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- डॉ सुदीप शुक्ल
पाकिस्तान में पिछले चार दिन कई मायनों में बहुत अहम और ऐतिहासिक रहे हैं। करीब 68 अरब पाकिस्तानी रुपए वाले ‘अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले’ में जिस इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को मंगलवार को पैरामिलिट्री फोर्स के रेंजर्स ने गिरफ्तार किया था, उसी न्यायालय से उन्हें जमानत मिल गई। सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचाररोधी एजेंसी नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) द्वारा इमरान को हिरासत में लिए जाने को अवैध ठहराते हुए उन्हें शुक्रवार तक सुप्रीम कोर्ट की हिरासत में ले लिया था। उन्हें उसी इस्लामाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए जाने के आदेश भी दिए गए जहां वे मंगलवार को जमानत लेने पेश होने से पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए थे। गिरफ्तारी से लेकर जमानत मिलने तक जो परिस्थितियां बनी हैं उसमें इमरान खान के भाग्य, लोकप्रियता और चतुरता पर शहबाज शरीफ, मरियम नवाज, आसिफ अली जरदारी, बिलावल भुट्टो, मौलाना फजलुउर्रहमान से लेकर तमाम सत्ताे पक्ष अफसोस जरूर कर रहा होगा।
जिस समय हाईकोर्ट द्वारा इस केस में जमानत की सुनवाई की जा रही थी, उसी समय प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपनी मंत्रिपरिषद की विशेष बैठक ले रहे थे। इस कैबिनेट बैठक में शहबाज शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट पर जमकर गुस्सार उतारा और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंसाफ का जनाजा निकाल दिया है। उन्हों ने सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल के उस वाक्या की भी कड़ी आलोचना की जिसमें उन्हों ने इमरान के कोर्ट पहंचने पर कहा था कि ‘आपको देखकर खुशी हुई’। सरकार अब अपने अगले कदम पर सोच विचार कर रही है। पाकिस्तान में इमरान का शासन आने के बाद से संवैधानिक संस्थानों के दो धड़े हो चुके हैं। विभाजन इतना गहरा हैकि सियासत के साथ सेना, सुप्रीम कोर्ट और जनता सब दो भागों में विभाजित है। संभवतः यह पाकिस्तान के उत्पन्न होने का मनोविज्ञान है जो उसके साथ हमेशा रहने वाला है। यही कारण है कि इमरान विरोधी खेमा सुप्रीम कोर्ट की भयंकर निंदा कर रहा है। सत्ताधारी पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने देश की जनता को सोमवार को इस्लामाबाद आने और सुप्रीम कोर्ट के सामने धरना देने का आह्वान कर दिया है।
इधर जमानत मिलने के बाद इमरान की मुसीबतें कुछ कम जरूर हुई हैं लेकिन खत्म तो बिल्कुल भी नहीं हुई हैं। अभी उन्हेंे ऐसे कई कानूनी प्रकरणों की श्रृंखला का सामना करना है। इसके बावजूद इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करने वाली बात यह रही कि पाकिस्तान में पहली बार जनता ने सेना और पुलिस के विरुद्ध भी जमकर आक्रोश निकाला। हिंसक प्रदर्शनों में सेना के अधिकारी निशाने पर रहे। इससे सेना के ‘मार्शल लॉ के आसान विकल्पि’ का अतिविश्वास टूटा तो नहीं, दरक अवश्य गया है। इमरान ने अपनी गिरफ्तारी के लिए सीधे तौर पर सेना प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया है।
इस्लामाबाद में पूर्व प्रधानमंत्री एवं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इमरान खान की गिरफ्तारी न तो अप्रत्याशित थी और न ही अचानक। इसकी पूर्व पीठिका तभी रख दी गई थी जब धुर विरोधी दो राजनीतिक घरानों ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिएअपनी प्रकृति के विरुद्ध जाकर गठबंधन किया था। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) गठबंधन की सरकार बनते ही सबसे पहले इमरान खान सत्ता के निशाने पर थे तो उन्हों ने भी अपनी शक्ति और सियासत दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। बहरहाल,सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अल-कादिर ट्रस्ट मामले में पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी को ‘गैरकानूनी’ करार दिए जाने के एक दिन बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब और जस्टिस समन रफत इम्तियाज की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कोर्ट नंबर 2 में पूर्व प्रधानमंत्री की जमानत याचिका पर विचार किया। इस लंबी सुनवाई के बाद इमरान को जमानत दे दी गई।
भ्रष्टाचार सहित तमाम आरोपों और सरकार से बाहर होने के बाद भी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय पाकिस्तातन के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। पाक सेना और वर्तमान शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार के विरुद्ध वे लगातार आक्रामक रहते हुए आंदोलनऔर मार्च आदि करते रहे हैं। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की जो प्रतिक्रिया होनी थी वह भी गिरफ्तारी का समाचार फैलते ही प्रारंभ हो गई थी। पीटीआई नेता की गिरफ्तारी और उसके तरीके के कारण भड़के कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद, कराची, लाहौर, रावलपिंडी,पेशावर, क्वेतटा समेत सभी शहरों में जमकर विरोध प्रदर्शन किए। सरकारी वाहनों को आग लगा दी गई। पुलिस और सेना के अधिकारियों के बंगलों पर हमले और लूट की गई। जी भरकर माल-ए-गनीमत हासिल किया गया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार आगजनी और हिंसा की घटनाओं में 11 लोगों की मौत हो गई और 290 घायल हुए हैं। पीटीआई के हजारों कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज हुए, कई नेता हिरासत में लिए गए।