डॉ. मनमोहन प्रकाश
भारत संविधान से भले ही सनातन राष्ट्र ना हो किन्तु इस धर्म या विचार को मानने वालों की संख्या के आधार पर सनातनी राष्ट्र है। पिछले एक दशक में देश की जनता ने भयमुक्त होकर सनातन धर्म, संस्कार और संस्कृति का समर्थन किया है। कुछ मुठ्ठी भर लोगों ने विरोध भी किया, सनातन धर्म और उसके ग्रंथों को भला-बुरा कहा, पर अन्त में उन्हें हताशा और निराशा ही हाथ लगी। वहीं दूसरी ओर कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं को न चाहकर भी सनातन मंदिर के सामने नतमस्तक होना पड़ा। किन्तु अब प्रदेश और केंद्र की सरकारों को इसमें रोजगार और स्वरोजगार सृजन का मार्ग दिखाई देने लगा है।शायद इसी के मध्येनजर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए धर्म स्थलों को न सिर्फ आकर्षक बनाने की शुरुआत की गई अपितु इन्हें सभी सुविधाओं से युक्त करने के प्रयास भी तेज हुए हैं। पर्यटन के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना कोई नया फंडा नहीं है। विदेशों में पर्यटन को उद्योग मानते हुए इसके माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रयास किया जाता रहा है। कुछ देश तो पर्यटन के कारण ही फल-फूल रहे हैं,चाहे फिर वो यूएई हो, मलेशिया हो,मारिशस हो, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका हो या फिर मालदीव आदि।
स्वयं या परिवार के आनंद के लिए पर्यटन या यात्राएं वैसे तो पैसे वालों का शौक रहा है पर भारत में धर्म यात्राएं गरीब से लेकर अमीर व्यक्तियों का सपना होती हैं। जैसे हर सनातनी की इच्छा होती है कि वह अपने जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा करे, बाराह ज्योतिर्लिंगों तथा इक्वायन शक्ति पीठों और अष्ट विनायक के दर्शन, जितना भी कर सके,अवश्य करे।
इसी तरह अन्य धर्मों के अनुयायी अपने धर्म स्थलों पर जाना पसंद करते हैं। भारत भूमि की विशेषता यही है कि वह सनातन,जैन, बौद्ध,सिक्ख धर्मों की जननी रही है, इस कारण इन धर्मों के धर्म स्थल भी अधिक हैं। भारत ने पिछले दशक में धार्मिक पर्यटन से रोजगार/स्वरोजगार के मार्ग प्रशस्त होते देख धर्म स्थलों की दशा और दिशा सुधारने का, विकसित करने का, इन स्थलों की यात्रा को सुगम,सहज, सुविधा युक्त तथा धर्म स्थलों को आकर्षक बनाने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किये हैं। इन स्थानों को अच्छी रेल , सड़क एवं हवाई सुविधाएं प्रदान की जा रही है। स्थानीय तथा यात्रियों के लिए खान-पान से लेकर अन्य जरूरत की छोटी- बड़ी चीजों की आपूर्ति का ध्यान रखा जा रहा है। इन सब से नये-नये व्यापार और रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं। धर्म स्थल एवं आसपास के स्थानों पर आधुनिक होटलों, धर्मशालाओं , रिसोर्ट का निर्माण हो रहा है। जल स्रोतों के शुद्धीकरण एवं रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा है, घाटों का निर्माण हो रहा है।
नई टाउनशिप्स जन्म ले रही हैं, पुरानी टाउनशिप्स का विकास एवं विस्तार हो रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर हर धर्म,जाति, भाषा के लोगों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान हो रहा है और भविष्य में भी होते रहने की संभावना है।इन स्थलों पर हो रहे विकास और सृजित हो रहे रोजगार, व्यवसाय के अवसरों को देखते हुए ऐसा लगता है कि यहां के लोगों को अब शायद रोजी-रोटी के लिए पलायन न करने पड़े।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पिछले एक दशक में रामलला मंदिर के कारण अयोध्या धाम अपने नये रूप में सबके सामने आया है, श्री केदारनाथ धाम का पुनर्विकास हुआ है, चार धाम यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, बाबा बर्फानी यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाया गया है।
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