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- डॉ. समन्वय नन्द
अब कुछ दिनो से ‘द केरल स्टोरी ’ फिल्म चर्चा में है । इस फिल्म में हिन्दू व ईसाई लड़कियों को बहला फुसलाकर तथा उनका ब्रेन वाश कर इस्लाम में धर्मांतरित किये जाने के घटनाओं को दर्शाया गया है । केवल इतना ही नहीं, इसके बाद आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन के आतंकवादियों की यौन दासी बनने के लिए भेजने संबंधी दिल दहला देने संबंधी घटनाओं को दिखाया गया है । सालों के अनुसंधान के बाद यह फिल्म बनायी गई है।
इसकी कहानी पूर्ण रूप से सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इसके रिलीज होने के बाद फिल्म के चरित्रों से मेल खाने वाली लड़कियां भी मीडिया में आकर अपनी आप बीती लोगों को सुना रही हैं। फिल्म को पूरे देश में सराहा जा रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फिल्म को राज्य में प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। बनर्जी ने जो तर्क दिया है वह जबरदस्त है। उन्होंने कहा कि ऐसा राज्य में नफरत और हिंसा की किसी भी घटना से बचने के लिए किया गया है। यहां इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि देश में एक फिल्म को रिलीज होने से पूर्व कई प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को देखने के बाद इस फिल्म में आवश्यक संशोधन किए हैं। कुछ संवाद भी हटाये गये हैं। कुछ को बदला गया है। इस फिल्म पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न राज्यों के हाइकोर्ट में इस फिल्म के रिलीज होने के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं। लेकिन न्यायालयों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया था। यह बात समझ से परे है कि आईएसआईएस के काले कारनामों को दिखाने पर पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की भावनाएं क्यों आहत होंगी? वैसे भारत में जो स्थिति है उससे एक बात तो तय है कि मुसलमानों की भावनाएँ अब कब और किस बात पर भड़क जायें, इसका कोई ठिकाना नहीं है। पश्चिम बंगाल में रामनवमीं बड़े पैमाने पर मनाया जाता है तथा शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। ममता बनर्जी ने तब घोषणा कर दी कि हिन्दुओं को रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने से बचना चाहिए।
मुसलमान बहुल इलाकों में से कतई नहीं निकालना चाहिए। अन्यथा मुसलमानों के भावनाएं भड़क सकती हैं और राज्य में अशांति फैल सकती है। लेकिन बंगाल के हिन्दुओं ने अपने परंपरा के निर्वाह करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से रामनवमी के दिन शोभायात्रा निकाली । जैसा कि ममता बनर्जी ने पहले ही कहा था, मुसलमानों के भावनाएं भड़क गईं और उन्होंने घरों के छतों पर से पहले से रखे गये पत्थरों के साथ-साथ अन्य हथियारों से निहत्थे धर्मालुओं पर हमला कर दिया। ममता बनर्जी की पुलिस राज्य में शांति स्थापना करने के लिए हमलावरों को गिरफ्तार करने के बजाय शोभायात्रा में भाग लेने वाले लोगों को गिरफ्तार करने लगीं।
वैसे बाद में कोलकाता हाइकोर्ट ने इस मामले में आतंकवादी एंगल होने की आशंका व्यक्त करते हुए मामले की जांच को ममता की पुलिस से छीन कर एनआइए को दे दिया है। इस फिल्म को लेकर तमिलनाडु में स्टालिन सरकार ने भी यही कार्य किया है। उसका भी तर्क लगभग ममता बनर्जी का तर्क है। ऐसा नहीं कि भारत में जो सरकारें हैं वे मुसलमानों की भावनाओं का ख्याल नहीं करतंी।