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बढ़ता गंभीर जल संकट

  • सत्यशोभन दास
    मध्य प्रदेश में प्रमुख नदियों नर्मदा , ताप्ती , माही, गोदावरी (वैनगंगा) का उद्गम के साथ में बेतवा, केन, तवा नदियों के साथ अन्य बहुत नदियां, सैंकड़ों झीलें झरने और तालाब है। इन सबके बावजूद, मध्य प्रदेश उन राज्यों में से एक है, जो गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। राज्य मुख्य रूप से कृषि प्रधान है, जहां कृषि आबादी के एक बड़े हिस्से की आजीविका का मुख्य स्रोत है। हालांकि, राज्य में पानी की कमी, गिरते भूजल स्तर और अकुशल जल प्रबंधन प्रथाओं से जूझ रहा है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में इंदौर, रतलाम के सहित भारत के 21 प्रमुख शहरों में 2030 तक भूजल समाप्त हो जाने की आशंका है। यह देश के लिए चिंताजनक स्थिति है, जहां अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली कृषि, सिंचाई के लिए भूजल पर बहुत अधिक निर्भर है। इससे 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे और इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि भारत की 40 प्रतिशत आबादी को पीने के पानी तक पहुंच नहीं होगी, जो वास्तव में एक भयावह समस्या होगी। मध्य प्रदेश में जल संकट में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक कृषि उद्देश्यों के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन है। किसान सिंचाई के लिए भूजल पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जिससे भूजल स्तर में कमी आ रही है और कुएं सूख रहे हैं। इसके अतिरिक्त, शहरीकरण एवं पारंपरिक जल संसाधनों की अनदेखी, अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है।
    जल-संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए एक पूर्णतावादी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो जल प्रबंधन के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को ध्यान में रखें। जल संरक्षण करना हमारी सदियों पुरानी परंपरा रही है । इसी बात को तथ्य और कहानी के रुप में सुंदर बयां करती है, अनुपम मिश्र जी की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’ जरूर पढ़िएगा। वो लिखते हैं- महाभारत काल के तालाबों में कुरुक्षेत्र का ब्रह्मासर, करनाल की कर्णझील और मेरठ के पास हस्तिानपुर में शुक्रताल आज भी हैं और पर्वों पर यहां लाखों लोग इकट्ठे होते हैं। रामायण काल के तालाबों में श्रृंगवेरपुर का तालाब प्रसिद्ध रहा है। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के निदेशक श्री बी.बी. लाल ने पुराने साक्ष्य के आधार पर इलाहाबाद से 60 किलोमीटर दूर खुदाई कर इस तालाब को ढूंढ़ निकाला है। श्री लाल के अनुसार यह तालाब ईसा पूर्व सातवीं सदी में बना था- यानी आज से 2700 बरस पहले। श्रृंगवेरपुर के तालाब का संक्षिप्त विवरण गांधी शांति प्रतिष्ठान से प्रकाशित पुस्तक ‘हमारा पर्यावरण’(1988) में तथा विस्तृत विवरण नई दिल्ली के ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा देश में जल संग्रह के परंपरागत तरीकों पर अक्टूबर 1990 में आयोजित गोष्ठी में श्रीलाल द्वारा अंग्रेजी में प्रस्तुत लेख में उपलब्ध है। समाज के द्वारा जल संरक्षण के उत्कृष्ठ प्रयास और उपेक्षा से सभी परिचित है। 80 के दशक से सरकारी तंत्र में जल संरक्षण के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया गया, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की तहत इस काम को और मजबूती मिली। अमृत सरोवर एक और अच्छा मुहिम था इस कड़ी को आगे बढ़ाने में। आज के समय में भूतल जल की मांग दिन पर दिन बढ़ रही है। राष्ट्रीय जल नीति, 1987,संशोधन नियम 2002 एवं 2012 में एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, संरक्षण और पानी के समान वितरण की आवश्यकता,वैज्ञानिक आधार पर भूजल संसाधनों का मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। जल उपलब्धता के रुझान इस दौरान जलवायु परिवर्तन सहित विभिन्न कारकों का भी आकलन और हिसाब-किताब किया जाना चाहिए।
    पीने के लिए सुरक्षित पानी और स्वच्छता को एक महत्वपूर्ण सूचक के रूप में माना जाना चाहिए और इसके बाद अन्य के लिए प्राथमिकता के साथ आवंटन किया जाना चाहिए। घरेलू जरूरतें (जानवरों की जरूरतों सहित), खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कृषि एवं अन्य जीविका एवं उद्योग का समर्थन करना की जरूरतें। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड 2023 के रिपोर्ट के आधार पर आज भूतल जल का 87 प्रतिशत सिंचाई, 11 प्रतिशत घरेलू उपयोग और 2 प्रतिशत उद्योग में उपयोग किया जाता है।
    सरकार,संगठनों और स्थानीय समुदायों को इन समाधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने और मध्य प्रदेश में दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। जल प्रबंधन के लिए एक समग्र और व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर, राज्य जल संकट के प्रभावों को कम कर सकता है और भविष्य की जल-संबंधी चुनौतियों के लिए लचीलापन बना सकता है।
    जल प्रबंधन से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सरकारी संस्थानों, स्थानीय समुदायों और निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल है। विभिन्न विभागों को साथ में मिलकर कार्य योजना बनाने की जरुरत है। सुशासन के लिए जल आवंटन, निगरानी और नियमों को लागू करने के लिए पारदर्शी और जवाबदेह प्रणालियों की भी आवश्यकता है।
    जीवन के सभी पहलुओं के लिए पानी के महत्व और इस महत्वपूर्ण संसाधन की सुरक्षा और प्रबंधन की आवश्यकता पर विचार करना महत्वपूर्ण है। जागरूकता बढ़ाने, कार्रवाई करने और जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन की वकालत करने के लिए मिलकर काम करके, हम सभी के लिए जल-सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। आइए हम सभी भावी पीढ़ियों के लिए पानी की सुरक्षा और संरक्षण करने और एक अधिक टिकाऊ दुनिया का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हों जहां पानी सभी के लिए उपलब्ध और सुलभ हो।

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