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क्या यह जुमला नहीं है कि देश एवं संविधान खतरे में है?

  • डा. मनमोहन प्रकाश
    पिछले कुछ दिनों से विशेष लोगों द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि ‘देश को बचाना है, संविधान को बचाना है’। इसका मतलब तो यही हुआ कि न सिर्फ देश खतरे में है अपितु उसका संविधान भी खतरे में है। देश खतरे में तभी कहलाता है जब देश की सीमाएं सुरक्षित न हो। किसी ताकतवर देश द्वारा आक्रमण कर दिया हो। देश में भुखमरी, अराजकता, लूटपाट, अपराध अपने चरम पर हो। सत्ता को हासिल करने के उद्देश्य से देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई हो। आतंकवाद की घटनाएं अपने चरम पर हों। देश की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान देश जैसी हो गई हो, फौजी या अन्य ताकतों के हस्तक्षेप से तख्तापलट की संभावना निर्मित हो गई हो। नियम कानून का राज शून्य पर पहुंच गया हो। न्याय पालिका की स्वतंत्रता खत्म हो गई हो। बोलने और लिखने की आजादी छीन गई हो। मेरी दृष्टि में उपरोक्त स्थितियों से हमारा देश अभी कोसों दूर है। अपितु देश पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है, सुरक्षित हुआ है, विकसित हुआ है। हमारे देश की सेनाएं पहले से ज्यादा सशक्त हुई हैं, पहले से ज्यादा आधुनिक और खतरनाक अस्त्र-शस्त्र (परमाणु) से सुसज्जित हुई हैं। पड़ोसी देशों में भी हमारे सैन्य बल का खौफ पहले से ज्यादा है। इतना ही नहीं आज भारतीय सेना के पास अपने आपको आधुनिक बनाने के लिए न तो पैसों की कमी है,न ही संसाधन का टोटा है,न ही सेना को राष्ट्र हित में निर्णय लेने के लंबा इंतजार करना होता है। भारतीय सेना धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही है। कई राष्ट्र भारत द्वारा निर्मित अस्त्र-शस्त्र को खरीद रहे हैं। यह तभी संभव है जब हमारे अस्त्र-शस्त्र दुनिया के अस्त्र-शस्त्र भंडार में विशेष पहचान रखते हों। भारत की विदेश नीति भी पहले ज्यादा सशक्त,दवाब रहित और प्रेक्टिकल दिखाई देती है। भारत में भुखमरी तथा अराजकता जैसी स्थिति कभी भी नहीं रही है- कोरोना काल में भी नहीं। करोड़ों साधनहीन गरीब जनता को आज भी सरकार मुफ्त अनाज उपलब्ध करा रही है, खातों में विभिन्न योजना के अंतर्गत सीधे राशि पहुंच रही है। देश में नियम- कानून का पालन हो रहा है और न्यायालय स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। न्यायपालिकाओं द्वारा भी संविधान सम्मत,नियम-कानून सम्मत निर्णय सुनायें जा रहे हैं – यहां तक कि सरकार की गलती होने पर उसके विरुद्ध भी निर्णय सुनाने में कोई परहेज नहीं। भारत में न तो इमरजेंसी जैसी स्थितियां है और न ही इमरजेंसी लागू है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में सेनाएं भी प्रजातांत्रिक रूप से चुने गये प्रतिनिधियों और उनकी सरकार के द्वारा लिये गये निर्णयों का सम्मान करती है। अर्थव्यवस्था दिन-दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रही है तभी तो आज हमारा देश विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था है और तीसरे अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। विदेशी एजेंसियों सहित विभिन्न विकसित और विकासशील देश भी भारत की आर्थिक प्रगति, विकास दर की तारीफ कर रहे हैं।

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