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- इंजी. राजेश पाठक
पिछले वर्ष इजराइल और हमास के बीच छिड़ी जंग के बीच केरल के एक सांसद फिलिस्तीनीयों के दर्द से आहत हो इतने उत्तेजित हुए कि उन्होंने सरे आम भरी सभा में आह्वान कर डाला कि इजराइल के राष्ट्रपति नितान्हुआ को बिना कोर्ट -ट्रायल के मृत्यु दंड दे देना चाहिए। लेकिन अब फिलिस्तीनीयों के प्रति यही सहानुभूति अमेरिका की यूनिवर्सिटीज के लेफ्टिस्ट और जिहाद प्रेरित विद्यार्थियों के ह्रदय में जगह बना चुकि है। संवेदनाएं इजराइल के विरुद्ध इतनी विस्फोटक रूप में बदलीं की येल, कोलंबिया, हार्वर्ड, कैलिफोर्निया सहित देश की 21 यूनिवर्सिटीज को इसकी जद से बाहर कैसे निकलें सूझ नहीं पड़ रहा। चीन से सांठगाँठ कर क़तर जैसे देश और सोरोस ने अपनी तिजोरी खोल रखी है। अमेरिका के राजनैतिक – पत्रकार- वकीलों सब को उससे पैसा चाहिए। बदले में उन्हें अपने अनुकूल देश के कानून चाहिए और प्रशासन से स्व-पोषित अवैध नागरिक और अराजक तत्वों के प्रति नरमाई । फिर डेमोक्रैट बिडेन तो ये कह कर फुर्सत पा ही चुके हैं कि अवैध घुसपेठ नहीं रुका तो एक दिन ऐसा आएगा कि अमेरिका की शक्ल न पहचान पाने कि हद तक बदल चुकी होगी। तभी ट्रम्प को वामपंथीयों पर निशाना साधते हुए यहाँ तक कहना पड़ा कि इतिहास में ईसाई धर्म और चर्च को खत्म करने के लिए उसने फ़ासिस्ट शक्तियों के साथ मिलकर हर प्रकार के तरीके अपनाएं हैं। आज के दौर में अब यही वामपंथी अमेरिका को ईसाई धर्म से दूर ले जाने के उद्देश्य से नैतिक-अनैतिक सभी साधनों का भरपूर उपयोग कर रहें हैं. लेकिन यदि वे अब दूसरी बार जीतकर वाइट -हाउस पहुँचते हैं तो उनका एक लक्ष्य ईसाई मूल्यों की इन वामपंथीयों से रक्षा कर मजबूती से स्थापित करने का भी रहेगा। ट्रम्प की चेतावनी बेवजह नहीं . पुलिस के यूनिवर्सिटीज के अंदर छापेमारी में जिहादी साहित्य बाहर निकलकर आ रहा है, ऐसी ख़बर हैं । न्यूयॉर्क , कोलंबिया , कैलिफ़ोर्निया में जिनकी गिरफ्तारी हुई है उनमें से 48 % घुसपेठियों का पढ़ायी से कोई संबध नहीं निकला . वो केवल मजहब के वास्ते इक्कट्ठे हो आये थे।