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बच्चों में हो अच्छे चरित्र का निर्माण

  • हेमेन्द्र क्षीरसागर
    बच्चों में अच्छे चरित्र का निर्माण करें। बच्चे एक तरह से पौधे की तरह होते हैं। माता पिता माली की तरह, हम जिस तरह से उनकी देखभाल करेंगे हमें वैसा ही परिणाम देखने को मिलेगा। बच्चों में अच्छी आदतों का विकास तभी संभव है। जब वे शरारतें कर रहे हों या कई छोटी-छोटी गलतियां कर रहे हों लेकिन आप उन्हें सही मार्गदर्शन करते हों। कुछ माता-पिता बच्चों की शरारतों, गलतियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह सोचकर कि बच्चा अभी छोटा है और फिर यही छोटी-छोटी गलतियाँ उनकी आदतें बन जाती हैं। बचपन की गलतियां उसके भविष्य को प्रभावित करती हैं। बच्चा बड़ा होने पर अपनी गलतियों को सुधार नहीं पाता क्योंकि यह छोटी छोटी बातें उसकी आदत बन चुकी होती हैं। वह आदतों से मजबूर होता है।
    माता-पिता को बच्चों को बचपन से ही अच्छी तालीम देनी चाहिए। अगर छोटा बच्चा कोई गलती करता है तो उसे प्यार से समझाएं। जैसे – अगर बच्चे ने कोई चीज खराब कर दी या तोड़ दी है तो उसे मारें नहीं। बच्चे को इस तरह प्यार से समझाएं कि यह जो नुकसान हो गया यह नुकसान किसका हुआ है. हमारा और आपका ही, अब अगर हम इसको फिर से खरीदेंगे तो हमें पैसे देने पड़ेंगे। अगर यही पैसे हमारे पास रहते तो हम आपके लिए और खिलौने लाते। ताकि बच्चा समझ सके कि क्या सही है और क्या गलत है। बच्चों को अच्छे संस्कारों की ओर जोड़िए। धीरे-धीरे बच्चे में अच्छी आदतें आ जाएंगी। कुछ माँ-बाप ऐसे भी होते हैं जो हर छोटी-छोटी बात पर बच्चे को डाँटते रहते हैं। अपने से दूर कर देते हैं और वह कहीं और जाकर खेलना शुरू कर देते हैं, अब आप ही सोचिए कि इस तरह से बच्चे में किस तरह से संस्कार डाले जा सकेंगे।
    हर माता-पिता सोचते हैं कि उनके बच्चे का भविष्य अच्छा हो। लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जब अच्छे चरित्र का निर्माण करेंगे, तो ही अच्छे भविष्य का निर्माण हो पाएगा। स्वाभाविक है कि अच्छे चरित्र के निर्माण की शुरुआत माता-पिता से होती हैै। माता-पिता बचपन से ही कोशिश कर रहे होते हैं कि बच्चों को अच्छा सिखाएं। लेकिन इस बात पर ध्यान नही देते हैं कि बच्चे वह नहीं सीखते जो आप कहते हैं। वे वही सीखते हैं जो आप करते हैं। अधिकांश माता-पिता के लिए पालन-पोषण का अर्थ केवल बच्चों के भोजन, कपड़े और दैनिक जरूरतों की पूर्ति करना है। इस तरह से माता-पिता अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं।
    लेकिन क्या माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी आदतें या संस्कार दे पाते हैं जिससे कि उनके अच्छे चरित्र का निर्माण हो सके। ताकि वे भविष्य में एक बेहतर जीवन जी सकें। जिससे कि उन्हें जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। हर पीढ़ी के बच्चों में बदलाव आता है और ऐसे में यदि आप अपने बच्चे के प्रति सचेत नहीं हैं तो आप नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण से चूक जाएंगे। जो कि भविष्य में एक माता-पिता होने के नाते आपके लिए पीड़ा दायक हो सकता है। इसलिए आपको आज से ही सोचना होगा कि ऐसा क्या करना चाहिए। जिससे कि भविष्य में आपको खुशी मिले।

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