वारा राशन घोटाले से जुड़े मामले में शाहजहां शेख के संदेशखाली स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान भारी संख्या में लोगों ने एड की टीम के साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों पर पर हमले कर दिए और शहर से लगभग 74 किमी दूर गांव से भागने तक मारपीट की। शाहजहां के फरार होने की खबर से लोगों का साहस बढ़ा और वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने लगे जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वस्तुत: 5 जनवरी को हुए हमलों के 33 दिनों बाद 7 फरवरी को संदेशखाली में फिर से हंगामा हुआ। केंद्र द्वारा बंगाल को बकाया फंड से वंचित करने का आरोप लगाकर तृणमूल ने संदेशखाली के त्रिमोहानी बाजार में जनजाति समुदाय के एक वर्ग के साथ एक रैली निकाली थी। इसमें शेख शाहजहां के जयकारे लगाने के बाद ही हंगामा शुरू हुआ‌ और लोग तृणमूल के विरुद्ध नारे लगाने लगे। शाहजहां और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने तथा लंबे समय से महिलाओं के यौन उत्पीड़न सहित अनेक प्रकार की प्रताड़नाओं का आरोप लगाने लगे। आक्रोशित महिलाओं ने शिबू हाजरा के खेत और पॉल्ट्री फॉर्म में आग भी लगा दी। लोग बता रहे हैं कि पॉल्ट्री फॉर्म गांव के लोगों की जमीन छीनकर अवैध तरीके से बनाया गया जहां अनेक तरह की अवैध गतिविधियां चलती थी। उसे क्षेत्र में जाने के बाद कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है कि तृणमूल कांग्रेस, शाहजहां और उनके लोगों का किस तरह का आतंक और दबदबा रहा होगा। शाहजहां के घर पर गई ईडी की टीम और सशस्त्र पुलिस बल पर हुआ हमला इस बात का प्रमाण था कि वहां पुलिस और प्रशासन का नहीं शेख शाहजहां और उसके नेतृत्व में चलने वाले तृणमूल कांग्रेस के नाम पर खड़े किए गए साम्राज्य का शासन था।
    ममता बनर्जी ने विधानसभा में बोलते हुए इसमें भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घसीटा। ममता ने कहा कि संदेशखाली आरएसएस का गढ़ है। वहां पहले भी दंगे हुए थे। क्या आरएसएस में वहां शाहजहां शेख और तृणमूल के लोगों को सत्ताबल की बदौलत जमीन हड़पने और महिलाओं के वीभत्स यौन उत्पीड़न के लिए रास्ता तैयार किया? वहां जाकर कोई भी देख सकता है कि 24 परगना का संदेशखाली ही नहीं आसपास बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती इलाके में रहने वाले भारी आबादी होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति के लोग किस तरह की स्थितियों का सामना कर रहे हैं।

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