Home » भारत-कतर गैस समझौता : सधी हुई ऊर्जा कूटनीति

भारत-कतर गैस समझौता : सधी हुई ऊर्जा कूटनीति

  • अरविंद कुमार मिश्रा
    पर्यावरणीय संकट के बीच वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। देश में प्राथमिक ऊर्जा मांग 2050 तक दोगुनी हो जाएगी। भारत की मौजूदा आर्थिक विकास दर 7.5 प्रतिशत से अधिक है। आर्थिक तरक्की की वर्तमान दर को गति देने के साथ समावेशी विकास के लिए ऊर्जा की नई साझेदारियां विकसित करनी होगी। इस दिशा में भारत ने खाड़ी देश कतर के साथ 20 साल के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस के आयात का समझौता किया है। 78 अरब डॉलर में संपन्न यह समझौता भारत की ऊर्जामयी यात्रा में निर्णायक होगा। भारत की सबसे बड़ी एलएनजी आयातक कंपनी पेट्रोनेट लिमिटेड हर साल 75 लाख टन गैस खरीदेगी। प्राकृतिक गैस की मदद से देश में बिजली, ऊर्वरक और सीएनजी की उपलब्धता टिकाऊ बनेगी। देश में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए 35 हजार किलोमीटर लंबी वन नेशन वन गैस ग्रिड स्थापित की जा रही है। लगभग 22 हजार किलोमीटर गैस पाइपलाइन परिचालन स्तर आ चुकी है। गैस ग्रिड का उद्देश्य दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों तक पीएनजी और एलएनजी की उपलब्धता को आसान बनाना है। हमारी ऊर्जा की जरुरतों में अभी प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत है। इस दशक के अंत तक इसे 15 प्रतिशत के स्तर पर ले जाने का लक्ष्य है। पेट्रोल, डीजल और कोयला के मुकाबले काफी कम प्रदूषक होने से प्राकृतिक गैस शून्य कार्बन उत्सर्जन से जुड़े लक्ष्य में सहायक होगी।
    कतर एनर्जी के साथ संपन्न इस समझौते से वर्तमान दर पर भारत को 0.8 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट बचत होगी। इससे 2048 तक देश को छह अरब डॉलर का लाभ होगा। इसके साथ ही भारत को होने वाले एलएनजी आयात में कतर की हिस्सेदारी लगभग 35 प्रतिशत हो जाएगी। प्राकृतिक गैस के आयात को लेकर इससे पहले दोनों देशों के बीच 31 जुलाई 1999 में समझौता हुआ था। यह 2028 में समाप्त होगा। नया एलएनजी समझौता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि खाड़ी देश कतर अमेरिका के बाद एलएनजी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। कतर की सरकारी ऊर्जा कंपनी एलएनजी उत्पादन क्षमता 2027 तक 7.7 करोड़ टन से बढ़ाकर 12.6 टन सालाना करेगी।
    भारत और कतर गैस समझौता देश की सधी हुई ऊर्जा कूटनीति का परिणाम है। अभी हम अपनी जरुरत का 80 प्रतिशत तेल आयात करते हैं। प्राकृतिक गैस के मामले में यह अनुपात लगभग 56 प्रतिशत है। तेल और गैस की साझेदारियों में खाड़ी देशों पर हमारी निर्भरता अधिक रही है।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd