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सही समय पर खींची जा रही लम्बी लकीर

सनी राजपूत
22 जनवरी 2024 के दिन अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही विश्व ने भारत के मूल स्वरुप का दर्शन किया। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के रूप में भारत की वास्तविक पहचान को भी स्थापित करने का सफल प्रयास किया गया हैं। प्रभु श्री राम भारत की आत्मा हैं और अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होने से भारत के भीतर एक नयी चेतना घर कर गई हैं। अयोध्या का भव्य राम मंदिर संपूर्ण विश्व को भारत की ओर आकर्षित तो कर ही रहा हैं, साथ ही साथ विश्व में भारत को पुनर्स्थापित भी कर रहा हैं। समय के साथ धीरे-धीरे भारत अपने गौरव को प्राप्त हो रहा हैं।
अयोध्या के साथ-साथ भारत के और भी अनेक धार्मिक नगरों का विकास किया जा रहा हैं। पिछले कुछ वर्षो में भारत के धार्मिक नगरों का विकास बड़ी तेजी से हो रहा हैं। धार्मिक नगरों के विकास को देखते हुए पर्यटन के क्षेत्र में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने के लिए मिल रहा हैं। श्री राम मंदिर निर्माण के लिए सामान्य लोगो द्वारा दिया जाने वाला दान 7000 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया हैं। जब इतनी बड़ी राशि मंदिर के विकास कार्य सहित अन्य सभी व्यवस्था पर खर्च होगी, तब इससे जुड़े लोगो को बड़ी मात्रा में रोजगार मिलने की सम्भावना देखी जा रही हैं। जैसे-जैसे भारत के धार्मिक नगरों का विकास हो रहा हैं। वैसे-वैसे भारत में तीर्थ पर्यटन भी तेजी से बढ़ रहा हैं। पिछले कुछ वर्षो में अनेक धार्मिक नगरों में तीर्थ पर्यटन के क्षेत्र में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखने के लिए मिली हैं। जिसके कारण सम्बंधित नगर और उसके आस-पास के क्षेत्र में एक बड़ा अर्थतंत्र विकसित हुआ हैं। भारत के बड़े-बड़े धार्मिक नगर अपने आप में बड़े अर्थतंत्र के रूप में उभर रहे हैं।
अयोध्या में श्री राम मंदिर के पहले ही अनेक धार्मिक नगर और उनके तीर्थ स्थानों के विकास का काम चल रहा हैं। जिसमे से कुछ मुख्य नगरों और तीर्थ स्थलों का निर्माण पूरा भी हो चूका हैं। सर्वप्रथम केदारनाथ तीर्थ क्षेत्र की बात की जाए तो हम देख सकते हैं कि केदारनाथ के विकास के पहले और बाद में दर्शनार्थीओ की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने के लिए मिल रही हैं। वर्ष 2023 में केदारनाथ में दर्शनार्थीओ की संख्या 15 लाख के आंकड़े को भी पार कर गयी हैं। जिसके कारण वहां एक मजबूत स्थानीय अर्थतंत्र खड़ा हो गया हैं। ठीक इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कशी विश्वनाथ मंदिर और कॉरिडोर के निर्माण के साथ दर्शनार्थीओ की संख्या में बढ़ोतरी देखने के लिए मिली हैं। समय के साथ दर्शनर्थिओ की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं।
धार्मिक नगरों के विकास से परिवर्तन का अनुपम उदाहरण उज्जैन नगर भी हैं। उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित हैं, जो कि भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में एक हैं। महाकाल लोक कॉरिडोर के निर्माण के बाद से उज्जैन के स्थानीय अर्थतंत्र में जबरदस्त सकारात्मक बदलाव देखने के लिए मिल रहा हैं। महाकाल लोक निर्माण के पहले जहा प्रतिदिन औसत 20 हजार से 25 हजार दर्शनार्थी उज्जैन में आते थे, वही वर्तमान में प्रतिदिन औसत दर्शनार्थीओ की संख्या 1 लाख से लेकर 1.5 लाख तक पहुंच गई हैं। लगातार बढती संख्या के कारण उज्जैन नगर की स्थानीय बाजार में पहले की तुलना में चार से पांच गुना अधिक व्यापार हो रहा हैं। जिसके माध्यम से रेस्टोरेंट, होटल, लॉज, दुकाने, पब्लिक यातायात के साधन आदि सभी को इसका सीधा लाभ मिलता हैं। महाकाल लोक निर्माण के बाद से उज्जैन और आस पास के लोगो की आय में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखने के लिए मिल रही हैं।
एक समय था जब भारत में पर्यटन के नाम पर केवल दो चार स्थानों को ही प्रमुख जाता था। जिसमे तीर्थ पर्यटन की कल्पना करना भी संभव नहीं था। विदेशो से आने वाले पर्यटक ताजमहल तक सिमित थे। किन्तु पिछले कुछ वर्षो में भारत के भीतर पर्यटन को लेकर सोच बदली है और यही कारण हैं कि वर्तमान में भारत की टूरिज्म इकॉनमी 2 लाख करोड़ के पार हो गयी हैं। जिसमे लगभग 10% हिस्सेदारी तीर्थ पर्यटन से जुड़ी हुयी हैं। और समय के साथ तीर्थ पर्यटन आर्थिक मोर्चे को अधिक मजबूत करने के काम में लगा हुआ है। भारत में लगातार हो रहे धार्मिक नगरों के विस्तार और विकास को ही लम्बी लकीर के रूप में देखा जा रहा हैं।

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