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- डॉ. प्रितम भि. गेडाम
आज के माहौल ने मनुष्य को नवीन सुविधाओं युक्त बनाया है, लेकिन इसके विपरीत इन्ही सुविधाओं ने काफी हद तक मानवीय शरीर को बेहद कमजोर कर दिया है, जिसके कारण तेजी से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही है। हर ओर प्रदुषण, अशुद्ध हवा-पानी, रेडिएशन, मिलावटखोरी, घातक रसायनों का प्रयोग, शोर, ई-कचरा, प्लास्टिक वेस्ट, घटती हरियाली, बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं लोगों को घुट-घुट कर बीमारी से मार रही हैं। वैसे ही लोगों में बढ़ती स्वार्थवृत्ति, अपराध, भ्रष्टाचार, झूठा दिखावा, नशाखोरी, दुर्व्यवहार, धोखाधड़ी जैसी समस्या समाज को बर्बाद कर ही रही है। औसत आयु भी लगातार कम हो रही है, ऐसे घुटन भरे माहौल में शरीर स्वस्थ रखना कठिन हो रहा है और बीमारियों का साम्राज्य विनाशकारी रूप धारण कर रहा है। जिसमें सामान्य रूप से नजर आने वाली बीमारी उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप को सामान्य बोलीभाषा में बीपी (ब्लड प्रेशर) बढ़ना कहते है। उच्च रक्तचाप वह स्थिति है जिसमे शरीर की धमनिया प्रभावित होती है, इसे हाइपरटेंशन भी कहते हैं। इसमें धमनी की दीवारों के विरुद्ध रक्त का बल लगातार बहुत अधिक होता है, अर्थात रक्तचाप जितना बढ़ता है, हृदय को रक्त पंप करना उतना ही कठिन होता है।
रक्त पंप करने के लिए हृदय को सामान्य से ज्यादा मेहनत करना पड़ता है। हर साल 17 मई को “विश्व उच्च रक्तचाप दिवस” मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों में उच्च रक्तचाप के लक्षणों के प्रति जागरूकता, रक्तचाप जाँचने के लिए प्रेरणा, समस्या पर शीघ्र रोकथाम के तरीकों का ज्ञान और समाज में उच्च रक्तचाप की व्यापकता पर प्रकाश डालना यह है।
उच्च रक्तचाप दुनिया भर में अकाल मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण स्पष्ट रूप से नजर नहीं आते। अस्वास्थ्यकर जीवनशैली उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाती है। तनाव, अधिक नमक का सेवन, अधिक वजन होना, व्यायाम की कमी, नशा, तंबाकू और धूम्रपान घातक है। अनियंत्रित रक्तचाप हृदय रोगों, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्रमुख कारण है। भारत में कुल मौतों में से 27% हृदय रोग के कारण होती हैं, जो 40-69 आयु वर्ग के 45% लोगों को प्रभावित करती हैं। मधुमेह वाले 10 में से लगभग 6 लोगों को उच्च रक्तचाप भी होता है। उच्च रक्तचाप के प्रसार के मामले में 2019 में पुरुषों और महिलाओं के बीच भारत विश्व स्तर पर क्रमशः 156 और 164 वें स्थान पर था। भारत में 31% आबादी को उच्च रक्तचाप है। लगभग 33% शहरी और 25% ग्रामीण भारतीय उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। भारत में उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या 2000 में 118.2 मिलियन से दोगुनी होकर 2025 तक 213.5 मिलियन होने की संभावना है।
इसके बाद देश को उच्च रक्तचाप के हब के रूप में जाना जायेगा। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में 2016-20 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 75% से अधिक रोगियों को उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) का पता चला है, लेकिन यह नियंत्रण में नहीं है। भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल अनुसार, देश में अनुमानित 20 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, उनमें से 10% से भी कम का रक्तचाप नियंत्रण में है। किसी अन्य कारण से अधिक उच्च रक्तचाप वयस्कों की जान लेता है।