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- सोनम लववंशी
बीते दिनों राजस्थान के अजमेर में 12वीं की छात्रा को बोर्ड एग्जाम देने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। सोचिए हमारे समाज का स्तर कितना रसातल में चला गया है कि जिस लड़की के साथ रेप हुआ उस लड़की को ही स्कूल के शिक्षक घर की चारदीवारी में रहने की सलाह दे रहे हैं। उनका मानना है कि रेप पीड़िता के स्कूल आने से स्कूल का माहौल ख़राब हो जाएगा। जबकि हमारा समाज बलात्कार के आरोपियों का महिमा मंडन करते नहीं थकता। रेपिस्ट के परिवार के सदस्य अपने बेटे को छुड़ाने में ज़मीन आसमान तक एक कर देते हैं। उन्हें समाज में वही सम्मान मिलता है जो एक सामान्य नागरिक को मिलता है। उनके निंदनीय अपराध के बाद भी समाज में लड़कों की इज्जत कभी कम नहीं होती। जबकि लड़की को समाज में मुंह छुपाकर रहने की सलाह दी जाती है।
समाज तो दूर उनका अपना परिवार भी उन्हें अपमानित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता है।
जरा सोचिए रेप के बाद उस मासूम लड़की के मन में कितना दर्द, कितनी पीड़ा हुई होगी बावजूद उसके लड़की ने फिर से खड़े होने का साहस जुटाकर अपनी पढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया। लेकिन स्कूल प्रशासन ने उस लड़की के सपनों को पल भर में तोड़ दिया। इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि हमारे समाज में रेप पीड़ित महिला का समाज द्वारा हजारों बार बलात्कार किया जाता है। निर्दोष होते हुए भी उसे समाज कभी सम्मानित नजरों से नहीं देखता। जीवन भर एक ऐसे दर्द से गुजरना पड़ता है जिसमें उसका कोई दोष नहीं होता है। कितनी शर्म की बात है कि ये मामला तब सामने आता है, जब पीड़िता अपने साथ हुए अन्याय के ख़िलाफ़ बाल कल्याण समिति में शिकायत करती है। पीड़िता की शिकायत है कि उसे चार महीने पहले बोर्ड परीक्षा में शामिल होना था पर स्कूल ने उसे परीक्षा में बैठने के लिए प्रवेश पत्र ही नहीं दिया।
राजस्थान यौन अपराधों के मामलों में अव्वल नम्बर है, लेकिन अशोक गहलोत की सरकार में रहते हुए साल 2022 में विधायक और मंत्री शांति धारीवाल ने एक बयान दिया था। आखिर उसे कौन भूल सकता है! उस वक्त मंत्री शांति धारीवाल ने कहा था कि बलात्कार के मामले में हम नम्बर वन पर हैं, अब ये बलात्कार के मामले में क्यों है? कहीं न कहीं गलती तो है। वैसे भी यह राजस्थान तो मर्दों का प्रदेश रहा है यार, उसका क्या करें? सोचिए जिस राज्य के नेता पूर्वमंत्री ही बलात्कार जैसे मामलों पर विधानसभा में ठहाके लगाए और इस तरह के बयान दें तो फिर उस राज्य में महिलाओं की स्थिति क्या होगी इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। वैसे एक कहावत है कि जिसके पैर न फ़टी बिबाई वो क्या जाने पीर पराई। ऐसे में जिन्होंने कभी महिलाओं के दर्द को जाना ही नहीं उनके लिए महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करना उनके चरित्र पर उंगली उठाना रेप जैसी वारदात को जायज़ ठहराना कोई बड़ी बात नहीं है।