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वैश्विक जरूरत है भारत को जी 7 में शामिल करना

  • नृपेन्द्र अभिषेक नृप
    जी-7 का शिखर सम्मेलन में नेताओं की तीन दिन की शिखर बैठक 19 मई को जापान के हिरोशिमा में होने वाली है । अमेरिका चाहता है कि इस शिखर सम्मेलन में जी-7 से जुड़े देश रूस से हर प्रकार का निर्यात रोकने का फैसला करें।जी-7 शिखर बैठक के लिए एक तैयारी बैठक पिछले हफ्ते हुई थी। उसमें जापान और ईयू के प्रतिनिधियों ने कहा कि रूस पर संपूर्ण प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है। इसमें यूक्रेन पर रूसी हमले के प्रबावों, आर्थिक सुरक्षा, ग्रीन निवेश और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समीकरण पर खास चर्चा होगी। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था। G7 एक अनौपचारिक संगठन है जिसका न तो कोई मुख्यालय है और न ही सचिवालय। इसका कोई चार्टर भी नहीं है। समूह के सदस्य देश, विश्व के ज्वलंत मुद्दों पर वार्ता करने व उसका समाधान निकालने के लिए वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन करते हैं। समूह खुद को ‘कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज’ यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है। स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं।
    1970 के दशक की वैश्विक आर्थिक मंदी व बढ़ते तेल संकट की पृष्ठभूमि में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति बैलेरी जिस्कार्ड डी एस्टेइंग के आ“वान पर वर्ष 1975 में इस समूह का गठन किया गया था। समूह के संस्थापक सदस्य तत्कालीन विश्व के सर्वाधिक औद्योगीकृत एवं लोकतांत्रिक देश-फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी एवं जापान थे। पेरिस के निकट रम्बोइलेट में वर्ष 1975 में समूह की प्रथम बैठक का आयोजन हुआ। वर्ष 1976 में कनाडा के इस समूह में सम्मिलित होने के बाद समूह को ‘G7’ नाम दिया गया। विदित हो कि 1998 में रूस के शामिल होने के बाद समूह जी-8 के रूप में जाना जाने लगा, लेकिन 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के चलते रूस को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया ऐसे में समूह का नाम पुनः ‘G7’ हो गया। जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने के लिए हर साल मिलते हैं।प्रत्येक सदस्य देश बारी-बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है।
    डब्ल्यूएचओ ने कुछ दिन पहले ही कहा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए जी7 का आह्वान किया है। उनका मानना है कि जापान डीकार्बोनाइजेशन तकनीक की वकालत और निवेश करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

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